कुल्लू: जिला कुल्लू में 13 अक्टूबर से लेकर 19 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव आयोजित किया जाएगा. दशहरा उत्सव जिला मुख्यालय ढालपुर के मैदान में आयोजित किया जाएगा. वहीं, जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों से आए देवी-देवता भी ढालपुर मैदान में मेले की रौनक बढ़ाएंगे. इसको लेकर जिला प्रशासन और मेला कमेटी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
150 से 200 KM का पैदल सफर तय करते हैं देवी-देवता
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में आउटर सराज के देवी-देवता भी ढालपुर मैदान में आकर भक्तों को दर्शन देते हैं. इन देवी देवताओं के साथ आने वाले हरियान को भी 7 दिन से ज्यादा पैदल चलकर ढालपुर मैदान पहुंचना होता है, क्योंकि आउटर सराज से आने वाले देवी-देवताओं को ढालपुर मैदान तक आने के लिए 150 से 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में जगह-जगह विश्राम करते हुए हरियान देवी-देवताओं के साथ ढालपुर मैदान पहुंचते हैं. इस दौरान हजारों लोग देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए ढालपुर मैदान में जुटते हैं.
आउटर सराज के ये देवी-देवता लेगें उत्सव में भाग
दशहरा उत्सव में जहां आउटर सराज के आराध्य देवता शमशरी महादेव, देवता खुडीजल, व्यास ऋषि, टकरासी नाग, कोट पुझारी, देवता चोतरू नाग, सप्तऋषि और देवता चंभु आदि अन्य देवी देवता भाग लेंगे. वहीं, इन देवताओं का श्रद्धालुओं के द्वारा भव्य स्वागत भी किया जाएगा. देवताओं के साथ आने वाले हरियान भी पूरी श्रद्धा के साथ ये सारा सफर पैदल तय करते हैं और दशहरा उत्सव संपन्न होने के बाद भी पैदल ही देवी देवताओं के साथ अपने-अपने इलाकों में पहुंचते हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में हाजिरी भरने के लिए हर साल आउटर सराज के देवताओं को सबसे अधिक पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. देव नियमों के अनुसार ना तो यह हरियान देवी देवताओं के साथ किसी गाड़ी में बैठकर आ सकते हैं और ना ही किसी अन्य प्रकार की सुविधा ले सकते हैं. ऐसे में देव नियमों में बंधे हुए ये सभी श्रद्धालु पैदल ही अपने-अपने देवी देवताओं के साथ ढालपुर की यात्रा तय करते हैं.
जिला कुल्लू के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया, "कुल्लू जिले की सीमा आउटर सराज तक है और अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजे जाते हैं. आउटर सराज के देवी-देवता सबसे अधिक पैदल दूरी तय कर ढालपुर मैदान पहुंचते हैं. इसलिए अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव समिति के द्वारा हर साल सभी देवी-देवताओं का भव्य तरीके से स्वागत भी किया जाता है."