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जेजेपी के बिखराव से मजबूत होगी कांग्रेस या इनेलो को होगा फायदा? जानें क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार - Political crisis on JJP

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 20, 2024, 9:44 AM IST

Political crisis on JJP: लोकसभा चुनाव के बाद से जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. दस विधायकों वाली जेजेपी के पास मात्र अब तीन विधायक बचे हैं. जानें पार्टी में इस बिखराव का फायदा हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसे होगा.

Political crisis on JJP
Political crisis on JJP (Etv Bharat)

चंडीगढ़: दिसंबर 2018 में इनेलो से अलग होकर बनी जेजेपी इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. दस में चार विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. दो के खिलाफ पार्टी ने खुद विधानसभा स्पीकर को उनकी सदस्यता रद्द करने की याचिका लगाई है, जबकि एक विधायक रामकुमार गौतम शुरुआत से ही पार्टी के खिलाफ बयान देते रहे हैं. ऐसे में दस विधायकों वाली पार्टी अब तीन पर सिमट गई है.

2018 में बनी जेजेपी के लिए बदल गए हालत: 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नारा दिया था 'अब की बार 75 पार', इस नारे के खिलाफ जेजेपी ने नारा दिया था कि 'अब की बार यमुना पार', बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर जेजेपी ने चुनाव लड़ा और नतीजों के बाद उसी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. गठबंधन की ये सरकार करीब साढ़े चार साल चली. इन साढ़े चार साल के बीच जेजेपी को बीजेपी से ज्यादा नुकसान किसान आंदोलन का उठाना पड़ा. इसकी बानगी लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिली. बीजेपी से अलग होने के बाद जेजेपी के नेताओं का जमकर विरोध हुआ.

विधायकों ने जेजेपी से किया किनारा: जेजेपी में बिखराव तो लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था. जब पार्टी के कई विधायक कांग्रेस और बीजेपी के खेमे में खड़े हो गए. अब विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक के बाद एक चार विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. दो के खिलाफ पार्टी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से विधानसभा स्पीकर को उनकी सदस्यता रद्द करने की याचिका दी. वहीं एक विधायक रामकुमार गौतम पहले से ही बागी तेवर अपनाए हुए हैं. ऐसे मैं अब पार्टी के दस में से तीन ही विधायक पार्टी के साथ रह गए.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक? सवाल ये है कि विधानसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी में हुए इस बिखराव का हरियाणा की सियासत में क्या असर होगा? और इसका किसको फायदा होगा? इन सवालों के जवाब में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "2019 में जो वोट जेजेपी को मिले थे. वे ज्यादातर बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोट थे. इनेलो का जो वोट बैंक था. वो भी जेजेपी के साथ चला गया था. जेजेपी के बीजेपी के साथ जाने के बाद से ही वो वोटर नाराज हो गया. अब पार्टी में वैसे ही बिखराव हो गया है. ऐसे में जेजेपी को 2019 वाला जनता का सपोर्ट मिलेगा, तो उसकी उम्मीद करना बेमानी होगी. जेजेपी जाट वोट बैंक के सहारे ही यहां तक पहुंची थी."

विधानसभा चुनाव में जेजेपी को नुकसान? उन्होंने कहा कि "लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से देखें तो जाट वोट बैंक इस बार बिखरा नहीं, वो कांग्रेस के साथ चला गया. विधानसभा चुनाव में भी जाट वोट बैंक इस बार 2019 की गलती शायद नहीं करने वाला है. इस वोट बैंक का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पाले में जाने वाला है. यानी सबसे ज्यादा फायदा इस बिखराव का कांग्रेस को हो सकता है. इनेलो का जो वोटर जेजेपी के साथ चला गया था. वो भी कुछ हद तक वापस इनेलो के साथ जा सकता है. जेजेपी की इस स्थिति का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को होगा और कुछ हद तक इनेलो को भी."

किस पार्टी को होगा फायदा? इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल ने कहा "जननायक जनता पार्टी में हुए बिखराव से ये तो स्पष्ट हो गया है कि इस बार पार्टी की विधानसभा चुनाव में राह आसान नहीं है. जो वर्तमान हालात बने हैं. उसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस पार्टी उठाना चाहेगी और हो भी सकता है कि कांग्रेस को इसका फायदा भी हो. जननायक जनता पार्टी का वोट बैंक इनेलो से टूटकर खड़ा हुआ था. ऐसे में इनेलो को भी कहीं ना कहीं इसका फायदा मिल सकता है. वर्तमान राजनीतिक माहौल में बीजेपी किस तरीके से अपनी चाल चलती है. वो देखना भी लाजमी रहेगा."

ये भी पढ़ें- चुनाव का ऐलान होते ही JJP में भगदड़! 2 दिन में 4 विधायकों का इस्तीफा, इस पार्टी में जाने की चर्चा - Resignation of MLAs in JJP

ये भी पढ़ें- किरण चौधरी को राज्यसभा भेजेगी BJP !, कभी भी हो सकता है ऐलान, 21 तक दाखिल करना होगा नामांकन - Kiran choudhry Bjp Candidate

चंडीगढ़: दिसंबर 2018 में इनेलो से अलग होकर बनी जेजेपी इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. दस में चार विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. दो के खिलाफ पार्टी ने खुद विधानसभा स्पीकर को उनकी सदस्यता रद्द करने की याचिका लगाई है, जबकि एक विधायक रामकुमार गौतम शुरुआत से ही पार्टी के खिलाफ बयान देते रहे हैं. ऐसे में दस विधायकों वाली पार्टी अब तीन पर सिमट गई है.

2018 में बनी जेजेपी के लिए बदल गए हालत: 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नारा दिया था 'अब की बार 75 पार', इस नारे के खिलाफ जेजेपी ने नारा दिया था कि 'अब की बार यमुना पार', बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर जेजेपी ने चुनाव लड़ा और नतीजों के बाद उसी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. गठबंधन की ये सरकार करीब साढ़े चार साल चली. इन साढ़े चार साल के बीच जेजेपी को बीजेपी से ज्यादा नुकसान किसान आंदोलन का उठाना पड़ा. इसकी बानगी लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिली. बीजेपी से अलग होने के बाद जेजेपी के नेताओं का जमकर विरोध हुआ.

विधायकों ने जेजेपी से किया किनारा: जेजेपी में बिखराव तो लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू हो गया था. जब पार्टी के कई विधायक कांग्रेस और बीजेपी के खेमे में खड़े हो गए. अब विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक के बाद एक चार विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. दो के खिलाफ पार्टी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से विधानसभा स्पीकर को उनकी सदस्यता रद्द करने की याचिका दी. वहीं एक विधायक रामकुमार गौतम पहले से ही बागी तेवर अपनाए हुए हैं. ऐसे मैं अब पार्टी के दस में से तीन ही विधायक पार्टी के साथ रह गए.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक? सवाल ये है कि विधानसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी में हुए इस बिखराव का हरियाणा की सियासत में क्या असर होगा? और इसका किसको फायदा होगा? इन सवालों के जवाब में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "2019 में जो वोट जेजेपी को मिले थे. वे ज्यादातर बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोट थे. इनेलो का जो वोट बैंक था. वो भी जेजेपी के साथ चला गया था. जेजेपी के बीजेपी के साथ जाने के बाद से ही वो वोटर नाराज हो गया. अब पार्टी में वैसे ही बिखराव हो गया है. ऐसे में जेजेपी को 2019 वाला जनता का सपोर्ट मिलेगा, तो उसकी उम्मीद करना बेमानी होगी. जेजेपी जाट वोट बैंक के सहारे ही यहां तक पहुंची थी."

विधानसभा चुनाव में जेजेपी को नुकसान? उन्होंने कहा कि "लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से देखें तो जाट वोट बैंक इस बार बिखरा नहीं, वो कांग्रेस के साथ चला गया. विधानसभा चुनाव में भी जाट वोट बैंक इस बार 2019 की गलती शायद नहीं करने वाला है. इस वोट बैंक का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पाले में जाने वाला है. यानी सबसे ज्यादा फायदा इस बिखराव का कांग्रेस को हो सकता है. इनेलो का जो वोटर जेजेपी के साथ चला गया था. वो भी कुछ हद तक वापस इनेलो के साथ जा सकता है. जेजेपी की इस स्थिति का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को होगा और कुछ हद तक इनेलो को भी."

किस पार्टी को होगा फायदा? इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल ने कहा "जननायक जनता पार्टी में हुए बिखराव से ये तो स्पष्ट हो गया है कि इस बार पार्टी की विधानसभा चुनाव में राह आसान नहीं है. जो वर्तमान हालात बने हैं. उसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस पार्टी उठाना चाहेगी और हो भी सकता है कि कांग्रेस को इसका फायदा भी हो. जननायक जनता पार्टी का वोट बैंक इनेलो से टूटकर खड़ा हुआ था. ऐसे में इनेलो को भी कहीं ना कहीं इसका फायदा मिल सकता है. वर्तमान राजनीतिक माहौल में बीजेपी किस तरीके से अपनी चाल चलती है. वो देखना भी लाजमी रहेगा."

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