Padmashree Awardee Madhya Pradesh: पद्मश्री अवार्ड की घोषणा होते ही कालूराम बामनिया के आवास पर बधाई देने के लिए लोगों का तांता लग गया. बामनिया का कहना है कि वह इस अवार्ड को अपने पिता और दादा जी को समर्पित करते हैं. इस उपलब्धि पर परिवार के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है. कालूराम बामनिया टोंकखुर्द के पास कनेरिया गांव में जन्मे व प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की. जैसे ही अवार्ड मिलने की जानकारी परिजनों को लगी तो पूरे जिले में खुशी की लहर फैल गई.
अलग संस्थान खोलने की मांग
लोगों का कहना है कि छोटे से गांव के बामनिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. बामनिया का कहना है कि वह अभी तक 5 हजार से ज्यादा स्कूलों में जाकर बच्चों को कबीर वाणी अन्य संगीत की शिक्षा दे चुके हैं. बामनिया चाहते हैं कि इस कला के लिए अलग से संस्थान होना चाहिए, जिससे कि विलुप्त होती जा रही इस कला को सहेजा जा सके. देवास-शाजापुर लोकसभा क्षेत्र में कबीर के भजनों के लिए यह दूसरा पद्मश्री मिला है. इसके पहले प्रसिद्ध कबीर भजन गायक प्रहलाद टिपानिया को यह सम्मान दिया जा चुका है.
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उपलब्धि पर परिजन क्या बोले
यह अवार्ड मिलने के बाद बामनिया के परिजनों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि एक न एक दिन बड़ा अवार्ड अवश्य मिलेगा. क्योंकि जिस प्रकार वह स्कूलों में कबीर वाणी व अन्य संगीत की शिक्षा दे रहे हैं, वह उनकी लगन व मेहनत का ही नजीता है. इस काम में बामनिया को पूरे परिवार का सपोर्ट मिला. बगैर परिवार के सपोर्ट के ये काम इतना आसान नहीं था. ग्रामीणों ने भी बामनिया की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि विभिन्न बाधाओं को पार कर वह अपने काम में लगे हैं.