पन्ना। पन्ना जिले की ग्राम पंचायत ललार गांव अपनी बदहाली पर आज भी आंसू बहा रहा है. ललार गांव पहुंचने के लिए छतरपुर जिले से होकर जाना पड़ता है. इस ग्राम पंचायत में पहुंचने के लिए पन्ना जिले से निकलकर छतरपुर की सीमा प्रवेश कर गांव में एंट्री होती है. बता दें कि छतरपुर जिले के विकासखंड बमीठा से होकर इस गांव में जाने का रास्ता है. यह ग्राम पंचायत पन्ना जिले में जरूर स्थित है पर इस गांव में पहुंचने के लिए छतरपुर जिले से होकर जाना पड़ता है. साथ ही बहती केन नदी को पार करके लोग आवागमन करते हैं.
पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा है ललार गांव
ललार गांव पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है. ये परिक्षेत्र चंद्रनगर के अंतर्गत आता है. इसी से लगा हुआ पन्ना टाइगर रिजर्व का गेट है. इसलिए इस गांव में जानवरों का भी खतरा बना रहता है. ललार गांव की बदहाली दूर से ही दिखाई देने लगती है. गांव में नल जल परियोजना भी शुरू नहीं हुई. लोगों को पेयजल संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक जलस्रोत जैसे कुएं एवं बावड़ी पर निर्भर रहना पड़ता है. चुनाव के दौरान राजनेता इस गांव में पहुंच जाते हैं और लुभावाने वादे कर वोट हथिया लेते हैं. लेकिन काम कुछ नहीं होता.
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पुल की मांग करते-करते बुढ़ापा आ गया
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बरसों से हम केन नदी पर पुल की मांग करते आ रहे हैं. पर आज तक नदी पर पुल नहीं बन सका. बहती हुई केन नदी पार कर हम लोग आवागमन करते हैं और जान जोखिम में डालते हैं. टापू नुमा बसा इस गांव में शासकीय प्राथमिक शाला तो है. यहां से पास होने के बाद लगभग 6 से 8 किलोमीटर पैदल दुर्गम रास्ते से होकर पढ़ने जाना पड़ता है. अधिकांशत बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं. गांव में पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री सड़क तक नहीं है.