रुद्रप्रयाग: तुंगनाथ घाटी के ताला तोक में लगातार भूस्खलन जारी रहने से आपदा प्रभावित सहमे हुए हैं. ताला तोक का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ गया है. आकाश कामिनी नदी के उफान में आने के कारण ताला-दुर्गाधार मोटर पुल भी खतरे की जद में आ गया है. नेशनल हाईवे की ओर से ताला तोक में वाहनों की आवाजाही सुचारू तो कर दी है, लेकिन मोटर मार्ग पर भी लगातार भूस्खलन होने से वाहनों की आवाजाही करना जोखिम भरा है.
निचले हिस्से में भूस्खलन, ऊपरी हिस्सों में दरारें: ताला तोक के निचले हिस्से में भूस्खलन होने और ऊपरी हिस्से में दरारें पड़ने से ताला तोक के शेष हिस्से में कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है. साल 2021 की विस्थापन सूची से छूटे आपदा प्रभावित विवश होकर खतरे की जद में आए स्थानों पर रात गुजारने के लिए विवश हैं. भूस्खलन के कारण काश्तकारों की कई हेक्टेयर सिंचित और असिंचित भूमि के साथ फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. काश्तकारों के ज्यादातर खेतों के भूस्खलन की भेंट चढ़ने से काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है.
व्यापारियों का कारोबार चौपट: आने वाले समय में यदि ताला तोक में हो रहे भूस्खलन की रोकथाम नहीं की गई तो भविष्य में ताला तोक का बहुत बड़ा हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ सकता है. ताला तोक में लगातार भूस्खलन होने से दुकानों, ढाबों और टैंटो के चपेट में आने के कारण व्यापारियों को भी खासा नुकसान हुआ है. व्यापारियों का कारोबार प्रभावित होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
आपदा प्रभावित प्रतिपाल सिंह बजवाल ने बताया कि ताला तोक में लगातार भूस्खलन जारी रहने से साल 2021 की विस्थापन सूची से छूटे परिवार जीवन और मौत के साये में जीवन यापन करने के लिए विवश हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि साल 2021 की विस्थापन की सूची में जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की ओर से भेदभाव नहीं किया जाता तो आज विस्थापन सूची से वंचित परिवारों को जर्जर मकानों में रहने के लिए विवश नहीं होना पड़ता.
वहीं, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य इमला देवी ने कहा कि आसमान में बादल छाते ही आपदा प्रभावितों की मुश्किलें बढ़ने लगती है. शाम ढलते ही आपदा प्रभावित सुरक्षित स्थानों की तलाश करने पर मजबूर हो जाते हैं. पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य करोखी नंदन सिंह रावत ने आरोप लगाते हुए बताया कि साल 2022 में सिंचाई विभाग ने ताला तोक निचले हिस्से और आकाश कामिनी नदी के किनारे 1 करोड़ 48 लाख की लागत से चेक डैम बनाए, लेकिन गुणवत्ता को दरकिनार किया गया.
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