अजमेरः सैन्य अधिकारी एवं परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि सेना में अग्निवीर व्यवस्था को कुछ सुधार के साथ लागू किया जाना चाहिए. जिसमें अग्निवीर के पास विकल्प हो कि वो सेना में स्थाई हो सके या सिविल में जाकर राष्ट्र की सेवा कर सके. यादव शुक्रवार को अजमेर में थे. यहां महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की.
योगेंद्र सिंह यादव ने कार्यक्रम में मौजूद युवा विद्यार्थियों को मोटिवेशनल स्पीच के माध्यम से जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि हर युवा में इतना सामर्थ्य है कि वह अपने कार्य के स्तर को बुलंदियों तक पहुंचाकर बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं. इसके लिए पागलपन की हद से गुजरना होता है, यानी जुनून के साथ मेहनत करनी होती है. उन्होंने बताया कि बचपन में पुस्तक में ऐसे योद्धा के बारे में उन्होंने पढ़ा था जिसने अकेले ही पाकिस्तान के आठ टैंकों को ध्वस्त कर दिया था और 9वें टैंक को ध्वस्त करने की कोशिश में भारत माता की गोद में सो गए. वह महान योद्धा अब्दुल हमीद थे, जिसकी बहादुरी की कहानी पढ़कर मैंने बचपन में ही सेना में जाने का मानस बना लिया था. यादव ने कहा कि आज युवाओं को क्रिकेट मैच कब आएगा, यह याद रहता है, अगली मूवी कौनसी रिलीज होगी, वह भी पता है, लेकिन देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहा जवान की शौर्य गाथा याद नही है. देश की सरहद पर अदम्य साहस दिखाने वाले अब्दुल हमीद याद नहीं है. उन्होंने कहा कि युवा अपना हीरो सेना के किसी योद्धा को नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में बुलंदियों पर पंहुचे लोगों को चुनते हैं. यादव ने युवाओं को सेना में आने के लिए भी प्रेरित किया. कार्यक्रम में कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला समेत विभिन्न विभागों के विभाग अध्यक्ष, अधिकारी और कर्मचारियों के अलावा बड़ी संख्या में युवा विद्यार्थी भी मौजूद रहे.
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आर्मी प्रयोगशाला नहीं : योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि सेना में अग्निवीर व्यवस्था को दूसरी तरह से लागू करना चाहिए. राष्ट्रीय और सेना के हित के लिए यह बेहद जरूरी है. पहले की तरह सेना में स्थाई भर्ती होनी चाहिए. अग्निवीर व्यवस्था चले. इनमें से सेना में जो स्थाई होना चाहता है, वो अग्निवीर की इच्छा पर डिपेंड हो, यदि नहीं तो वह सिविल में आकर राष्ट्र की सेवा कर सकता है. उन्होंने कहा कि आर्मी प्रयोगशाला नहीं है. जंग टेक्नोलॉजी से नहीं आत्मिक प्रेम, विश्वास और नाम से जीती जाती है. उन्होंने कहा कि 18 ग्रेनेडियर आर्मी मेरा शरीर है. दिल मेरा ग्रेनेडियर और आत्मा मेरी पलटन है. जब तक शरीर में सांस हैं मैं 18 ग्रेनेडियर को कभी नहीं भूल सकता.
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चार वर्ष के कार्यकाल के बाद अग्निवीर को ना छोड़ें खुला : बातचीत में उन्होंने कहा कि अग्निवीर के कार्यकाल के बाद उसे खुला नहीं छोड़ना चाहिए. उसे स्टेट पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स में नियुक्त कर देना चाहिए. अग्निवीर प्रशिक्षित युवा है. देश का पैसा खर्च कर अग्निवीर को प्रशिक्षित किया जाता है. ऐसे में उसके प्रशिक्षण का उपयोग राष्ट्र निर्माण में होना चाहिए. बातचीत में उन्होंने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है. टेक्नोलॉजी भी बदलती रहती है. इसकी तरह दस वर्षों में बहुत कुछ बदल जाता है. समय की मांग को पूरा करने और दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए हमें नई टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा. तभी हम ताकतवर होंगे और वर्तमान परिस्थितियों से सामना कर सकते हैं.
आत्म बल से जीता गया था कारगिल युद्ध : उन्होंने कहा कि कारगिल जैसी ऊंची पहाड़ियों पर विश्व की किसी सेना ने आज तक युद्ध नहीं लड़ा होगा और लड़ा भी है तो जीता नहीं होगा, इसलिए पूरी दुनिया ने कहा था कि यह युद्ध आत्म बल से जीता गया है. भारतीय सेवा के जवानों में जितना आत्म बल है, उतना विश्व की किसी सेना में नहीं है.