ETV Bharat / state

सपा-RLD में दरार से मुश्किल में भीम आर्मी के चंद्रशेखर; क्या जीत पाएंगे नगीना से सांसद का चुनाव?

रालोद और एनडीए की जुगलबंदी के कारण राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी और आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर की राजनीतिक दोस्ती अधर में लटक गयी. मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी (Political Analyst Sadab Rizvi) ने बताया कि अब चंद्रशेखर के पास क्या विकल्प बाकी हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat political-analyst-sadab-rizvi-rashtriya-lok-dal-president-jayant-chaudhary-azad-samaj-party-chandrashekhar
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 4:26 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 4:45 PM IST

मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी से खास बातचीत

मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने NDA का साथ देने का एलान कर दिया है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में तमाम सियासी रिश्ते भी बदलते दिखाई दे रहे हैं. कल तक रालोद अध्यक्ष और आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर (Azad Samaj Party Chandrashekhar) एक साथ थे. चंद्रशेखर 2022 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जिस तरह अकेले पड़ गए थे, उसी तरह फिर एक बार वह अकेले दिखाई दे रहे हैं. आइए जानते हैं नगीना से चुनाव लड़कर संसद पहुंचने का सपना देख रहे चंद्रशेखर के सामने अब क्या विकल्प हैं.

इन दिनों सियासी गलियारों में यूं तो कई चर्चाएं हो रही हैं. आगे क्या होगा इस पर भी कयास ही लगाए जा रहे हैं. खासतौर से वेस्टर्न यूपी की सियासत को लेकर बात हो रही है. विधानसभा चुनाव 2022 के बाद ज़ब 2023 में उपचुनाव हुए, तो जयंत चौधरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजाद समाज पार्टी के मुखिया और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद साथ में थे. इसके बाद तमाम मंचों पर दोनों की जोड़ी सुर्खियों में रही, लेकिन अब जब जयंत चौधरी INDIA गठबंधन से अलग होकर NDA के साथ कदम बढ़ा रहे हैं तो ऐसे में चंद्रशेखर फिर एक बार हाशिए पर खड़े नजर आ रहे हैं.

जंयत चौधरी ने छोड़ा अखिलेश का साथ, तो बदले सियासी समीकरण
जंयत चौधरी ने छोड़ा अखिलेश का साथ, तो बदले सियासी समीकरण

वहीं जयंत चौधरी का साथ पाकर नगीना के रास्ते दिल्ली जाने का ख़्वाब संजोए बैठे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद सांसद बनने का सपना अब कैसे पूरा होगा. इस तरह के सवाल वेस्ट यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा में हैं. क्या चंद्रशेखर को अखिलेश का साथ मिलेगा. इस पर भी अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है. विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सुपर एक्टिव रहने वाले चंद्रशेखर का जो हश्र तब हुआ था, वह किसी से छिपा नहीं है. तब ओपी राजभर, शिवपाल यादव समेत सपा मुखिया से चंद्रशेखर की मुलाकात भी हुई थी.

उस वक्त ओपी राजभर सपा के साथ चले गए थे. चंद्रशेखर को अखिलेश यादव ने तवज्जो तब नहीं दी थी. बाद में जयंत चौधरी और चंद्रशेखर की मुलाकात हुईं. दोस्ती की चर्चा भी खूब होती थी. नगीना से चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले चंद्रशेखर अब एक बार फिर अकेले पड़ गये हैं. अब चंद्रशेखर और जयंत की जोड़ी यूपी और अन्य प्रदेशों में एक साथ नजर आती थी. दोनों एक दूसरे के लिए मजबूती के साथ खड़े होते थे.

ईटीवी भारत
चंद्रशेखर को अखिलेश यादव ने तवज्जो तब नहीं दी थी

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि चंद्रशेखर का अब भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के लिए यही कहना है कि सियासत अलग बात है. रालोद मुखिया उनके भाई हैं. चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न की घोषणा का वह समर्थन करते हैं, लेकिन अब राजनीति में दोनों की राहें अलग-अलग हो गई हैं. चंद्रशेखर को नगीना लोकसभा सीट से चुनाव तो लड़ना है, लेकिन अब उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी कि जयंत जैसा मज़बूत साथी उनके साथ नहीं होगा. चुनाव में चंद्रशेखर को मुश्किलों का सामना पड़ सकता है. चंद्रशेखर का साथ सपा देगी या नहीं, ये भी बड़ा सवाल है.

सादाब रिज़वी ने कहा कि जयंत के साथ न होने से किसान और जाट वर्ग का साथ मिलने में मुश्किल हो सकती है. इससे कहीं न कहीं उनकी नगीना में राह मुश्किल फिलहाल हो गई है. क्या वह कांग्रेस के साथ रहकर इंडिया गठबंधन के साथ बने रहेंगे. इसकी संभावना इसलिए भी बनती नजर आ रही है क्योंकि प्रियंका गांधी कई बार चंद्रशेखर की प्रशंसा कर चुकी है. लेकिन क्या कांग्रेस उन पर कितना भरोसा करती है. यह निश्चित नहीं है.

संभावना है कि समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव 2024 में उनको अपने साथ रखे. लेकिन यह तय है कि जयंत के NDA के साथ जाने के बाद अब चंद्रशेखर के मुश्किलें बढ़ गयी हैं.

ये भी पढ़ें- बांके बिहारी मंदिर में 40 दिवसीय होली उत्सव शुरू, बसंत पंचमी पर खूब उड़ा अबीर

मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी से खास बातचीत

मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने NDA का साथ देने का एलान कर दिया है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में तमाम सियासी रिश्ते भी बदलते दिखाई दे रहे हैं. कल तक रालोद अध्यक्ष और आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर (Azad Samaj Party Chandrashekhar) एक साथ थे. चंद्रशेखर 2022 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जिस तरह अकेले पड़ गए थे, उसी तरह फिर एक बार वह अकेले दिखाई दे रहे हैं. आइए जानते हैं नगीना से चुनाव लड़कर संसद पहुंचने का सपना देख रहे चंद्रशेखर के सामने अब क्या विकल्प हैं.

इन दिनों सियासी गलियारों में यूं तो कई चर्चाएं हो रही हैं. आगे क्या होगा इस पर भी कयास ही लगाए जा रहे हैं. खासतौर से वेस्टर्न यूपी की सियासत को लेकर बात हो रही है. विधानसभा चुनाव 2022 के बाद ज़ब 2023 में उपचुनाव हुए, तो जयंत चौधरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजाद समाज पार्टी के मुखिया और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद साथ में थे. इसके बाद तमाम मंचों पर दोनों की जोड़ी सुर्खियों में रही, लेकिन अब जब जयंत चौधरी INDIA गठबंधन से अलग होकर NDA के साथ कदम बढ़ा रहे हैं तो ऐसे में चंद्रशेखर फिर एक बार हाशिए पर खड़े नजर आ रहे हैं.

जंयत चौधरी ने छोड़ा अखिलेश का साथ, तो बदले सियासी समीकरण
जंयत चौधरी ने छोड़ा अखिलेश का साथ, तो बदले सियासी समीकरण

वहीं जयंत चौधरी का साथ पाकर नगीना के रास्ते दिल्ली जाने का ख़्वाब संजोए बैठे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद सांसद बनने का सपना अब कैसे पूरा होगा. इस तरह के सवाल वेस्ट यूपी के सियासी गलियारों में चर्चा में हैं. क्या चंद्रशेखर को अखिलेश का साथ मिलेगा. इस पर भी अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है. विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सुपर एक्टिव रहने वाले चंद्रशेखर का जो हश्र तब हुआ था, वह किसी से छिपा नहीं है. तब ओपी राजभर, शिवपाल यादव समेत सपा मुखिया से चंद्रशेखर की मुलाकात भी हुई थी.

उस वक्त ओपी राजभर सपा के साथ चले गए थे. चंद्रशेखर को अखिलेश यादव ने तवज्जो तब नहीं दी थी. बाद में जयंत चौधरी और चंद्रशेखर की मुलाकात हुईं. दोस्ती की चर्चा भी खूब होती थी. नगीना से चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले चंद्रशेखर अब एक बार फिर अकेले पड़ गये हैं. अब चंद्रशेखर और जयंत की जोड़ी यूपी और अन्य प्रदेशों में एक साथ नजर आती थी. दोनों एक दूसरे के लिए मजबूती के साथ खड़े होते थे.

ईटीवी भारत
चंद्रशेखर को अखिलेश यादव ने तवज्जो तब नहीं दी थी

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि चंद्रशेखर का अब भी रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के लिए यही कहना है कि सियासत अलग बात है. रालोद मुखिया उनके भाई हैं. चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न की घोषणा का वह समर्थन करते हैं, लेकिन अब राजनीति में दोनों की राहें अलग-अलग हो गई हैं. चंद्रशेखर को नगीना लोकसभा सीट से चुनाव तो लड़ना है, लेकिन अब उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी कि जयंत जैसा मज़बूत साथी उनके साथ नहीं होगा. चुनाव में चंद्रशेखर को मुश्किलों का सामना पड़ सकता है. चंद्रशेखर का साथ सपा देगी या नहीं, ये भी बड़ा सवाल है.

सादाब रिज़वी ने कहा कि जयंत के साथ न होने से किसान और जाट वर्ग का साथ मिलने में मुश्किल हो सकती है. इससे कहीं न कहीं उनकी नगीना में राह मुश्किल फिलहाल हो गई है. क्या वह कांग्रेस के साथ रहकर इंडिया गठबंधन के साथ बने रहेंगे. इसकी संभावना इसलिए भी बनती नजर आ रही है क्योंकि प्रियंका गांधी कई बार चंद्रशेखर की प्रशंसा कर चुकी है. लेकिन क्या कांग्रेस उन पर कितना भरोसा करती है. यह निश्चित नहीं है.

संभावना है कि समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव 2024 में उनको अपने साथ रखे. लेकिन यह तय है कि जयंत के NDA के साथ जाने के बाद अब चंद्रशेखर के मुश्किलें बढ़ गयी हैं.

ये भी पढ़ें- बांके बिहारी मंदिर में 40 दिवसीय होली उत्सव शुरू, बसंत पंचमी पर खूब उड़ा अबीर

Last Updated : Feb 14, 2024, 4:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.