पटनाः बिहार में दलितों के बड़े नेता श्याम रजक इन दिनों फिर चर्चा में हैं. दरअसल श्याम ने एक बार फिर पाला बदल लिया है और लालू का साथ छोड़ दिया है और 1 सितंबर को जेडीयू ज्वाइन करेंगे. 6 बार के विधायक और 14 साल तक बिहार के मंत्री रहे श्याम रजक की सियासत में आने की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में श्याम रजक ने अपने पांच दशक के सियासी सफर के अनुभवों को साझा किया.
सियासत में नहीं होते तो आर्मी में ऑफिसर बने होते: दलित समाज से आनेवाले श्याम रजक पढ़ाई में होशियार थे और आर्मी में ऑफिसर बनना चाहते थे. उन्होंने NDA की परीक्षा क्लीयर भी कर ली थी और उन्हें ट्रेनिंग के लिए खड़गवासला जाना था लेकिन तब देश में जेपी आंदोलन चल रहा था और श्याम रजक भी उस आंदोलन का हिस्सा थे. लिहाजा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
"हम कहते रह गये कि लेकिन पुलिस नहीं मानी. उस समय राधा सिंह एसडीओ थीं और आरडी सुवर्णो एएसपी थे और सुवर्णो का उस समय आतंक था. उन दोनों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद जेल चले गये. जिसके कारण ट्रेनिंग के लिए खगड़वासला नहीं जा पाए.मुझे आज भी अफसोस है कि मैं नहीं जा सका वरना मैं बड़ा ऑफिसर बना रहता.मेरे कई दोस्त आर्मी में बड़े अधिकारी रहे हैं."- श्याम रजक, पूर्व मंत्री
जेपी आंदोलन से सियासत में प्रवेशः श्याम रजक ने राजनीति में आने से पहले लंबा संघर्ष किया है. जेपी आंदोलन से निकलकर श्याम रजक बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए. जब राजनीति में आए तब देश की सियासत में अलग छवि रखनेवाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ लंबे समय तक काम किया.
"चंद्रशेखर जी के साथ लंबे संघर्ष की गाथा है. चाहे भारत यात्रा हो या फिर अमृतसर से दिल्ली की यात्रा हो या फिर भूख से मर रहे लोगों के लिए कालाहांडी से दिल्ली तक की यात्रा. मैं चंद्रशेखर जी के साथ रहा. उसके बाद फिर लालू जी के साथ काम करने का मौका मिला. उनके मंत्रिमंडल में काम किया.जीतनराम मांझी के मंत्रिमंडल में काम किया और फिर नीतीश जी के साथ भी मंत्रिमंडल में रहा. फुलवारी शरीफ से 6 बार विधायक रहा."-श्याम रजक, पूर्व मंत्री
परिवार की लॉन्ड्री दुकान भी चलाते थेः श्याम रजक पढ़ाई और सियासत में होशियार तो थे ही, घर के कामकाज में भी हाथ बंटाते थे.श्याम रजक का कहना है कि राजधानी पटना के सब्जी बाग में उनका घर था. उनके बड़े भाई लॉन्ड्री की दुकान चलाते थे. उस दुकान में वो भी बैठते थे और दुकान चलाते थे.
फुलवारीशरीफ से है खास नाताः पटना के सब्जीबाग के रहनेवाले श्याम रजक का फुलवारीशरीफ से खास नाता रहा है. श्याम रजक 1995 में पहली बार फुलवारीशरीफ से ही विधायक बने. फुलवारीशरीफ की जनता के बीच श्याम रजक की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है उन्होंने वहां से 6 बार जीत दर्ज की. हालांकि 2020 में उन्हें आरजेडी ने टिकट नही दिया और वे चुनाव नहीं लड़ पाए.
कभी लालू तो कभी नीतीश में दिखाई आस्थाः एक जमाना था जब आरजेडी में रामकृपाल यादव और श्याम रजक की जोड़ी राम-श्याम के रूप में प्रसिद्ध थी. लेकिन 2009 में ये जोड़ी उस समय बिखर गयी जब श्याम रजक ने लालू का साथ छोड़ जेडीयू ज्वाइन कर ली. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले रामकृपाल ने भी लालू को बाय-बाय बोलकर बीजेपी का कमल थाम लिया.
2019 में बदला पालाः 2009 में नीतीश के साथ आने के बाद श्याम रजक अपने पुराने नेता लालू प्रसाद पर काफी हमलावर रहे, लेकिन 10 साल बाद फिर उनका लालू प्रेम जाग उठा और नीतीशजी के तीर को छोड़कर लालू की लालटेन थाम ली. हालांकि आरजेडी ने श्याम रजक को फुलवारीशरीफ से विधानसभा का टिकट नहीं दिया.
4 साल में लालू से हुआ मोहभंगः आरजेडी में श्याम रजक की दूसरी पारी कुछ खास नहीं रही. लालू परिवार के युवा नेतृत्व के साथ श्याम रजक कभी सहज नहीं नजर आए. आज भी वो लालू प्रसाद की नीतियों की तारीफ करते हैं और उन्हें गरीबों की जुबान बताते हैं, लेकिन उसके साथ वो ये भी जोड़ देते हैं कि वो बात पुरानी हो गयी. तेजस्वी के बारे में पूछे जाने पर वो ज्यादा बोलने से परहेज करते हैं. हां, ये जरूर नसीहत देते हैं कि नेताओं की कथनी-करनी में फर्क नहीं होना चाहिए.
"लालू जी एक समय गरीबों की जुबान थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से स्थिति बदल चुकी है. सत्ता सेवा के लिए होती है लेकिन अब वहां व्यवसाय हो चुका है. तेजस्वी को तो मैंने गोद में खिलाया है तो उनके बारे में कुछ कहना उचित नहीं समझता. हां उनको अपना सियासी लक्ष्य गरीबों को ध्यान में रखकर तय करना होगा."-श्याम रजक, पूर्व मंत्री
बिहार को विकास की राह पर लाए नीतीशः लालू और नीतीश में से बिहार के विकास को लेकर किसने काम किया है ? इस पर श्याम रजक का साफ कहना है कि नीतीश कुमार बिहार को विकास के रास्ते पर लेकर आए हैं, लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है. इसलिए नहीं कह रहा हूं कि मैं उनके साथ जा रहा हूं.
" देखिये ! नीतीशजी ने तो निश्चित तौर पर बदला है. उनके साथ तीन-तीन बार मंत्री पद संभाला.काम करने का अनुभव भी रहा है उनके साथ. बिहार को बदलने में नीतीश कुमार की एक भूमिका है.पूरी तरह से बदला नहीं है अभी बहुत कुछ बाकी है.मंजिल अभी बहुत दूर है लेकिन नीतीशजी बिहार को एक आगे की कतार में लेकर आए हैं."-श्याम रजक, पूर्व मंत्री
मित्र की बहन को दिल दे बैठे: श्याम रजक ने अलका वर्मा से लव मैरिज की है. अलका वर्मा मुंबई में रहती थीं और वो श्याम रजक की मित्र की बहन थीं.उस दौरान श्याम रजक का मुंबई आना-जाना होता था. मित्र से मिलने या जरूरी काम को लेकर भी जब मुंबई जाते थे उस दौरान ही दोनों के बीच प्यार पनपा.अलका वर्मा कायस्थ समाज से हैं और श्याम रजक दलित वर्ग से. बावजूद इसके दोनों का प्यार परवान चढ़ा और फिर दोनों एक-दूजे के हो गये.
नीतीश के साथ नयी पारी की शुरुआतः अपने तीखे तेवर के लिए जाने जानेवाले श्याम रजक कभी लालू प्रसाद तो कभी नीतीश कुमार के साथ बिहार की राजनीति करते रहे हैं. 2020 में उन्हें लगा कि टिकट कट जाएगा इसलिए जेडीयू छोड़कर आरजेडी में चले गए थे. इस बार भी उन्हें लग रहा था कि आरजेडी में फिर से टिकट नहीं मिलेगा तो नीतीश कुमार के साथ आ रहे हैं और खुलकर कह रहे हैं कि फुलवारीशरीफ से चुनाव जरूर लड़ेंगे.
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