मंदसौर। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग के क्षरण के मामले के बाद अब मंदसौर के भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा में दरार आने का मामला उठने लगा है. सावन माह के पहले सोमवार को बीजेपी के पूर्व बीजेपी विधायक यशपाल सिसौदिया ने कहा "विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपति नाथ की प्रतिमा शिवना नदी में मिली थी. आज ही मुझे जानकारी मिली है कि प्रतिमा के ऊपरी हिस्से मुख में बड़ी दरार आ गई है. यह बहुत चिंता का विषय है. इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के साथ ही मंदिर के प्रशासक मंदसौर कलेक्टर को सूचित किया है."
प्रतिमा संरक्षण के लिए जल्द कदम उठाने की मांग
बीजेपी के पूर्व विधायक यशपाल सिसौदिया का कहना है "मूर्ति में दरारें आना बेहद चिंता का विषय है. जैसे ही मुझे जानकारी मिली कि प्रतिमा का क्षरण हो रहा है तो तुरंत मैंने मुख्यमंत्री को एक्स पर ट्वीट कर सूचित किया है. भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा के संरक्षण के लिए तुरंत ही केंद्रीय पुरातत्व मंत्रालय, प्रदेश के पुरातत्व विभाग को विशेषज्ञों की टीम गठित करके इसकी गहराई से जांच करनी चाहिए. प्रतिमा के संरक्षण के लिए जो भी आवश्यक उपाय हो सकते हैं, उसे करना चाहिए."
मंदिर प्रबंधक और पुजारी क्या बोले
वहीं, पशुपतिनाथ मंदिर में मूर्ति में दरार को लेकर मंदिर प्रबंध समिति ने खंडन किया है. मुख्य पुजारी कैलाश भट्ट और मंदिर के प्रबंधक राहुल रुनवाल का कहना है "पशुपतिनाथ की मूर्ति में नई कोई दरार नहीं है, ना ही कोई दरार बड़ी है. जैसी मूर्ति पहले थी, वैसी ही है. समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा सलाह-मशविरा कर मूर्ति के क्षरण को रोकने के लिए प्रबंध समिति काम करती रहती है."
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सावन के पहले सोमवार को भोले के भक्त उमड़े
सावन के पहले सोमवार पर विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सुबह से ही दर्शन के लिए लंबी लाइनें लग गईं. भारी भीड़ के मद्देनजर प्रशासन ने महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की. प्रातःकालीन आरती के बाद पुजारियों ने अष्टमुखी प्रतिमा का नयनाभिराम श्रृंगार से किया. धार्मिक महत्व के मुताबिक सावन माह में भोलेनाथ की प्रतिमा पर पंचामृत से अभिषेक करने से सालभर समृद्धि मिलती है. वहीं मानसिक शांति के लिए भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है. हालांकि प्रतिमा क्षरण के मद्देनजर मंदिर प्रबंध समिति ने जलाभिषेक पर प्रतिबंध लगा रखा है. लेकिन सावन माह में जलधारी तक भगवान की प्रतिमा के चरणों को पखारने हेतु प्रबंधन समिति ने यहां विशेष व्यवस्था की है.