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राजाओं की खास पसंद में से एक था केरवन कोठी, 200 वर्ष पुराना है इतिहास, जानकर उड़ जाएंगे होश - Panna Kervan Kothi Historical - PANNA KERVAN KOTHI HISTORICAL

पन्ना जिले के जंगल में स्थित केरवन कोठी का इतिहास बहुत पुराना है. इस कोठी का नाम राजा और महाराजाओं से जुड़ा हुआ है. यहां पर राजा लोग अक्सर शिकार करने आते थे. इसे शिकारगाह के नाभ से भी जाना जाता है. इसकी हालत चिंताजनक है.

PANNA KERVAN KOTHI HISTORICAL
केरवन कोठी का इतिहास 200 साल पुराना है (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 9:22 PM IST

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना नगर से लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कुंजवन होते हुए जंगल की ओर केरवन कोठी स्थित है. जहां राजा करीब 200 वर्ष पहले इसी कोठी में रहकर शिकार किया करते थे. इसलिए इस कोठी को राजा की शिकारगाह भी कहा जाता है.

केरवन कोठी में राजा करने आते थे शिकार (ETV Bharat)

जंगलों के बीच स्थित है केरवन कोठी

पन्ना वन परिक्षेत्र चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है. इसके चारों ओर घना जंगल है, जो पन्ना वन परिक्षेत्र अंतर्गत आता है. इस कोठी की दूरी पन्ना से लगभग 8 से 10 किलोमीटर है. ग्राम कुंजवन से होते हुए जंगल की ओर से यहां जाना पड़ता है. जानकार बताते हैं कि यह कोठी राजा की राजवंश के समय शिकारगाह होती थी. राजा शिकार करने यहीं पर आते थे और इसी कोठी में रुकते थे. वर्तमान में ये कोठी खंडहर हो चुकी है, अभी भी घना जंगल एवं जंगली जानवरों के कारण यहां आने से लोग डरते हैं.

पन्ना एक ऐतिहासिक नगर

पन्ना एक ऐतिहासिक नगर है, जो भारत के मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है. बता दें कि औरंगजेब की मौत के बाद बुंदेला नरेश महाराजा छत्रसाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया था. पन्ना मंदिरों के लिए भी विश्व विख्यात है. यहां पर अनेक ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं, जिसका इतिहास सैकड़ों बरसों पुराना है. हीरे के लिए भी पन्ना को जाना जाता है. यहीं पर बेश कीमती हीरे निकलते हैं, इसी कारण यह शहर ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है.

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कोठी को बनाया जा रहा लॉज

यह केरवन कोठी एक प्राइवेट संपत्ति हो गई है. इसके मुख्य गेट के सामने प्राइवेट संपत्ति का बोर्ड चश्पा है. जिसमें हीरेंद्र सिंह का नाम लिखा हुआ है. यह कोठी अब लॉज के रूप विकसित की जा रही है, जो जंगल में एक रिसॉर्ट बनाया जा रहा है. जिसके लिए कार्य प्रगति पर चल है. जानकार बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व का दूसरा गेट केरवन जंगल से भी होकर जा सकता है.

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना नगर से लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम कुंजवन होते हुए जंगल की ओर केरवन कोठी स्थित है. जहां राजा करीब 200 वर्ष पहले इसी कोठी में रहकर शिकार किया करते थे. इसलिए इस कोठी को राजा की शिकारगाह भी कहा जाता है.

केरवन कोठी में राजा करने आते थे शिकार (ETV Bharat)

जंगलों के बीच स्थित है केरवन कोठी

पन्ना वन परिक्षेत्र चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है. इसके चारों ओर घना जंगल है, जो पन्ना वन परिक्षेत्र अंतर्गत आता है. इस कोठी की दूरी पन्ना से लगभग 8 से 10 किलोमीटर है. ग्राम कुंजवन से होते हुए जंगल की ओर से यहां जाना पड़ता है. जानकार बताते हैं कि यह कोठी राजा की राजवंश के समय शिकारगाह होती थी. राजा शिकार करने यहीं पर आते थे और इसी कोठी में रुकते थे. वर्तमान में ये कोठी खंडहर हो चुकी है, अभी भी घना जंगल एवं जंगली जानवरों के कारण यहां आने से लोग डरते हैं.

पन्ना एक ऐतिहासिक नगर

पन्ना एक ऐतिहासिक नगर है, जो भारत के मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है. बता दें कि औरंगजेब की मौत के बाद बुंदेला नरेश महाराजा छत्रसाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया था. पन्ना मंदिरों के लिए भी विश्व विख्यात है. यहां पर अनेक ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं, जिसका इतिहास सैकड़ों बरसों पुराना है. हीरे के लिए भी पन्ना को जाना जाता है. यहीं पर बेश कीमती हीरे निकलते हैं, इसी कारण यह शहर ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है.

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कोठी को बनाया जा रहा लॉज

यह केरवन कोठी एक प्राइवेट संपत्ति हो गई है. इसके मुख्य गेट के सामने प्राइवेट संपत्ति का बोर्ड चश्पा है. जिसमें हीरेंद्र सिंह का नाम लिखा हुआ है. यह कोठी अब लॉज के रूप विकसित की जा रही है, जो जंगल में एक रिसॉर्ट बनाया जा रहा है. जिसके लिए कार्य प्रगति पर चल है. जानकार बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व का दूसरा गेट केरवन जंगल से भी होकर जा सकता है.

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