पटनाः एक नहर जो अब बड़े-से बदबूदार नाले में तब्दील हो गयी है और उस पर बना चचरी पुल. मजबूरी कब जरूरत बन जाती है, राजधानी पटना के इस इलाके में आते ही आपको ये समझ में आ जाएगा. ये इलाका है राजधानी पटना के पाटलिपुत्र स्टेशन के ठीक पीछे जहां रह रहे लोगों के लिए बदबूदार नहर पर बने चचरी पुल ही लाइफलाइन बन गये हैं.
आवाजाही का एकमात्र साधन चचरी पुल: इस इलाके में सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ियां नजर आएंगी, जिसमें कई सालों से हजारों लोग रह रहे हैं. इलाके में बह रही नहर के ऊपर शानदार एलिवेटेड रोड भी बना है लेकिन उसके नीचे रह रहे लोगों के लिए चचरी के पुल ही आवाजाही के साधन हैं. बाजार जाना हो, अस्पताल जाना हो, बच्चों को स्कूल जाना हो जरिया चचरी पुल ही है.
पार करते समय हादसे का डरः चचरी पुल से पार करते लोगों के साथ कई हादसे भी हो चुके हैं. इलाके के कई बच्चे भी हादसे के शिकार हो चुके हैं. लेकिन चचरी पुल इस इलाके के लोगों के लिए मजबूरी भी है और जरूरी भी है. कहने को तो ये राजधानी पटना का इलाका है लेकिन हालत ऐसी कि विकास का नामोनिशान तक नहीं है.
सालों से रह रहे हैं लोगः ऐसा नहीं है कि इन लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं है या फिर ये लोग वोटिंग नहीं करते हैं. इलाके में रह रहे लोगों का कहना है कि "करीब 50 सालों से वे इस इलाके में रह रहे हैं. इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड सब कुछ है. लेकिन रहने को घर नहीं है. इसलिए झोपड़ी नुमा घर में नाले के ऊपर रहते हैं और वही बांस बल्ली के सहारे चचरी का पुल बनाकर रोड पर जाने आने का रास्ता बना रखा है."
'सरकार ने बसाने का किया था वादा': लोगों का कहना है कि "2012 में सरकार ने कहा था कि इलाके के लोगों को जमीन देकर बसाया जाएगा. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. साल पर साल बदलते गये और उनकी जिंदगी इन्हीं झोपड़ियों में चलती रही. बरसात के मौसम में तो हालत और बदतर हो जाती है. पूरा इलाका पानी-पानी हो जाता है और आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.''
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