पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत पक्षों को वैवाहिक जीवन जीने का निर्देश देकर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. पत्नी ने अपने पति के विरुद्ध आईपीसी की धारा 498ए/341/323/504/34 एवं दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज कराया था.
पटना हाई कोर्ट का निर्देश : कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इस आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दे सकता कि पति अपनी पत्नी को ले जाएगा और उसे छह महीने तक अपने साथ रखेगा. छह महीने के बाद, अगर पत्नी को पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं होती है, तो जमानत के आदेश की पुष्टि की जाएगी. पति ने हाई कोर्ट की पीठ के समक्ष अग्रिम जमानत की प्रार्थना की थी. हाई कोर्ट की एक पीठ द्वारा अंतरिम जमानत का आदेश इस शर्त पर दिया गया था कि पक्ष विवाद के सुलह के लिए प्रयास करेंगे.
जस्टिस विवेक चौधरी ने कहा कि ''अग्रिम जमानत के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती, जिसमें आरोपी को वास्तविक शिकायतकर्ता के साथ शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बहाल करने का निर्देश दिया जाए.'' पटाना हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी आरोपी को सीआरपीसी की धारा 41(ए) के अनुपालन के बिना आईपीसी की धारा 498ए के तहत अपराध में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
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