पटनाः बिहार के एक छोटे से जिले जमुई की धरती से पैदा होकर देश-दुनिया में अपना दम दिखानेवाले कराटे चैंपियन जाबिर अंसारी एक अदद सरकारी नौकरी के लिए तरस रहे हैं. उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बिहार सरकार उन्हें अभी तक 4 बार खेल सम्मान से भी नवाज चुकी है. ऐसे में जाबिर का सवाल है कि आखिर कराटे खिलाड़ियों के लिए बिहार सरकार के पास नौकरी क्यों नहीं है ?
जाबिर ने बयां किया अपना दर्दः बिहार सरकार से नौकरी की आस लगाए बैठे इस कराटे चैंपियन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपने दिल का दर्द बयां किया. जाबिर ने कहा कि" मेरा बिहार सरकार से यही निवेदन है कि सरकार का खेल विभाग हमें खेल सम्मान के लिए तो चयनित करता है लेकिन जब नौकरी की बात आती है तो कहता है कि आपका गेम कराटे के लिए कोटो नहीं है. खिलाड़ियों के साथ दोहरी नीति क्यों अपना रही है सरकार ?"
" मुझे 2018 ,2021 2022 और 2023 में खेल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.इस साल खेल सम्मान समारोह के लिए भी चयन कर लिया गया है. फिर खेल विभाग मेरे साथ दोहरी नीति क्यों अपना रहा है ? बिहार सरकार से आग्रह है कि जिस तरह से मुझे खेल सम्मान समारोह में बुलाकर सम्मानित किया जाता है, उसी प्रकार मेडल लाओ नौकरी पाओ के तहत नौकरी दी जाय." जाबिर अंसारी, अंतरराष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी
100 से ज्यादा मेडल जीत चुके हैं साबिरः सात बार के बिहार स्टेट चैंपियन रहे जाबिर अंसारी अभी तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 100 से ज्यादा मेडल जीत चुके हैं, जिसमें कई गोल्ड मेडल भी शामिल हैं. अभी हाल ही में नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप में भी जाबिर ने अपने पंच और किक से विरोधी खिलाड़ियों को पस्त कर पदक पर कब्जा किया.
फिल्म सौगंध देखकर मिली प्रेरणाः अपने प्रदर्शन से जमुई और पूरे बिहार का नाम रोशन करनेवाले जाबिर को कराटे खिलाड़ी बनने की प्रेरणा मिली फिल्म सौगंध से, 1991 में रिलीज हुई बॉलीवुड की इस फिल्म के हीरो अक्षय कुमार कराटे करते हुए नजर आए थे. इस फिल्म को देखने के बाद जाबिर को कराटे सीखने की लगन लगी और अब जाबिर कराटे की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं. जाबिर ने 2015 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पहली बार मेडल हासिल किया और उसके बाद अभी तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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