गैरसैंण: एक ओर जहां देहरादून में विधानसभा का बजट सत्र आयोजित हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने गैरसैंण में प्रतीकात्मक विधानसभा सत्र का आयोजन किया. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में हेमा पुरोहित नजर आए. उन्होंने सदन में आए प्रस्तावों पर कार्यवाही करने की बात कही. प्रतीकात्मक सत्र में गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने, भू कानून, बेरोजगारी, महंगाई, अंकिता भंडारी हत्याकांड, भर्ती घोटाले, बदहाल स्वास्थ्य सेवा, बिगड़ती कानून व्यवस्था, पुरानी पेंशन, अग्निपथ योजना समेत तमाम मुद्दे छाए रहे. वहीं, सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं की मौजूदगी गैरसैंण की उपेक्षा का संदेश देने में काफी हद तक सफल रही.
दरअसल, कुछ विधायकों ने ठंड का बहाना लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा था. जिसमें उन्होंने देहरादून में ही विधानसभा बजट सत्र आहूत कराने का अनुरोध किया था. जिसके बाद धामी कैबिनेट ने बजट सत्र गैरसैंण की बजाय देहरादून में कराने का फैसला लिया. इस फैसले के पीछे सरकार का तर्क था कि कई विधायकों ने बजट सत्र गैरसैंण में न कराकर देहरादून में कराने की गुजारिश की है. इसके बाद से विपक्षी नेता सरकार पर हमलावर हैं. जबकि, बताया जा रहा है कि विपक्ष के कुछ विधायकों ने भी सत्र देहरादून में ही कराने को लेकर पत्र में हस्ताक्षर किए थे. जिस पर विपक्ष पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
गैरसैंण के रामलीला मैदान में प्रतीकात्मक सत्र आयोजित: वहीं, गैरसैंण में विधानसभा बजट सत्र आहूत न कराने को लेकर विपक्ष सरकार को आईना दिखाने का काम कर रहा है. इसी कड़ी गैरसैंण के रामलीला मैदान में प्रतीकात्मक सत्र आयोजित किया गया. जहां प्रतीकात्मक सत्र में नेता प्रतिपक्ष करन माहरा सरकार पर जमकर बरसे तो वहीं नेता सत्तापक्ष जीत राम टम्टा ने कहा कि हमारे विधायकों को बहुत ठंड लग रही है. जिस कारण उन्होंने गैरसैंण में विधानसभा सत्र न कराए जाने का निर्णय लिया. लोक निर्माण मंत्री धीरेंद्र सिंह अपने विभागों की जानकारी विपक्षी विधायकों को उपलब्ध नहीं करा पाए. जिस पर विधायकों और मंत्री के बीच तीखी बहस हुई. इस दौरान पक्ष और विपक्ष के तमाम नेता सरकार का विरोध करते हुए दिखे.
गैरसैंण में सत्र न कराने को लेकर पत्र लिखने वाले विधायकों की लिस्ट जारी करें: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि आज प्रतीकात्मक सत्र चलाकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया गया है. उन्होंने राज्य आंदोलन के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है. साथ ही राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं का मान भी रखा है. उन्होंने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी लगातार गैरसैंण की उपेक्षा करने का काम कर रही है. बीजेपी ने केवल चुनाव जीतने के लिए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया. माहरा ने कहा कि सीएम धामी, उन विधायकों की लिस्ट जारी करें, जिन्होंने गैरसैंण में सत्र न कराए जाने को लेकर पत्र लिखा है.
महेंद्र भट्ट के बयान पर करन माहरा तीखा पलटवार: वहीं, करन माहरा ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि नेता विपक्ष और सीनियर नेताओं को बुलाए बिना कार्यमंत्रणा की बैठक की गई. साथ ही सदन को चलाने का काम किया गया. उन्होंने सत्र की अवधि को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा. इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के 'पहले कांग्रेस अपने विधायकों पर कार्रवाई करें फिर गैरसैंण जाएं' बयान पर करन माहरा ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि महेंद्र भट्ट विधायक रहने के दौरान अपनी क्षेत्र की एक भी समस्या को सदन में नहीं उठा पाए. उस समय अगर वो रैणी का मुद्दा सदन में उठा लेते तो आज जोशीमठ भी आपदा के दंश से बच जाता.
हेमा पुरोहित बोलीं- जनता के सुख दुख कैसे समझेगी, जब सरकार पहाड़ ही नहीं चढ़ेगी: वहीं, कांग्रेस सेवा दल की प्रदेश अध्यक्ष हेमा पुरोहित ने कहा कि उन्होंने गैरसैंण में प्रतीकात्मक सत्र चलाकर ठंड का बहाना बनाने वाली बीजेपी सरकार को आइना दिखाने का काम किया है. साथ ही कहा कि यहां भी आम जनता रहती है, जब सरकार पहाड़ ही नहीं चढ़ेगी तो जनता के सुख दुख को कैसे समझ पाएगी? हेमा पुरोहित ने आरोप लगाया कि सरकार को जनता के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है.
पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण भी जमकर बरसे: कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने कहा कि जब सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है तो अब यहां सत्र कराने के नाम पर क्यों भाग रही है? गैरसैंण पहाड़ों दिल और आवाज है. हम पर्वतीय क्षेत्र के लोग हैं. यहां ठंडा भी होगा और बर्फ भी गिरेगी. उत्तराखंड राज्य इसलिए मांगा गया था कि पहाड़ों का विकास हो सके, लेकिन बीजेपी सरकार पहाड़ों के विकास से मुंह फेरने का काम कर रही है.
राज्य आंदोलनकारी हरेंद्र कंडारी ने तीखा हमला बोला: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरेंद्र कंडारी ने कहा कि यहां भी लोग बारह महीने रहते हैं. सरकार बताएं कि क्या उन्हें ठंड नहीं लगती? सरकार ठंड का बहाना बनाकर गैरसैंण नहीं आना चाहती. जो उत्तराखंड राज्य के लिए अपनी शहादत देने वाले राज्य आंदोलनकारियों का अपमान है.
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