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पन्ना के बृहस्पति कुंड में विराजमान नौवीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्रतिमा का क्या है राज - Panna Brihaspati Kund

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 24 hours ago

पन्ना के बृहस्पति कुंड में भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है. विशेषता ये है कि भगवान विष्णु के बगल में ही गणेश जी के साथ ही दुर्लभ शिवलिंग भी है. यहां पर प्राचीन काल में पंचायतन शैली से पूजा पद्धति प्रचलित थी.

Panna Brihaspati Kund
नौवीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्रतिमा का राज (ETV BHARAT)

पन्ना। पन्ना जिला स्थित बृहस्पति कुंड परिसर में नौवीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्राचीनतम प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा पंचायतन शैली में है. खास बात ये है कि भगवान विष्णु प्रतिमा के पास ही राम भक्त हनुमान, गणेश, भगवान शिव एवं नंदी भगवान विराजमान हैं. पंचायतन शैली पद्धति की पूजा का प्रमाण पौराणिक भागवत में मिलता है इसमें प्रमुख देवताओं के साथ चार अन्य देवता मंदिर में विराजमान होते हैं. ऐसे ही बृहस्पति कुंड में स्थित मंदिर में केंद्र में विष्णु भगवान विराजमान हैं.

पन्ना के बृहस्पति कुंड में भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा (ETV BHARAT)

विष्णु की प्रतिमा का है पौराणिक महत्व

बताया जाता है कि यह प्रतिमा नौवीं शताब्दी की है और इसका पौराणिक महत्व है. यहां प्राचीन काल में पंचायतन शैली से पूजा की पद्धति अपनाई जाती थी. उस समय मंदिर में सूर्य का प्रकाश पीछे से आता था. मंदिर के जानकार सचिन मिश्रा बताते हैं "प्राचीन काल में पंचायतन शैली पद्धति से पूजा होती थी, जिसमें एक मंदिर में चार देवी देवताओं को विराजमान किया जाता था. ऐसा ही मंदिर बृहस्पति कुंड परिसर में स्थापित है. मंदिर में विष्णु भगवान की ऐतिहासिक प्रतिमा विराजमान है, जिसके बगल में हनुमान, गणेश की प्रतिमा और भगवान शिव का दुर्लभ शिवलिंग विराजमान है."

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वनवास के दौरान भगवान श्रीराम यहां आते रहे

इस मंदिर में स्तापित भगवान विष्णु की प्रतिमा ललित कला के तहत बनी है. बता दें कि बृहस्पति कुंड एक दैवीय स्थान है, जहां पर पौराणिक समय पर अनेक ऋषि मुनियों के आश्रम हुआ करते थे. भगवान राम वनवास के दौरान यहां पर चित्रकूट से ऋषि मुनियों के दर्शन करने आते थे. यहां पर अनेक ऐतिहासिक मंदिर स्थापित हैं, जिनका संबंध नौवीं एवं दसवीं शताब्दी से है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है.

पन्ना। पन्ना जिला स्थित बृहस्पति कुंड परिसर में नौवीं शताब्दी की भगवान विष्णु की प्राचीनतम प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा पंचायतन शैली में है. खास बात ये है कि भगवान विष्णु प्रतिमा के पास ही राम भक्त हनुमान, गणेश, भगवान शिव एवं नंदी भगवान विराजमान हैं. पंचायतन शैली पद्धति की पूजा का प्रमाण पौराणिक भागवत में मिलता है इसमें प्रमुख देवताओं के साथ चार अन्य देवता मंदिर में विराजमान होते हैं. ऐसे ही बृहस्पति कुंड में स्थित मंदिर में केंद्र में विष्णु भगवान विराजमान हैं.

पन्ना के बृहस्पति कुंड में भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा (ETV BHARAT)

विष्णु की प्रतिमा का है पौराणिक महत्व

बताया जाता है कि यह प्रतिमा नौवीं शताब्दी की है और इसका पौराणिक महत्व है. यहां प्राचीन काल में पंचायतन शैली से पूजा की पद्धति अपनाई जाती थी. उस समय मंदिर में सूर्य का प्रकाश पीछे से आता था. मंदिर के जानकार सचिन मिश्रा बताते हैं "प्राचीन काल में पंचायतन शैली पद्धति से पूजा होती थी, जिसमें एक मंदिर में चार देवी देवताओं को विराजमान किया जाता था. ऐसा ही मंदिर बृहस्पति कुंड परिसर में स्थापित है. मंदिर में विष्णु भगवान की ऐतिहासिक प्रतिमा विराजमान है, जिसके बगल में हनुमान, गणेश की प्रतिमा और भगवान शिव का दुर्लभ शिवलिंग विराजमान है."

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