शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में आई आपदा से भारी तबाही हुई है. आपदा प्रभावितों को सरकार की तरफ से राहत पैकेज के तहत धनराशि उपलब्ध करवाई जाए, क्योंकि जन और धन का बहुत नुकसान हुआ है. चाहे इस साल की आपदा हो या पिछले साल की, नुकसान को एक नजर से ही देखना होगा. सभी जगहों पर राहत और बचाव कार्य और तेज करने की जरूरत है. जिससे लापता लोगों को जल्दी से जल्दी तलाशा जा सके. सभी प्रभावितों को तत्काल सहायता प्रदान की जाए. आपदा में केंद्र सरकार हिमाचल का सहयोग कर रही है और आगे भी करेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से जब मैं मिला तो उनके पहले शब्द ही ये थे कि हिमाचल को क्या हो गया? इस बार भी इतनी बड़ी त्रासदी चिंता का विषय है. पीएम मोदी ने हर प्रकार से प्रदेश के सहयोग का भरोसा दिया है.
हिम केयर योजना को लेकर सीएम सुक्खू पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिम केयर को निजी अस्पतालों में बंद करने को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू संवेदनहीन बातें कर रहे हैं. अगर किसी निजी अस्पताल में किसी तरह का घोटाला हुआ है तो सरकार उसके खिलाफ तय कानून के तहत कार्रवाई करे. मॉनिटरिंग की व्यवस्था को मजबूत करें. निर्धारित नियम बनाए और कठोर कार्रवाई करे. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में कहीं कोई कमी है तो उसे और पारदर्शी बनाया जाए, लेकिन सरकार को हर योजना को बंद करने में ही सुख मिलता है.
"अगर किसी व्यवस्था में कोई कमी है, तो उससे दुरुस्त किया जाता है. सरकारी अस्पताल में कितनी लंबी लाइनें लगी हैं. एमआरआई और सीटी-स्कैन के लिए छ: महीने के बाद की तारीखें मिल रही हैं. जिस मरीज को तत्काल इलाज की आवश्यकता होगी, तो क्या वह सरकारी अस्पताल के महीनों बाद की तारीख का इंतजार करेगा या जहां पर उसे इलाज मिलेगा, वहीं पर अपना इलाज करवाएगा. कुछ फैसले लेते वक्त संवेदनशीलता दिखानी होती है, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने नहीं दिखाई. उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि किसी बीमारी से परेशान मरीज को इस फैसले से कितनी परेशानी उठानी पड़ेगी."- जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष
पिछले साल से नहीं सीखा सबक
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने पिछले साल के हादसे से कोई सबक नहीं सीखा है. पिछले साल ब्यास में आई त्रासदी के बाद कई जगह पर बजरी और रेत जमा होने से ब्यास की धारा में परिवर्तन हो गया था. जिसे सही करने के लिए सरकार ने टेंडर जारी किए. सरकार ने बहुत सारा पैसा मलबे को हटाने के लिए खर्च किया. टेंडर लेने वालों ने करोड़ों रुपए की बजरी और रेत बेचकर कमाए लेकिन ब्यास की हालत जस की तस ही रही. ब्यास इस बार फिर उसी पुराने ढर्रे पर बह रही है, जिससे नुकसान होने की संभावना बहुत ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इतना सब कुछ होता रहा, लेकिन सरकारी महकमे ने इनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय आंखे बंद कर ली. जयराम ने कहा कि ये आंखें क्यों बंद की गई, इसके पीछे कौन से लोग जिम्मेदार हैं, मुख्यमंत्री को खुद इसका जवाब देना चाहिए. ब्यास की परिवर्तित धारा की वजह से जो नुकसान होगा, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ सरकार जिम्मेदार है.