रांची: लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है. चुनाव में कई नेताओं और पार्टियों ने लोगों को चौंकाया. झारखंड में भी कई उलटफेर देखने को मिले, कई पार्टियों का प्रदर्शन शानदार रहा. लेकिन जिस पार्टी ने सभी को चौंकाया वह है झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति यानी कि जेबीकेएसएस. जेबीकेएसएस को भले ही पॉलिटिकल पार्टी के रूप में मान्यता नहीं मिली. लेकिन फिर भी संगठन की ओर से 8 लोकसभा सीटों पर निर्दलीय रूप में अपने प्रत्याशी उतारे गए. अंत में जो चुनाव परिणाम आया, उससे यही माना जा रहा है कि जेबीकेएसएस का भविष्य अभी उज्जवल दिख रहा है.
झारखंडी भाषा और खतियान के मुद्दे पर आंदोलन के जरिए राजनीति में प्रवेश करने वाले युवाओं के संगठन झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) को जब इस बार राजनीतिक दल के रूप में मान्यता नहीं मिली. बावजूद उसने गिरिडीह, धनबाद, चतरा, हजारीबाग, दुमका, रांची, सिंहभूम और कोडरमा लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे.
जेबीकेएसएस के छह उम्मीदवार तीसरे स्थान पर
गिरिडीह लोकसभा सीट से जेबीकेएसएस प्रमुख जयराम महतो खुद चुनावी मैदान में उतरे और बाकी सीटों पर उनके साथी चुनाव में उतरे. 4 जून को जब मतगणना हुई तो झारखंड की राजनीति को करीब से जानने-समझने वाले सभी लोग चौंक गए. जेबीकेएसएस के आठ उम्मीदवारों में से छह उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे, जबकि एक उम्मीदवार चौथे और एक उम्मीदवार सातवें स्थान पर रहा.
गिरिडीह में जेबीकेएसएस प्रमुख जयराम महतो ने 03 लाख 47 हजार 322 वोट हासिल किए, जबकि रांची लोकसभा सीट से देवेंद्र नाथ महतो 01 लाख 32 हजार 647 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे. हजारीबाग में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जेबीकेएसएस के संजय मेहता ने 01 लाख 57 हजार 977 वोट हासिल किए.
इसी तरह धनबाद से जेबीकेएसएस की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी एखलाक अंसारी ने 79,653 वोट हासिल कर तीसरा स्थान, सिंहभूम लोकसभा सीट से दामोदर सिंह हांसदा ने 44,292 वोट हासिल कर तीसरा स्थान और कोडरमा लोकसभा सीट से मनोज यादव ने 28,612 वोट हासिल कर तीसरा स्थान हासिल किया.
दुमका लोकसभा सीट से बेबी लता टुडू ने 19,360 वोट हासिल कर चौथा स्थान हासिल किया, जबकि चतरा में दीपक गुप्ता 12,565 वोट पाकर सातवें स्थान पर रहे. पहली बार चुनावी मैदान में उतरे जेबीकेएसएस प्रत्याशियों को कुल 8,22,428 वोट मिले, जिसका औसत प्रति प्रत्याशी एक लाख से अधिक है.
झामुमो ने माना जेबीकेएसएस के कारण हुआ नुकसान
चुनाव में शानदार प्रदर्शन को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों से उनकी प्रतिक्रिया ली गई. जिस पर झामुमो ने इसे झारखंड की राजनीति में जेबीकेएसएस का क्षणिक उदय माना. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने माना कि महतो समुदाय और खासकर उस समुदाय के युवाओं में जयराम महतो की बढ़ती पकड़ और 08 लोकसभा सीटों पर जेबीकेएसएस की उम्मीदवारी से पार्टी को कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन यह अस्थायी है.
मनोज पांडेय ने कहा कि जयराम महतो और उनके साथियों ने जिस तरह से राज्य की मौजूदा सरकार के खिलाफ भ्रम फैलाया, उससे नुकसान जरूर हुआ है, जबकि सच्चाई यह है कि पहले हेमंत सोरेन और बाद में चंपाई सोरेन की सरकार ने झारखंडी भाषा और खतियानी लोगों के सम्मान के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. झामुमो नेता ने माना कि जेबीकेएसएस से हुए नुकसान का वे सही आकलन नहीं कर पाए. अब विधानसभा चुनाव से पहले सारा डैमेज कंट्रोल कर लिया जाएगा.
भाजपा और कांग्रेस ने की प्रशंसा
वहीं इस पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि कुछ लड़कों ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है. लोकतंत्र के लिए यह अच्छी बात है कि लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी हो, लेकिन यह भी देखना होगा कि उनके पास राज्य के विकास के लिए कोई ब्लू प्रिंट है या नहीं.
जेकेबीएसएस के बारे में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि जिसे भी लगे कि वह जनता का विश्वास जीत सकता है, वह लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बन सकता है. ऐसे में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय क्या होगा, यह उस समय की परिस्थितियों से तय होगा.
जेकेबीएसएस के केंद्रीय उपाध्यक्ष और कोडरमा से लोकसभा प्रत्याशी मनोज यादव ने ईटीवी भारत से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि भले ही हम लोकसभा सीट नहीं जीत पाए, लेकिन अपनी मजबूत स्थिति से हमने भाजपा और झामुमो को यह संदेश जरूर दे दिया है कि अब झारखंडी भाषा और खतियानी के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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