भीलवाड़ा. पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बहरूपिया कलाकार जानकीलाल भांड सोमवार को भीलवाड़ा पहुंचे. यहां भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन पर उनका भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान भीलवाड़ा शहर में जुलूस निकाला गया, जहां शहर वासियों ने जानकीलाल भांड का भव्य स्वागत किया. जानकीलाल भांड ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पद्मश्री पुरस्कार मिलने की बहुत खुशी है. भविष्य में इस कला को जीवित रखने के लिए भीलवाड़ा में एक भूखंड पर कला नगरी बनाने की इच्छा है, जिससे वर्तमान पीढ़ी को ये कला सिखाकर तैयार कर सकूं.
पीएम ने काम को सराहा : राष्ट्रपति भवन का किस्सा सुनाते हुए जानकीलाल ने कहा कि जब दिल्ली में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था तो वो अभिभूत महसूस कर रहे थे. उस दौरान मन ही मन भगवान को याद कर रहा था. सम्मान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पैर छूने देने से मना किया. उन्होंने कहा कि आप (जानकीलाल) तो कला जगत के सितारे हो, आप लोगों की बदौलत ही यह कला वर्तमान दौर में जीवित है.
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गृह मंत्री ने भी प्रशंसा की : उन्होंने कहा कि आज के दौर में बहरूपिया कला को जीवित रखने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन मन में ठान लिया था कि इस कला को हमेशा आगे बढ़ाते रहना है. देश की वर्तमान पीढ़ी का मनोरंजन करना है. इसी की बदौलत यह कला जीवित रखी और अब इसी कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया. उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को पुरस्कार समारोह के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने खाना भी खिलाया. उस समय गृहमंत्री ने कला को जीवित रखने के लिए प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि इस कला को भविष्य में भी जीवित रखने के लिए सरकार से मांग है कि उन्हें एक भूखंड मिले. वहां कला नगरी बनाकर देश की भावी पीढ़ी को बहरूपिया कला सिखाई जाएगी, ताकि यह कला भविष्य में जीवित रह सके. बता दें कि 25 जनवरी को भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार की घोषणा की थी. इनमें भीलवाड़ा शहर के रहने वाले अंतर्राष्ट्रीय बहरूपिया कलाकार जानकीलाल भांड का भी नाम शामिल था. 22 अप्रैल को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जानकीलाल को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया.