सक्ती : जिले के ग्राम पंचायत पोरथा में सरपंच और सचिव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के केस में नया मोड़ आ गया है. जनपद पंचायत अधिकारी ने दो साल पहले की जांच को गलत बताया है. उन्होंने सरपंच और सचिव को भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कर क्लीन चिट दे दिया है. जबकि दो साल पहले पंचायत अधिकारियों ने जांच में सरपंच व सचिव को लाखों के भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाया था.
सरपंच और सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप : यह पूरा वाकया सक्ती के ग्राम पंचायत पोरथा का है. पोरथा की सरपंच मधु राठौर और सचिव के खिलाफ 61 लाखों रुपए के भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी. शिकायतकर्ता ने बताया, "मेरे द्वारा 2 साल पहले शिकायत किया गया था कि बिना प्रस्ताव के 61 लाख राशि ग्राम पंचायत पोरथा के सरपंच और सचिव द्वारा आहरण गया था. जिसका आज तक निराकरण नहीं हुआ है. मेरे शिकायत के बाद जांच हुआ, जिसमें इंजीनियर और बड़े साहब ने लाखों का प्रस्ताव पाया गया लिखा था." पहले जांच में अधिकारियों ने 15 लाख 80 हजार राशि आहरण करना पाया था.
"एक प्रस्ताव क्रमांक 4 में लिखा है कि 15 लाख 80 हजार रुपए प्राथमिक शाला डोंगिया में भवन निर्माण के नाम पर आहरण किया गया है. मैंने माननीय कलेक्टर के पास शिकायत किया और भवन का भौतिक सत्यापन करने की मांग की. उक्त जगह पर भवन के सत्यापन के लिए अधिकारी आए. आप देख सकते हैं उक्त जगह पर कोई भवन नहीं बना है, लेकिन प्रस्ताव के आधार पर राशि आहरण कर लिया गया." - भानु चौहान, शिकायतकर्ता
दो साल पहले दोषी पाया, अब दे दिया क्लीन चिट : शिकायतकर्ता का आरोप है कि जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद भी दो साल तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई. शिकायतकर्ता कार्रवाई के लिए अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर काटता रहा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. शिकायतकर्ता ने आरोप गया है कि दो साल बाद फिर मामले की जांच की गई और इस बार जनपद पंचायत अधिकारी ने सरपंच सचिव को भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त कर उन्हें क्लीन चिट दे दिया.
पहले की गई जांच को बताया गलत : इन आरोपों पर सक्ती जनपद पंचायत की सीईओ प्रीति पवार ने कहा, "मामले की शिकायत कलेक्टर कार्यालय से मिली थी, जिसकी जांच कराई गई है. जांच में राशि का आहरण नहीं हुआ पाया गया है. पूर्व में जो जांच की गई थी, वह गलत जांच हुई है. पहले के जांच में शामिल संबंधित सभी 6 अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा."
जनपद पंचायत सक्ती में गड़बड़ियों के चलते अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. आखिर किस कैसे दो साल पहले सरपंच व सचिव को भ्रष्टाचार में दोषी बताया गया और उस पर कार्रवाई नहीं की गई. वहीं आज नए जांच के बाद आरोपियों को क्लीन चिट देकर अपने ही अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.