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पटना हाईकोर्ट ने चैनपुर पंचायत प्रमुख की बहाली का आदेश किया रद्द, डीएम के निर्णय पर जतायी हैरानी - Patna High Court

Chainpur pramukh कैमूर के चैनपुर पंचायत समिति के प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. 15 उपस्थित सदस्य में 11 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़े थे. प्रमुख को पद पर से हटा दिया गया. वो जिलाधिकारी के पास अपील में गयी. जिलाधिकारी ने अपील को मंजूर करते हुए प्रखंड प्रमुख के पद पर बहाल कर दिया. मामला हाईकोर्ट पहुंचा. जहां कोर्ट ने डीम के फैसले पर हैरानी जताते हुए उसके आदेश को निरस्त कर दिया. पढ़िये, क्या है पूरा मामला.

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 1, 2024, 9:38 PM IST

पटनाः पटना हाईकोर्ट ने कैमूर के चैनपुर पंचायत समिति के प्रमुख के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश पर हैरानी जतायी. टिप्पणी की कि जिलाधिकारी एक जिले के प्रशासनिक हेड होते हैं, वो इस तरह का आदेश पारित करते हैं. जस्टिस राजीव राय ने रिंकू देवी सहित उक्त प्रखंड के 11 सदस्यों की ओर से दायर रिट याचिका को मंजूर करते हुए यह निर्णय सुनाया.

क्या है मामलाः मामला चैनपुर प्रखंड का है. तत्कालीन प्रमुख मधुबाला देवी को हटाने हेतु अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. मधुबाला इसी वर्ष 3 जनवरी को प्रमुख निर्वाचित हुई थी. 15 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव में मौजूद 15 सदस्यों में 11 ने बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया. प्रमुख की अपील को जिलाधिकारी ने यह कहते हुए मंजूर किया कि बहुमत पंचायत समिति के कुल सदस्यों के 50 फीसदी से अधिक होनी चाहिए.

जिलाधिकारी के आदेशः जिलाधिकारी ने कहा कि 11 पड़े वोटों में एक को अमान्य था. कुल 10 वोट ही अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में माना जाएगा. चैनपुर प्रखंड समिति में कुल 21 सदस्य हैं. इसलिए इनका 50 प्रतिशत 11 होगा. चूंकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए पड़े 11 वोट में से 10 वोट ही मान्य है. इसलिए अविश्वास प्रस्ताव जो पारित किया गया था उसे खारिज कर दिया गया.

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलः याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि कैमूर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने हटाए गए प्रमुख को वापस बहाल करने के लिए उस सिद्धांत का सहारा लिया, जिसे हाई कोर्ट की खंडपीठ तीन साल पहले ही नकार चुकी थी. डीएम ने राज्य निर्वाचन आयोग के एक डेढ़ दशक पुराने उस परिपत्र को अपना निर्णय का आधार बनाया, जो अब कोर्ट आदेश के कारण अप्रभावी हो चुका है.

क्या है नियमः अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि 2021 में ही हाई कोर्ट ने धर्मशिला देवी बनाम हेमंत कुमार के मामले में पंचायती राज कानू के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए यह तय किया था कि प्रमुख को हटाने हेतु लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए जो बहुमत चाहिए, वो मतदान के दिन मौजूद सदस्यों के 50 फीसदी से अधिक होनी चाहिए. इस प्रकार डीएम ने हाई कोर्ट से तय किए हुए कानूनी सिद्धांत के खिलाफ जाकर निर्णय लिया और प्रमुख को उसके पद पर बहाल किये रखा.

इसे भी पढ़ेंः राज्य में निबंधित व योग्य फार्मासिस्ट नहीं, HC में 23 अगस्त को होगी सुनवाई - Hearing in Patna High Court

पटनाः पटना हाईकोर्ट ने कैमूर के चैनपुर पंचायत समिति के प्रमुख के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश को निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश पर हैरानी जतायी. टिप्पणी की कि जिलाधिकारी एक जिले के प्रशासनिक हेड होते हैं, वो इस तरह का आदेश पारित करते हैं. जस्टिस राजीव राय ने रिंकू देवी सहित उक्त प्रखंड के 11 सदस्यों की ओर से दायर रिट याचिका को मंजूर करते हुए यह निर्णय सुनाया.

क्या है मामलाः मामला चैनपुर प्रखंड का है. तत्कालीन प्रमुख मधुबाला देवी को हटाने हेतु अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. मधुबाला इसी वर्ष 3 जनवरी को प्रमुख निर्वाचित हुई थी. 15 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव में मौजूद 15 सदस्यों में 11 ने बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया. प्रमुख की अपील को जिलाधिकारी ने यह कहते हुए मंजूर किया कि बहुमत पंचायत समिति के कुल सदस्यों के 50 फीसदी से अधिक होनी चाहिए.

जिलाधिकारी के आदेशः जिलाधिकारी ने कहा कि 11 पड़े वोटों में एक को अमान्य था. कुल 10 वोट ही अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में माना जाएगा. चैनपुर प्रखंड समिति में कुल 21 सदस्य हैं. इसलिए इनका 50 प्रतिशत 11 होगा. चूंकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए पड़े 11 वोट में से 10 वोट ही मान्य है. इसलिए अविश्वास प्रस्ताव जो पारित किया गया था उसे खारिज कर दिया गया.

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलः याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि कैमूर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने हटाए गए प्रमुख को वापस बहाल करने के लिए उस सिद्धांत का सहारा लिया, जिसे हाई कोर्ट की खंडपीठ तीन साल पहले ही नकार चुकी थी. डीएम ने राज्य निर्वाचन आयोग के एक डेढ़ दशक पुराने उस परिपत्र को अपना निर्णय का आधार बनाया, जो अब कोर्ट आदेश के कारण अप्रभावी हो चुका है.

क्या है नियमः अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि 2021 में ही हाई कोर्ट ने धर्मशिला देवी बनाम हेमंत कुमार के मामले में पंचायती राज कानू के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए यह तय किया था कि प्रमुख को हटाने हेतु लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए जो बहुमत चाहिए, वो मतदान के दिन मौजूद सदस्यों के 50 फीसदी से अधिक होनी चाहिए. इस प्रकार डीएम ने हाई कोर्ट से तय किए हुए कानूनी सिद्धांत के खिलाफ जाकर निर्णय लिया और प्रमुख को उसके पद पर बहाल किये रखा.

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