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माउंट चो ओयू को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला हैं शीतल, उत्तराखंड 38वें नेशनल गेम्स को लेकर कही ये बात - UTTARAKHAND 38TH NATIONAL GAMES

उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से गदगद पिथौरागढ़ की पर्वतारोही बेटी शीतल, कहा- पहाड़ के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा साबित करने का मिलेगा मौका

MOUNTAINEER SHEETAL RAJ
पिथौरागढ़ की पर्वतारोही शीतल (फोटो सोर्स- X@DIPR_UK)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 16, 2025, 10:48 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर अब महज 12 दिन ही बचे हैं. ऐसे में खेलों की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसी कड़ी में माउंट चो ओयू को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही शीतल ने राष्ट्रीय खेलों को लेकर खास बातें कही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका मिलेगा.

बता दें कि शीतल मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के सल्लोड़ा गांव की रहने वाली है. शीतल ने साल 2018 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह किया था. शीतल ने 8,586 मीटर ऊंची माउंट कंचनजंघा चोटी पर का भी आरोहण किया था. जबकि, 15 अगस्त 2021 में यूरोप की सबसे ऊंची माउंट एल्ब्रुस चोटी पर शीतल ने भारतीय झंडा फहराया था. इसके अलावा शीतल ने त्रिशूल समेत कई चोटियों पर फतह हासिल की है.

तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी शीतल: वहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शीतल को 13 नवंबर 2021 में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित किया था. यह पुरस्कार हासिल करने वाली शीतल उत्तराखंड की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बनीं. इसके अलावा 8 अक्टूबर 2024 को 8,188 मीटर ऊंचाई पर स्थित माउंट चो ओयू को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला भी शीतल हैं.

अब उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल होने जा रहे हैं. जिसमें राफ्टिंग को भी शामिल किया गया है. ऐसे में राष्ट्रीय खेल में राफ्टिंग को शामिल करने से साहसिक खेलों के प्रति नई संभावनाएं जगी हैं. हालांकि, यह डेमो गेम है, लेकिन शीतल इसे साहसिक खेलों के भविष्य के लिए बड़ी शुरुआत मान रही हैं. उनका कहना है कि इससे पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मौका मिलेगा.

पर्वतारोही शीतल ने कहा कि पहाड़ के खिलाड़ियों ने संसाधनों की कमी के बावजूद खुद को तराश कर अपनी प्रतिभा साबित की है. राष्ट्रीय खेलों के जरिए सुविधाएं बढ़ रही है. जो खिलाड़ियों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने का काम करेगी. हालांकि, पर्वतारोहण राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा नहीं है, लेकिन वे इस खेल को ओलंपिक और एशियाई खेलों में नई पहचान दिलाने की उम्मीद करती हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है.

पर्वतारोही शीतल से जुड़ी खबरें पढ़िए-

देहरादून: उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर अब महज 12 दिन ही बचे हैं. ऐसे में खेलों की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसी कड़ी में माउंट चो ओयू को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही शीतल ने राष्ट्रीय खेलों को लेकर खास बातें कही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका मिलेगा.

बता दें कि शीतल मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के सल्लोड़ा गांव की रहने वाली है. शीतल ने साल 2018 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह किया था. शीतल ने 8,586 मीटर ऊंची माउंट कंचनजंघा चोटी पर का भी आरोहण किया था. जबकि, 15 अगस्त 2021 में यूरोप की सबसे ऊंची माउंट एल्ब्रुस चोटी पर शीतल ने भारतीय झंडा फहराया था. इसके अलावा शीतल ने त्रिशूल समेत कई चोटियों पर फतह हासिल की है.

तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी शीतल: वहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शीतल को 13 नवंबर 2021 में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित किया था. यह पुरस्कार हासिल करने वाली शीतल उत्तराखंड की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बनीं. इसके अलावा 8 अक्टूबर 2024 को 8,188 मीटर ऊंचाई पर स्थित माउंट चो ओयू को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला भी शीतल हैं.

अब उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल होने जा रहे हैं. जिसमें राफ्टिंग को भी शामिल किया गया है. ऐसे में राष्ट्रीय खेल में राफ्टिंग को शामिल करने से साहसिक खेलों के प्रति नई संभावनाएं जगी हैं. हालांकि, यह डेमो गेम है, लेकिन शीतल इसे साहसिक खेलों के भविष्य के लिए बड़ी शुरुआत मान रही हैं. उनका कहना है कि इससे पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मौका मिलेगा.

पर्वतारोही शीतल ने कहा कि पहाड़ के खिलाड़ियों ने संसाधनों की कमी के बावजूद खुद को तराश कर अपनी प्रतिभा साबित की है. राष्ट्रीय खेलों के जरिए सुविधाएं बढ़ रही है. जो खिलाड़ियों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने का काम करेगी. हालांकि, पर्वतारोहण राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा नहीं है, लेकिन वे इस खेल को ओलंपिक और एशियाई खेलों में नई पहचान दिलाने की उम्मीद करती हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है.

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