जबलपुर। तत्कालीन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता तथा उसकी बहन की स्कूल फीस जमा नहीं किये जाने के मामले को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ ने संज्ञान लिया था. मामले के अनुसार मंदसौर जिले में जून 2018 को 7 साल बच्ची का स्कूल से दो लोगों ने अपहरण कर दुष्कर्म किया था. आरोपियों ने उसका दो बार गला काटकर मरने के लिए छोड़ दिया था. डॉक्टरों ने बच्ची के कई ऑपरेशन कर उसे बचा लिया था.
मंदसौर में बालिका से शर्मनाक वारदात
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता और उसके परिवार से वादा किया था कि सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का ख्याल रखेगी. सरकार ने इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का दाखिला करवाया था. स्कूल प्रबंधन ने इंदौर कलेक्टर और जिला शिक्षा विभाग को 14 लाख रुपये बकाया का नोटिस भेजा था. नोटिस पर जिला शिक्षा अधिकारी का तर्क था कि प्रवेश के लिए सरकार द्वारा स्कूल को दिए गए पत्र में यह उल्लेख नहीं किया गया था कि फीस का भुगतान कौन करेगा.
ALSO READ: एमपी हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एकल पीठ के आदेश पर दिया स्टे, डीजीपी सहित 3 पुलिस अफसरों को राहत |
स्कूल फीस के मामले में कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
हाईकोर्ट आपने आदेश में कहा था कि नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता राज्य द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद भी उत्पीड़न से गुजर रही है. यह काफी चौंकाने वाली स्थिति है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, कलेक्टर तथा स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी हलफनामा में जवाब पेश करने आदेश जारी किये थे. कई अवसर देने के बावजूद जवाब पेश नहीं किये जाने के गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग तथा कलेक्टर इंदौर पर 25-25 हजार रुपये की कास्ट लगाई थी.