अलीगढ़ : स्वतंत्रता संग्राम में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व छात्रों का क्या योगदान रहा, इसके लिए मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 'एएमयू फ्रीडम फाइटर गैलरी' की स्थापना की गई है. लाइब्रेरी के एक कक्ष में करीब 150 पूर्व छात्रों की दुर्लभ तस्वीरें व पुस्तकें सहेजी गईं हैं. यह गैलरी यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ-साथ पर्यटकों की पसंद बन रही है.
गैलरी की स्थापना में सहयोग करने वाले एएमयू के पूर्व छात्र डॉ. असद फैसल फारूकी ने बताया कि 'एएमयू फ्रीडम फाइटर गैलरी' मौलाना आजाद लाइब्रेरी में है. भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर इस गैलरी की स्थापना की गई थी. इसमें एएमयू के लगभग ऐसे 150 पूर्व छात्रों की तस्वीरें लगी हुई हैं, जिन्होंने हिंदुस्तान की आजादी में हिस्सा लिया था. उन्होंने बताया कि इनमें मूसा खान शेरवानी, तुफैल अहमद मंगैली, जफर अली खान, शौकत अली, मोहम्मद अली सैयद अली, सैयद महमूद, अब्दुल मजीद ख्वाजा आदि की तस्वीरें शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि यहां पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह की भी तस्वीर लगी हुई है, जिन्होंने 1 दिसंबर 1915 को स्वतंत्र हिंदुस्तान की निर्वासित सरकार के रूप में काबुल में भारत की पहली अनंतिम सरकार की स्थापना की. जिसमें वे स्वयं राष्ट्रपति, मौलवी बरकतुल्लाह प्रधानमंत्री और मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी गृहमंत्री थे. उन्होंने बताया कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से मौलाना आजाद लाइब्रेरी में तस्वीर लगी हुई है, उनके नाम से एएमयू में एक स्कूल भी है और उन पर किताबें भी लिखी गईं. उन्होंने बताया कि इस गैलरी का मकसद है कि यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र जिन्होंने हिंदुस्तान की आजादी में हिस्सा लिया और बड़े कामों को अंजाम दिया जो हिंदुस्तान के हक में थे. उन्होंने कितनी परेशानियों का सामना किया, इन सबके बारे में आज के नौजवानों को बताना गैलरी स्थापना का मकसद है.
उन्होंने बताया कि 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर जैसे मौकों पर न सिर्फ छात्र-छात्राएं बल्कि आम जनता और रिसर्च स्कॉलर भी इस तरह की चीजों को तलाशते हैं. असल में आजकल हम लोग दो तीन फ्रीडम फाइटर को याद रखते हैं, जानते हैं, जबकि इसके पीछे एक लंबी कतार है, जिन्होंने हिंदुस्तान की आजादी में हिस्सा लिया, शहीद हुए और अहम किरदार अदा किया, जेल में कैद हुए इसलिए हमें सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद रखना चाहिए, उनकी कुर्बानियों को याद रखना चाहिए.
एएमयू में ग्रेजुएशन के छात्र मोहम्मद हारीस ने बताया कि मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 'एएमयू फ्रीडम फाइटर गैलरी' में आया हुआ हूं. यहां पर बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें लगी हुईं हैं, जिनको देखकर हम अपने इतिहास को याद कर रहे थे और जानने की कोशिश कर रहे थे कि हिंदुस्तान की आजादी में इनका क्या योगदान है? इस तरह की चीजें बहुत अहम होती हैं, खासतौर से छात्रों के लिए.
इजिप्ट से आए अल अजहर यूनिवर्सिटी के छात्र मोहम्मद तारिक ने बताया कि इस फ्रीडम फाइटर गैलरी की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पर लगी तस्वीर उन लोगों की याद दिलाती है, जिन्होंने हिंदुस्तान की आजादी और शिक्षा जागरूकता के लिए अहम योगदान दिया. यहां आकर मुझे बहुत अच्छा लगा. बहुत खुशी हुई और जितना मैंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बारे में सुना था उससे ज्यादा ही पाया.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र, 'फ्रीडम फाइटर गैलरी' की स्थापना में सहयोगी डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में एएमयू के पूर्व छात्रों और अलीगढ़ के लोगों के लगभग 150 मिलते हैं, जिनमें से लगभग 60 स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर और डिटेल एएमयू की 'फ्रीडम फाइटर गैलरी' में लगाई गई हैं।.
हसरत मोहानी : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, अलीगढ़ में पढ़ाई के दौरान छात्र स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजाया. 1921 में कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने "इंकलाब जिंदाबाद" का नारा लगाया और कई बार जेल गए.
मौलाना सेठ याकूब हसन : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, मौलाना सेठ याकूब हसन ने खिलाफत, असहयोग, सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया. वह मद्रास विधानसभा के सदस्य रहे.
अली बंधु : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, मौलाना शौकत अली और मुहम्मद अली जो खिलाफत आंदोलन के ध्वजवाहक थे. दोनों ने असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. दोनों भाइयों ने अपना जीवन देश और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया.
मौलाना जफर अली खान : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, आज़ादी की लड़ाई का बिगुल पंजाब के लाहौर में बजा था. उनका अखबार ज़मींदार आज़ादी की लड़ाई का प्रतिनिधि था. ज़फ़र अली ख़ान की सरकार ने बार-बार आलोचना की थी और उनके अखबार पर कई बार प्रतिबंध भी लगाया गया.
डॉ. सैयद महमूद : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, बिहार की राजनीति से जुड़े डॉ. सैयद महमूद ने 1916 में लखनऊ समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने खिलाफत और असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. हिन्दू मुस्लिम एकता के समर्थक थे. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आज़ाद के साथ अहमदनगर जेल में कारावास की कठिनाइयां सहन कीं. वह आजादी से पहले और बाद में बिहार में मंत्री रहे. स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू की दूसरी सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
तस्सदुक अहमद खान शेरवानी : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, तस्सदुक अहमद खान शेरवानी अलीगढ़ कॉलेज के एक प्रमुख छात्र थे. उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में भाग लिया. वह गांधीजी और नेहरूजी के करीबी सहयोगियों में से थे. उन्होंने खिलाफत, असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. वे उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख कांग्रेस नेता थे. वह प्रांतीय कांग्रेस यूपी के अध्यक्ष थे.
रफी अहमद किदवई : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, रफी अहमद किदवई कांग्रेस के सबसे बड़े मुस्लिम नेता थे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. स्वतंत्रता के बाद भारत की पहली सरकार में शामिल हुए.
खान अब्दुल गफ्फार खान : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, खान अब्दुल गफ्फार खान ने सभी स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा जेल में बिताया, वह भारत के विभाजन के सख्त खिलाफ थे.
सैयद हुसैन : डॉ. असद फैसल फारूकी के मुताबिक, सैयद हुसैन स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान नेता थे. वह ढाका के मूल निवासी थे और अलीगढ़ में रहते थे. एक असाधारण अंग्रेजी-भाषी और पत्रकार थे. उन्होंने आधा दर्जन राष्ट्रीय स्वतंत्रता समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का संपादन किया. जिनमें बॉम्बे क्रॉनिकल, द इंडिपेंडेंट, इलाहाबाद, इंडिया, लंदन, याद वतन, न्यूयॉर्क आदि शामिल हैं. उन्होंने होम रूल लीग और खिलाफत आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. खिलाफत के लंदन प्रतिनिधिमंडल का एक महत्वपूर्ण सदस्य रहे. वह अमेरिका में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक अग्रणी व्यक्ति थे.
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