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Ground Report : विकास की राह देखता पटना का एक हिस्सा, बदबूदार नहर पर चचरी पुल से आवाजाही को मजबूर हैं लोग - patna chachari pul

Patna Chachari Pul: कहने को तो ये बिहार की राजधानी पटना का हिस्सा है लेकिन ये इलाका विकास के उजाले से अभी कोसों दूर है. तभी तो अच्छी सड़कों और फ्लाईओवर वाले शहर में अभी भी इस इलाके के लोग बांस-बल्ली से बने चचरी पुल से आवाजाही करने को मजबूर हैं, पढ़िये पूरी खबर

चचरी पुल से आवाजाही की मजबूरी
चचरी पुल से आवाजाही की मजबूरी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 11, 2024, 6:38 AM IST

विकास की बाट देखता राजधानी का एक इलाका

पटनाः एक नहर जो अब बड़े-से बदबूदार नाले में तब्दील हो गयी है और उस पर बना चचरी पुल. मजबूरी कब जरूरत बन जाती है, राजधानी पटना के इस इलाके में आते ही आपको ये समझ में आ जाएगा. ये इलाका है राजधानी पटना के पाटलिपुत्र स्टेशन के ठीक पीछे जहां रह रहे लोगों के लिए बदबूदार नहर पर बने चचरी पुल ही लाइफलाइन बन गये हैं.

आवाजाही का एकमात्र साधन चचरी पुल: इस इलाके में सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ियां नजर आएंगी, जिसमें कई सालों से हजारों लोग रह रहे हैं. इलाके में बह रही नहर के ऊपर शानदार एलिवेटेड रोड भी बना है लेकिन उसके नीचे रह रहे लोगों के लिए चचरी के पुल ही आवाजाही के साधन हैं. बाजार जाना हो, अस्पताल जाना हो, बच्चों को स्कूल जाना हो जरिया चचरी पुल ही है.

चचरी पुल मजबूरी है लेकिन जरूरी है
चचरी पुल मजबूरी है लेकिन जरूरी है

पार करते समय हादसे का डरः चचरी पुल से पार करते लोगों के साथ कई हादसे भी हो चुके हैं. इलाके के कई बच्चे भी हादसे के शिकार हो चुके हैं. लेकिन चचरी पुल इस इलाके के लोगों के लिए मजबूरी भी है और जरूरी भी है. कहने को तो ये राजधानी पटना का इलाका है लेकिन हालत ऐसी कि विकास का नामोनिशान तक नहीं है.

हर वक्त रहता है हादसे का डर
हर वक्त रहता है हादसे का डर

सालों से रह रहे हैं लोगः ऐसा नहीं है कि इन लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं है या फिर ये लोग वोटिंग नहीं करते हैं. इलाके में रह रहे लोगों का कहना है कि "करीब 50 सालों से वे इस इलाके में रह रहे हैं. इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड सब कुछ है. लेकिन रहने को घर नहीं है. इसलिए झोपड़ी नुमा घर में नाले के ऊपर रहते हैं और वही बांस बल्ली के सहारे चचरी का पुल बनाकर रोड पर जाने आने का रास्ता बना रखा है."

राजधानी में चचरी पुल ही सहारा है
राजधानी में चचरी पुल ही सहारा है

'सरकार ने बसाने का किया था वादा': लोगों का कहना है कि "2012 में सरकार ने कहा था कि इलाके के लोगों को जमीन देकर बसाया जाएगा. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. साल पर साल बदलते गये और उनकी जिंदगी इन्हीं झोपड़ियों में चलती रही. बरसात के मौसम में तो हालत और बदतर हो जाती है. पूरा इलाका पानी-पानी हो जाता है और आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.''

चचरी पुल से आवाजाही की मजबूरी
कुछ इस तरह से नहर पर बना है चचरी पुल

ये भी पढ़ेंःमुद्दतों बाद भी सिसवा घाट पर नहीं बन सका पुल, चुनाव का रहता है इंतजार, अब तक 3 MLA और 4 MP बदल गये - Chachari Bridge In Bagaha

ये भी पढ़ेंः77 सालों का इंतजार अब और नहीं, 4 लाख के चंदे से ग्रामीणों ने कराया चचरी पुल का निर्माण

विकास की बाट देखता राजधानी का एक इलाका

पटनाः एक नहर जो अब बड़े-से बदबूदार नाले में तब्दील हो गयी है और उस पर बना चचरी पुल. मजबूरी कब जरूरत बन जाती है, राजधानी पटना के इस इलाके में आते ही आपको ये समझ में आ जाएगा. ये इलाका है राजधानी पटना के पाटलिपुत्र स्टेशन के ठीक पीछे जहां रह रहे लोगों के लिए बदबूदार नहर पर बने चचरी पुल ही लाइफलाइन बन गये हैं.

आवाजाही का एकमात्र साधन चचरी पुल: इस इलाके में सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ियां नजर आएंगी, जिसमें कई सालों से हजारों लोग रह रहे हैं. इलाके में बह रही नहर के ऊपर शानदार एलिवेटेड रोड भी बना है लेकिन उसके नीचे रह रहे लोगों के लिए चचरी के पुल ही आवाजाही के साधन हैं. बाजार जाना हो, अस्पताल जाना हो, बच्चों को स्कूल जाना हो जरिया चचरी पुल ही है.

चचरी पुल मजबूरी है लेकिन जरूरी है
चचरी पुल मजबूरी है लेकिन जरूरी है

पार करते समय हादसे का डरः चचरी पुल से पार करते लोगों के साथ कई हादसे भी हो चुके हैं. इलाके के कई बच्चे भी हादसे के शिकार हो चुके हैं. लेकिन चचरी पुल इस इलाके के लोगों के लिए मजबूरी भी है और जरूरी भी है. कहने को तो ये राजधानी पटना का इलाका है लेकिन हालत ऐसी कि विकास का नामोनिशान तक नहीं है.

हर वक्त रहता है हादसे का डर
हर वक्त रहता है हादसे का डर

सालों से रह रहे हैं लोगः ऐसा नहीं है कि इन लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं है या फिर ये लोग वोटिंग नहीं करते हैं. इलाके में रह रहे लोगों का कहना है कि "करीब 50 सालों से वे इस इलाके में रह रहे हैं. इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड सब कुछ है. लेकिन रहने को घर नहीं है. इसलिए झोपड़ी नुमा घर में नाले के ऊपर रहते हैं और वही बांस बल्ली के सहारे चचरी का पुल बनाकर रोड पर जाने आने का रास्ता बना रखा है."

राजधानी में चचरी पुल ही सहारा है
राजधानी में चचरी पुल ही सहारा है

'सरकार ने बसाने का किया था वादा': लोगों का कहना है कि "2012 में सरकार ने कहा था कि इलाके के लोगों को जमीन देकर बसाया जाएगा. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. साल पर साल बदलते गये और उनकी जिंदगी इन्हीं झोपड़ियों में चलती रही. बरसात के मौसम में तो हालत और बदतर हो जाती है. पूरा इलाका पानी-पानी हो जाता है और आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.''

चचरी पुल से आवाजाही की मजबूरी
कुछ इस तरह से नहर पर बना है चचरी पुल

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