पटना : बिहार की राजधानी पटना के मीठापुर थोक मंडी में प्याज 43 से 46 रुपये प्रति किलो बिक रही है. वहीं पटना के अंटा घाट मंडी में प्याज का थोक भाव 46 से 50 रुपये किलो है. मीठापुर में पिछले हफ्ते थोक रेट 4200 रुपये था वह बढ़ कर 4600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. अंटा घाट में जहां पिछले हफ्ते प्याज का थोक रेट 4300 रुपये था वह अभी बढ़ कर 5000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
खुदरा भाव 60 के पार हुआ : प्याज का खुदरा बाजार में 65 से 70 रुपये प्रति किलो तक भाव पहुंच गया है. अचानक खुदरा भाव में हुई बढ़ोतरी से ग्राहक के बजट पर असर पड़ने लगा है. सुधीर कुमार का कहना है कि प्याज के दाम में अचानक बढ़ोतरी से उन लोगों के बजट पर असर पड़ने लगा है.
''जहां पहले दो से ढ़ाई किलो प्याज खरीदने थे वहां 1 किलो में काम चलाना पड़ रहा है. बाहर से प्याज की सप्लाई कम हो रही है, यही कारण है कि प्याज का दाम अचानक बढ़ गया है. इससे जायका बिगड़ गया है.''- सुधीर कुमार, ग्राहक
'बाजार में प्याज की कम उपलब्धता' : खुदरा व्यापारी शुभांशु गुप्ता का कहना है कि बाजार में प्याज की कम उपलब्धता के कारण इसकी कीमत बढ़ गई है. वह लोग जिस रेट पर प्याज खरीदने हैं उसमें दो चार किलो छटाई में बर्बाद निकल जाता है. यही कारण है कि खुदरा बाजार में प्याज की कीमत बढ़ जाती है.
'प्याज की सप्लाई कम' : प्याज के कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे व्यापारियों का कहना है कि बाहर से जो प्याज सप्लाई होती है वही कम आ रहा है. मीठापुर मंडी के थोक व्यापारी रामकुमार का कहना है कि नासिक से ही प्याज की सप्लाई बहुत कम हो गई है. यही कारण है कि प्याज की कीमत में रोज बढ़ोतरी हो रही है.
''इंदौर और नासिक से प्याज की सप्लाई होती थी, लेकिन सप्लाई ढंग से नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि प्याज के दामों में बढ़ोतरी हुई है. दाम में बढ़ोतरी के कारण प्याज की बिक्री कम हो गई है.''- नागेंद्र प्रसाद, थोक व्यापारी, अंटा घाट
'बारिश और कालाबाजारी का असर' : अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि प्याज के दामों में बढ़ोतरी के दो प्रमुख कारण हैं. पहला कारण है कि महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश हो रही है जिस कारण प्याज की फसल पर असर पड़ा है. बाढ़ एवं भीषण बारिश का असर प्याज के व्यापार को प्रभावित करता है.
''कम आयात की आड़ में यहां के व्यापारी इसकी कालाबाजारी करने लगते हैं. स्टॉक रहते हुए भी बड़े व्यापारी इसको जमा करके रखते हैं, ताकि ज्यादा रेट के समय में इसको बेचा जा सके. यदि जिला प्रशासन बड़े व्यापारियों के स्टॉक की नियमित जांच करें तो कालाबाजारी पर नियंत्रण लग सकता है और प्याज के दामों में कुछ कमी हो सकती है.''- प्रो. नवल किशोर चौधरी, अर्थशास्त्री
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