पटना : पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सामान्य प्रशासन विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत गया नगर निगम के मेयर वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान को पासवान जाति के बजाय बंगाली जाति का घोषित किया गया था. जस्टिस राजीव राय ने वीरेंद्र कुमार की याचिका पर सुनवाई कर 4 सितम्बर 2024 को निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने आज सुनाया.
वीरेंद्र कुमार को HC से बड़ी राहत : इसके साथ ही कोर्ट ने 03 जून 2024 की संयुक्त जांच रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जो सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई थी. इसमें कहा गया था कि इस समिति का गठन अवैध तरीके से किया गया था. स्थानीय पुलिस को जाति जांच के मामलों में जांच नहीं करनी चाहिए थी, क्योंकि दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह काम सतर्कता प्रकोष्ठ द्वारा किया जाना चाहिए.
2017 में मेयर बनने के बाद फिर लड़े थे चुनाव : वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने याचिकाकर्ता वीरेंद्र कुमार की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि वीरेंद्र कुमार ने नगर निगम का चुनाव लड़ा था. वर्ष 2022 में गया नगर निगम के मेयर चुने गए थे. गया नगर निगम में मेयर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. याचिकाकर्ता वर्ष 2017 में भी मेयर चुने गए थे और उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद वर्तमान चुनाव लड़ा था. याचिकाकर्ता को 39,910 वोट मिले, जबकि शिकायतकर्ता (प्रतिवादी संख्या 9) को 36,083 वोट मिले.
कौन-कौन अधिवक्ताओं ने रखा पक्ष ? : उन्होंने याचिकाकर्ता के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग में मामला दायर किया था. वरीय अधिवक्ता पुष्कर नारायण शाही ने प्रतिवादी की तरफ से कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. 4 सितंबर 2024 को सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया था, जिसे आज सुनाया गया. याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव व अधिवक्ता मयूरी और प्रतिवादी की ओर से वरीय अधिवक्ता पी एन शाही ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को रखा. राज्य चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता रवि रंजन ने पक्षों को कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया.
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