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'पळकती प्रीत' के लिए डाॅ राजपुरोहित को मिला साहित्य अकादमी सर्वोच्च पुरस्कार

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 12, 2024, 10:58 PM IST

राजस्थानी काव्यकृति 'पळकती प्रीत' के रचियता डॉ राजपुरोहित को साहित्य अकादमी के सर्वोच्च पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया. उनकी यह कृति मध्यकालीन प्रेमाख्यान पर आधारित है.

Poet Dr Gaje Singh Rajpurohit
डाॅ राजपुरोहित को मिला साहित्य अकादमी सर्वोच्च पुरस्कार

जोधपुर. राजस्थानी भाषा के प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित को उनकी राजस्थानी काव्यकृति 'पळकती प्रीत' के लिए साहित्य अकादमी के सर्वोच्च पुरस्कार से नवाजा गया है. मंगलवार को कमानी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में साहित्य अकादमी सर्वोच्च राजस्थानी पुरस्कार 2023 से पुरस्कृत किया गया.

अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने बताया कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता एवं ख्यातनाम उड़िया लेखिका प्रतिभा राय के मुख्य आतिथ्य में आयोजित साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित को इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया. इस पुरस्कार के अंतर्गत डाॅ राजपुरोहित को एक लाख रुपए का चेक, प्रशस्ति-पत्र, ताम्र फलक एवं श्रीफल प्रदान किया गया. समारोह के प्रारम्भ में अकादमी सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत उद्बोधन एवं अकादमी उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

पढ़ें: जोधपुर के डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित की राजस्थानी काव्य कृति 'पळकती प्रीत' को साहित्य अकादमी का सर्वाेच्च पुरस्कार

इस अवसर साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव एवं राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में देश विदेश की 175 भाषाओं के 1100 से ज्यादा रचनाकारों ने भाग लिया. राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण, नंद किशोर आचार्य, शाइर शीन क़ाफ निजाम, नंद भारद्वाज, मधु आचार्य 'आशावादी', प्रोफेसर (डाॅ.) माधव हाडा, डाॅ सीपी देवल, प्रोफेसर कौशल नाथ उपाध्याय, डाॅ ब्रजरतन जोशी, दिनेश पांचाल, डाॅ गीता सामौर, हरिमोहन सारस्वत, मदनगोपाल लढा, दिनेश चारण, राजेन्द्र देथा, संजय आमेटा ने प्रसन्नता व्यक्त कर डाॅ राजपुरोहित को बधाई दी. गौरतलब है कि साहित्य अकादमी ने पिछले माह 24 भारतीय भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का चयन किया. इसमें वर्ष 2023 के लिए राजस्थानी भाषा-साहित्य की काव्यकृति 'पळकती प्रीत' का चयन किया गया था.

पढ़ें: World Book Day: विपुल साहित्य होने के बावजूद मान्यता के इंतजार में 'राजस्थानी भाषा', किताबें बन सकती हैं मददगार

काव्यकृति 'पळकती प्रीत' के बारे में: कोराना काल के दरम्यान डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित द्वारा लिखी गई राजस्थानी काव्यकृति मध्यकालीन प्रेमाख्यान पर आधारित है. इसमें मूमल-महेन्दरो, ढोला-मारु, जेठवा-ऊजळी, बाघो-भारमली, नरबद-सुपियारदे, सैणी-बीझाणंद, आभल-खींवजी, नागजी-नागवती, जलाल-बूबना, सोरठ-बींझौ, केहर-कंवळ जैसे सुप्रसिद्ध इग्यारह प्रेमाख्यानों को पहली बार नव बोध, मानवीय संवेदना तथा आधुनिक दृष्टी से प्रबंध काव्य में रचा गया है. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के दौरान अनेक विद्वानों ने इस काव्यकृति की सराहना करते हुए इसे आधुनिक राजस्थानी काव्य की कालजयी कृति बताया था. भाव, भाषा, शिल्प एवं काव्यगुणों की दृष्टि से इस काव्य कृति की राजस्थानी साहित्य जगत में बहुत सराहना हुई.

जोधपुर. राजस्थानी भाषा के प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित को उनकी राजस्थानी काव्यकृति 'पळकती प्रीत' के लिए साहित्य अकादमी के सर्वोच्च पुरस्कार से नवाजा गया है. मंगलवार को कमानी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में साहित्य अकादमी सर्वोच्च राजस्थानी पुरस्कार 2023 से पुरस्कृत किया गया.

अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने बताया कि साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता एवं ख्यातनाम उड़िया लेखिका प्रतिभा राय के मुख्य आतिथ्य में आयोजित साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित को इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया. इस पुरस्कार के अंतर्गत डाॅ राजपुरोहित को एक लाख रुपए का चेक, प्रशस्ति-पत्र, ताम्र फलक एवं श्रीफल प्रदान किया गया. समारोह के प्रारम्भ में अकादमी सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत उद्बोधन एवं अकादमी उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

पढ़ें: जोधपुर के डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित की राजस्थानी काव्य कृति 'पळकती प्रीत' को साहित्य अकादमी का सर्वाेच्च पुरस्कार

इस अवसर साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव एवं राष्ट्रीय पुरस्कार अर्पण समारोह में देश विदेश की 175 भाषाओं के 1100 से ज्यादा रचनाकारों ने भाग लिया. राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण, नंद किशोर आचार्य, शाइर शीन क़ाफ निजाम, नंद भारद्वाज, मधु आचार्य 'आशावादी', प्रोफेसर (डाॅ.) माधव हाडा, डाॅ सीपी देवल, प्रोफेसर कौशल नाथ उपाध्याय, डाॅ ब्रजरतन जोशी, दिनेश पांचाल, डाॅ गीता सामौर, हरिमोहन सारस्वत, मदनगोपाल लढा, दिनेश चारण, राजेन्द्र देथा, संजय आमेटा ने प्रसन्नता व्यक्त कर डाॅ राजपुरोहित को बधाई दी. गौरतलब है कि साहित्य अकादमी ने पिछले माह 24 भारतीय भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का चयन किया. इसमें वर्ष 2023 के लिए राजस्थानी भाषा-साहित्य की काव्यकृति 'पळकती प्रीत' का चयन किया गया था.

पढ़ें: World Book Day: विपुल साहित्य होने के बावजूद मान्यता के इंतजार में 'राजस्थानी भाषा', किताबें बन सकती हैं मददगार

काव्यकृति 'पळकती प्रीत' के बारे में: कोराना काल के दरम्यान डाॅ गजेसिंह राजपुरोहित द्वारा लिखी गई राजस्थानी काव्यकृति मध्यकालीन प्रेमाख्यान पर आधारित है. इसमें मूमल-महेन्दरो, ढोला-मारु, जेठवा-ऊजळी, बाघो-भारमली, नरबद-सुपियारदे, सैणी-बीझाणंद, आभल-खींवजी, नागजी-नागवती, जलाल-बूबना, सोरठ-बींझौ, केहर-कंवळ जैसे सुप्रसिद्ध इग्यारह प्रेमाख्यानों को पहली बार नव बोध, मानवीय संवेदना तथा आधुनिक दृष्टी से प्रबंध काव्य में रचा गया है. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के दौरान अनेक विद्वानों ने इस काव्यकृति की सराहना करते हुए इसे आधुनिक राजस्थानी काव्य की कालजयी कृति बताया था. भाव, भाषा, शिल्प एवं काव्यगुणों की दृष्टि से इस काव्य कृति की राजस्थानी साहित्य जगत में बहुत सराहना हुई.

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