पन्ना. पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन में पहली बार काला भेड़िया देखा गया है, जो वन्य जीव प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. यहां विभिन्न प्रजातियों के शाकाहारी व मांसाहारी वन्य जीव देखने मिलते हैं. वहीं इस नस्ल के भेड़िये को यहां देखना काफी हैरान करने वाला है. इस विलुप्तप्राय दुर्लभ काले भेड़िये की मौजूदगी एक अच्छा संकेत है पर वन्य जीव प्रेमियों ने इनकी संख्या को लेकर चिंता भी जाहिर की है. बीएच लैब ने इसे लेकर एक पोस्ट भी किया है.
पहली बार देखे गए इस नस्ल के भेड़िये
दरअसल, एक नहीं कई काले भेड़िये पन्ना टाइगर रिजर्व के किशनगढ़ बफर जोन से गुजरने वाले हाइवे के पास देखे गए हैं, जो निश्चित ही खुशी की बात है. पूर्व में अगस्त 2021 में पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की भी पुष्टि हुई थी. अब यहां के जंगलों में काले भेड़ियों की मौजूदगी बताती है कि जैव विविधता के मामले में पन्ना के जंगल भी काफी आगे हैं. काले भेड़िया इसके पूर्व पन्ना के अलावा मध्यप्रदेश में कहीं देखे गए हैं या नहीं इसकी प्रामाणिक जानकारी नहीं है. लेकिन जानकारों का यह कहना है कि शायद पन्ना में ये पहली बार देखे गए हैं.
बीएच लैब ने की शेयर की तस्वीरें
वन्य जीवों पर शोध करने वाली संस्था बीएच लैब द्वारा भेड़ियों की तस्वीर अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट की गई हैं. इस पोस्ट में कहा गया है कि पहली बार भारत में शुद्ध काले भेड़ियों की तस्वीर खींची गई है. तस्वीर में अलग-अलग काले रंग वाले दो भेड़िये दिखाई दे रहे हैं. काले भेड़िये दुर्लभ होते हैं, लेकिन अतीत में अमेरिका सहित कई देशों में ये पाए जाते थे. 2009 के एक अध्ययन के अनुसार, काले भेड़िये ऐसे भेड़िये हैं जो म्यूटेशन को दर्शाते हैं.
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कुत्तों से म्युटेट होकर बने काले भेड़िए
2009 की रिसर्च में यह भी माना गया कि काले भेड़ियों का म्यूटेशन संभवतः पालतू कुत्तों से हुआ था, क्योंकि वे भेड़ियों के साथ प्रजनन करते थे. भारत में भेड़ियों की दो प्रजातियां इंडियन ग्रे वुल्फ और हिमालयन वुल्फ पाई जाती हैं. भारतीय ग्रे वुल्फ राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के हिस्सों में पाए जाते हैं, जबकि हिमालयी भेड़िये ऊपरी हिस्से जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और सिक्किम में पाए जाते हैं. दोनों को ही लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 2022 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि देश में केवल 3100 ग्रे भेड़िये बचे हैं.