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असम के रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में शिकारी बने संरक्षक - POACHERS TURN PROTECTORS

असम में रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के बाद कई भक्षक बेजुबानों रक्षक बन गए हैं. पढ़ें 'ईटीवी भारत' के गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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असम के रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में शिकारी बने संरक्षक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 29, 2025, 2:19 PM IST

कोकराझार: निचले असम के कोकराझार जिले में स्थित रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में गोल्डन लंगूर, क्लाउडेड तेंदुआ (नियोफेलिस नेबोलूसा) सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों के रक्षक कभी इसके शिकारी हुआ करते थे.

ओडेन मुसाहारी ने ईटीवी भारत से कहा, 'हां, मैं एक शिकारी था और जब सरकार ने रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया तो हमने लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने का फैसला किया.'

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान असम के पश्चिमी भाग में स्थित है. 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह उद्यान गोसाईगांव और कोकराझार उपखंडों में फैला हुआ है. 5 जून, 2021 को रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. यह क्षेत्र पहले रिपुद्वार की सहायक नदी के नीचे एक छोटी सी बस्ती थी. इसकी राजधानी ‘रायमाना’ (रायमोना) थी. कोकराझार शहर से 90 किमी की दूरी पर स्थित, रायमोना राष्ट्रीय उद्यान फूलों के पौधों, तितलियों, स्तनधारियों और पक्षियों से समृद्ध है.

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में स्थित महत्वपूर्ण जंगली जीवों में बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), क्लाउडेड तेंदुआ (नियोफेलिस नेबोलुसा), हिमालयी काला हिरण (उर्सस थिबेटानस), जंगली कुत्ता (कुओन अल्पिनस), गौर (बोस गौरस), हॉग हिरण (एक्सिस पोर्सिनस), सफेद पेट वाला बगुला (अर्डिया इंसिग्निस) और गोल्डन लैंगस (ट्रेचीपिथेकस गीई) शामिल हैं.

रायमोना गोल्डन लंगूर इको टूरिज्म सोसाइटी

रायमोना नेशनल पार्क के निदेशक सोमनाथ नरजारी ने कहा, 'जब रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तो वन विभाग और रायमोना गोल्डन लंगूर इको टूरिज्म सोसाइटी ने शिकारियों से संपर्क किया था ताकि वे शिकार करना छोड़ दें और मुख्यधारा में आ जाएं. ऐसा इसलिए कि हम रायमोना की रक्षा कर सकें.'

नरजारी ने कहा कि शिकारी सीमांत क्षेत्रों के निवासी थे. बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) प्रशासन ने पहले 50,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की थी. कम से कम 57 शिकारी वन स्वयंसेवक बन गए हैं और उन्होंने गाइड, टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इस तरह अब वे अपनी आजीविका के लिए होमस्टे खोल लिया है.

नरजारी ने कहा, 'चूंकि वे (शिकारी) जंगल को जानते हैं, इसलिए वे वन विभाग के साथ काम करते हैं और जब भी आवश्यकता होती है तो उनके साथ जाते हैं.' इस संवाददाता से बात करते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता ब्रोजो कुमार बसुमतारी ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा के लिए स्थानीय समुदाय का विश्वास हासिल करना महत्वपूर्ण है. बसुमतारी ने कहा, 'हम हमेशा स्थानीय लोगों को राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण के बारे में जागरूक करते रहते हैं क्योंकि स्थानीय लोगों को इसमें शामिल रखना महत्वपूर्ण है.

बीटीसी प्रशासन द्वारा अपनाई गई नीति

बीटीसी के प्रमुख प्रमोद बोरो ने कहा, 'मानस और रायमोना नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में शिकारी थे. रायमोना से कम से कम 500 और मानस से 200 से ज्यादा ऐसे शिकारियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और सुरक्षा कार्य में प्रशासन की मदद की है.' बोरो के अनुसार उनका प्रशासन वन स्वयंसेवकों में परिवर्तित हो चुके ऐसे शिकारियों को कृषि, डायरी और अन्य गतिविधियों में लगाने की भी योजना बना रहा है.

ये भी पढ़ें- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा, 15 दिनों में ₹29 लाख की कमाई

कोकराझार: निचले असम के कोकराझार जिले में स्थित रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में गोल्डन लंगूर, क्लाउडेड तेंदुआ (नियोफेलिस नेबोलूसा) सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों के रक्षक कभी इसके शिकारी हुआ करते थे.

ओडेन मुसाहारी ने ईटीवी भारत से कहा, 'हां, मैं एक शिकारी था और जब सरकार ने रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया तो हमने लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने का फैसला किया.'

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान असम के पश्चिमी भाग में स्थित है. 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह उद्यान गोसाईगांव और कोकराझार उपखंडों में फैला हुआ है. 5 जून, 2021 को रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. यह क्षेत्र पहले रिपुद्वार की सहायक नदी के नीचे एक छोटी सी बस्ती थी. इसकी राजधानी ‘रायमाना’ (रायमोना) थी. कोकराझार शहर से 90 किमी की दूरी पर स्थित, रायमोना राष्ट्रीय उद्यान फूलों के पौधों, तितलियों, स्तनधारियों और पक्षियों से समृद्ध है.

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में स्थित महत्वपूर्ण जंगली जीवों में बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), क्लाउडेड तेंदुआ (नियोफेलिस नेबोलुसा), हिमालयी काला हिरण (उर्सस थिबेटानस), जंगली कुत्ता (कुओन अल्पिनस), गौर (बोस गौरस), हॉग हिरण (एक्सिस पोर्सिनस), सफेद पेट वाला बगुला (अर्डिया इंसिग्निस) और गोल्डन लैंगस (ट्रेचीपिथेकस गीई) शामिल हैं.

रायमोना गोल्डन लंगूर इको टूरिज्म सोसाइटी

रायमोना नेशनल पार्क के निदेशक सोमनाथ नरजारी ने कहा, 'जब रायमोना को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तो वन विभाग और रायमोना गोल्डन लंगूर इको टूरिज्म सोसाइटी ने शिकारियों से संपर्क किया था ताकि वे शिकार करना छोड़ दें और मुख्यधारा में आ जाएं. ऐसा इसलिए कि हम रायमोना की रक्षा कर सकें.'

नरजारी ने कहा कि शिकारी सीमांत क्षेत्रों के निवासी थे. बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) प्रशासन ने पहले 50,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की थी. कम से कम 57 शिकारी वन स्वयंसेवक बन गए हैं और उन्होंने गाइड, टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इस तरह अब वे अपनी आजीविका के लिए होमस्टे खोल लिया है.

नरजारी ने कहा, 'चूंकि वे (शिकारी) जंगल को जानते हैं, इसलिए वे वन विभाग के साथ काम करते हैं और जब भी आवश्यकता होती है तो उनके साथ जाते हैं.' इस संवाददाता से बात करते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता ब्रोजो कुमार बसुमतारी ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा के लिए स्थानीय समुदाय का विश्वास हासिल करना महत्वपूर्ण है. बसुमतारी ने कहा, 'हम हमेशा स्थानीय लोगों को राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण के बारे में जागरूक करते रहते हैं क्योंकि स्थानीय लोगों को इसमें शामिल रखना महत्वपूर्ण है.

बीटीसी प्रशासन द्वारा अपनाई गई नीति

बीटीसी के प्रमुख प्रमोद बोरो ने कहा, 'मानस और रायमोना नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में शिकारी थे. रायमोना से कम से कम 500 और मानस से 200 से ज्यादा ऐसे शिकारियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और सुरक्षा कार्य में प्रशासन की मदद की है.' बोरो के अनुसार उनका प्रशासन वन स्वयंसेवकों में परिवर्तित हो चुके ऐसे शिकारियों को कृषि, डायरी और अन्य गतिविधियों में लगाने की भी योजना बना रहा है.

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