पटना : पटना हाईकोर्ट ने 100 वर्ष से ज्यादा पुराना डाकबंगला चौराहा स्थित यूसुफ बिल्डिंग को तोड़ने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिल्डिंग स्थित सभी दुकानों को एक सप्ताह के भीतर खाली करने का आदेश भी दिया है. यही नहीं, तय समय सीमा के भीतर दुकान खाली नहीं किये जाने पर निगम को दुकान खाली कराने की पूरी छूट दी है.
यूसुफ बिल्डिंग को तोड़ने का आदेश : चीफ जस्टिस के विनोद चन्द्रन और जस्टिस नानी तागीया की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है. अदालत ने दुकानदार प्रकाश स्टूडियो एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद खारिज करते हुये एकलपीठ के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.
चिट्ठी लिखकर की थी कार्रवाई की मांग : गौरतलब है कि प्रतिवादी अफजल अमानुल्लाह ने पटना नगर निगम के आयुक्त को पत्र भेजकर सौ वर्ष पुराना बिल्डिंग की जांच कर तोड़ने की अनुमति देने की गुहार लगाई. पत्र में कहा गया कि भवन लगभग 100 वर्ष पुराना है और इसके भूतल पर बाहरी हिस्से को छोड़कर, पूरा भवन पिछले चार वर्षों से खाली पड़ा है.
निगम ने बिल्डिंग को तोड़ने की अनुमति दी : संरचना की स्थिति और सुरक्षा के संबंध में निगम के इंजीनियरों से पूरे भवन का निरीक्षण कराने और भवन तोड़ने के समय आवश्यक कदम उठाए जाने की बात कही, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे. ये भवन सबसे ज्यादा व्यस्त सड़क डाकबंगला चौराहा के सड़क के किनारे सार्वजनिक फुटपाथ से सटा हुआ स्थित है. निगम ने बिल्डिंग को तोड़ने की अनुमति दे दी.
'मिलीभगत के आरोप का कोई सबूत नहीं' : कोर्ट ने माना कि विध्वंस का मामला किसी भी तरह से किरायेदारों को बेदखल करने का प्रयास नहीं है. कोर्ट ने कहा कि मिलीभगत के आरोप का कोई सबूत नहीं है. भवन के मालिक केवल भवन को ध्वस्त करने की मांग किये हैं और यदि कोई नया निर्माण प्रस्तावित है, तो निश्चित रूप से पहले के किरायेदारों को ऐसी बदली हुई शर्तों पर पुनः कब्जा और कब्जे का अधिकार होगा.
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