अलवर: अलवर शहर में बीती रात दो महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया. इन दोनों बच्चों का जन्म किसी चमत्कार से कम नहीं है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि दोनों ही महिलाओं का प्रसव अस्पताल के अंदर न होकर एक का 108 एंबुलेंस में तो दूसरी महिला का प्रसव अलवर के महिला अस्पताल के गेट पर हुआ. चिकित्सकों का कहना है कि दोनों की सेहत ठीक है.
108 एंबुलेंस में तैनात नर्सिंगकर्मी किशोर सिंह ने बताया कि अलवर के समीप छठी मिल के पास राजस्थान लोक परिवहन की बस में एक महिला के प्रसव पीड़ा की सूचना मिली थी. इस पर 108 एंबुलेंस को मौके पर रवाना किया गया. वहां मौके पर जाकर देखा तो महिला संगीता प्रसव पीड़ा में थी. इसे सवारियों की मदद से 108 एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया. इसके बाद एंबुलेंस में ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया.
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नर्सिंगकर्मी किशोर ने बताया कि महिला भरतपुर जिले के नगर कस्बे की है. भिवाड़ी में किसी फैक्ट्री में अपने पति के साथ कार्य करती है. प्रसव पीड़ा होने के चलते महिला पहले टपूकड़ा अस्पताल गई, लेकिन वहां स्टाफ ने एक घंटा लगने की बात कही. इस पर महिला वहां से बस में बैठकर अलवर के लिए निकली, लेकिन बीच रास्ते में महिला को प्रसव पीड़ा ज्यादा होने लगी तो बस ड्राइवर ने बस रोककर 108 पर फोन कर जानकारी दी. नर्सिंगकर्मी किशोर सिंह ने बताया कि प्रसव के बाद महिला ब बच्चा ठीक है. दोनों को अलवर के महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
7 मिनट में 108 एंबुलेंस पहुंची गंतव्य स्थान तक: 108 एंबुलेंस के ड्राइवर अब्दुल सत्तार ने बताया कि सूचना के बाद वह एंबुलेंस को तेजी से मौके पर ले गया. उन्होंने बताया कि 15 किलोमीटर की दूरी एंबुलेंस के माध्यम से मात्र 7 मिनट में पूरी कर ली गई और महिला को एंबुलेंस में शिफ्ट कर प्रसव कराया गया.
अस्पताल के गेट पर प्रसव: गुरुवार देर रात अलवर जिले के मालाखेड़ा की महिला ने अलवर के जनाना अस्पताल के गेट पर एक बच्ची को जन्म दिया. महिला के देवर साबिर ने बताया कि प्रसूता महिला साहिना निवासी महाराजपुर की रहने वाली है. गुरुवार देर रात उसे प्रसव पीड़ा हुई, इसके बाद परिजन पहले मालाखेड़ा अस्पताल लेकर गए, लेकिन अत्यधिक रक्तस्त्राव होने व खून की कमी के चलते महिला को मालाखेड़ा अस्पताल से अलवर के लिए रेफर कर दिया गया. एंबुलेंस के माध्यम से परिजनों के साथ महिला अलवर के जनाना अस्पताल पहुंची. एंबुलेंस से जैसे ही महिला अस्पताल के अंदर जाने लगी तब प्रसव पीड़ा तेज हुई और महिला ने बच्ची को अस्पताल के गेट पर ही जन्म दे दिया. इसके बाद अस्पताल के स्टाफ की मदद से महिला व बच्ची को अंदर भर्ती कराया गया.