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वन व्हीलर रोड बंगला: रामविलास की 'तेजतर्रार' राजनीति से चाचा-भतीजे की दुश्मनी तक का 'गवाह'

पटना एयरपोर्ट के नजदीक 1 व्हीलर रोड स्थित बंगला राजनीतिक अखाड़े का केंद्र बना हुआ है. जानिये, क्या है इस बंगले का इतिहास.

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चिराग पासवान. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 7 hours ago

Updated : 7 hours ago

पटनाः राजधानी पटना का 'वन व्हीलर रोड स्थित बंगला'. एक समय था जब यह बंगला रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राजनीतिक ताकत का केंद्र हुआ करता था. इस बंगले ने 2000 से लेकर 2020 तक लोजपा के उत्थान को अपनी आंखों से देखा. रामविलास पासवान की छत्रछाया में यहां राजनीतिक रणनीतियां बनतीं. यही वह स्थान था, जिसने बिहार की राजनीति के कई उतार-चढ़ाव देखे. लेकिन, वक्त ने करवट ली और यह बंगला लोजपा के बिखराव का भी गवाह बना.

लोजपा में फूटः लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में आ गई. चिराग 2020 बिहार विधानसभा का चुनाव, एनडीए से अलग होकर लड़ा. नतीजे निराशाजनक रहे. केवल एक सीट ही जीत पाई. इस असफलता के बाद चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच खटास बढ़ने लगी. अंततः पार्टी में बड़ी फूट का कारण बनी. पारस सभी सांसदों को साथ लेकर अलग हो गए और केंद्र में मंत्री पद पा लिया. चिराग पार्टी में अकेले रह गए. पारस ने इस बंगले पर भी कब्जा जमा लिया. अब इस बंगले में लोजपा का नया अध्याय शुरू हुआ.

चिराग को मिला बंगला. (ETV Bharat)

चिराग का बदला: समय ने एक बार फिर करवट ली. 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी के दौरान एनडीए ने पशुपति पारस के बजाय चिराग पासवान को प्राथमिकता दी. आज चिराग के पास पांच सांसद हैं, वो खुद मंत्री पद पर आसीन हैं. और अब एक व्हीलर रोड स्थित बंगला भी उन्हीं के नाम हो गया है. दूसरी ओर, पशुपति पारस के पास अब न तो पार्टी की ताकत बची है और न ही कोई सांसद है. चिराग ने न सिर्फ अपने पिता की राजनीतिक विरासत को वापस पा लिया बल्कि इस बंगले पर भी अपना हक जमा लिया. इस बंगले की दीवारें आज भी उन दिनों को याद करती हैं, जब रामविलास पासवान की आंधी में बिहार की राजनीति हिल जाती थी.

चिराग की पार्टी को कार्यालय आवंटितः भवन निर्माण विभाग ने एक व्हीलर रोड शहीद पीर अली खान मार्ग का नया आवंटन चिराग पासवान की पार्टी को विधिवत कर दिया है. आवंटन के साथ भवन निर्माण विभाग ने कुछ शर्ते भी रखी है, जिसमें किसी भी तरह के नवनिर्माण के लिए भवन निर्माण के परमिशन की जरूरत होगी. विभाग द्वारा तय किराया का 10 गुना अग्रिम भुगतान के रूप में पहले जमा करना होगा. पार्टी कार्यालय का बिजली बिल और अन्य खर्चा खुद पार्टी को उठाना होगा.

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वन व्हीलर रोड बंगला. (ETV Bharat)

पारस को कार्यालय खाली करने का आदेशः भवन निर्माण विभाग के आदेश को पशुपति कुमार पारस ने कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने भी 13 नवंबर तक यह कार्यालय खाली करने का आदेश दिया. पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने इस कार्यालय को खाली करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे सारे सामान हटाये जा रहे हैं. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल पार्टी कार्यालय खाली करते समय कुछ भावुक दिखे. उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से इस पार्टी कार्यालय से संबंध रहा है. अब हाई कोर्ट के निर्देश पर हम लोग यह भवन खाली कर रहे हैं.

कई दौर की राजनीति का गवाह रहाः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि रामविलास पासवान और एक व्हीलर रोड स्थित उनके पार्टी कार्यालय का संबंध वर्ष 2000 से रहा है. दो दशक से ज्यादा से रामविलास पासवान ने बिहार में राजनीति की. अरुण पांडेय का कहना है रामविलास पासवान बिहार की राजनीति के ऐसे चेहरे थे जिन्हें कभी बिहार का मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता था. उनपर परिवारवाद का भी आरोप लगा. दोनों भाई को राजनीति में लाये. लेकिन इसके अलावे भी रामविलास पासवान ने राजनीति में ऐसे ऐसे लोगों को लाया जिन्हें लोग बाहुबली कहते हैं.

"रामविलास पासवान की पार्टी में सूरजभान सिंह, रामा सिंह, सुनील पांडे जैसे बाहुबली थे. उन लोगों को 'साधुओं की जमात' कहा जाता था. रामविलास ने इनलोगों को अपनी टीम में शामिल किया था. ऐसे अनेक नेताओं को राजनीति में शामिल होने का गवाह रहा है उनकी पार्टी का कार्यालय."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

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अब इसी बंगला में चिराग का बनेगा कार्यालय. (ETV Bharat)

क्या है इस बंगले का इतिहास: रामविलास पासवान ने जनता दल से अलग होकर 2000 ईं में नई पार्टी का गठन किया, जिसका नाम लोक जनशक्ति पार्टी रखा. पार्टी गठन के बाद यही 1 व्हीलर रोड स्थित बांग्ला उनके पार्टी के संचालन के लिए अलॉट किया गया. लोजपा गठन के समय रामविलास पासवान के साथ उनके भाई पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान, कैप्टन जय नारायण निषाद रहे. यहीं से लोक जनशक्ति पार्टी का विस्तार शुरू हुआ. रामविलास ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और शानदार कामयाबी हासिल की.

मौसम वैज्ञानिक का मिला था खिताबः 2004 के लोकसभा में लोजपा ने 4 सीटें तो विधानसभा में 29 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. लोजपा ने 2010 का विधानसभा चुनाव फिर राजद के साथ मिलकर लड़ा. पार्टी को सिर्फ 3 सीटें हाथ लगीं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने 12 साल बाद फिर एनडीए के साथ गठबंधन की घोषणा की. इस गठबंधन में आकर 7 सीटों पर चुनाव लड़कर लोजपा ने 6 सीटें जीतीं. 2019 लोकसभा चुनाव में भी लोजपा, एनडीए के साथ बिहार में 6 सीट पर चुनाव लड़ी और सभी सीटों पर जीत हुई.

कई दिग्गजों की राजनीति का गवाह रहा यह बंगलाः रामविलास पासवान ने कई बड़े चेहरों को राजनीति में आने का मौका दिया. इनमें कई बाहुबली भी शामिल हैं. कैप्टन जय नारायण निषाद, बिहार की राजनीति के चर्चित चेहरे रहे. नरेंद्र सिंह, जदयू के वर्तमान विधान पार्षद संजय सिंह, बाहुबली से नेता बने सूरजभान सिंह, रामा सिंह, सुनील पांडे अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनको राजनीति में स्थापित करने में रामविलास पासवान का बड़ा योगदान रहा है.

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इसी बंगले को लेकर थी लड़ाई. (ETV Bharat)

रामविलास पासवान का राजनीतिक सफरः खगड़िया के छोटे से गांव शाहरबन्नी में 5 जुलाई 1946 को रामविलास पासवान का जन्‍म हुआ था. राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई. अलौली विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए. 1977 के लोकसभा चुनावों से वह पूरे देश में सुर्खियों में आए. हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद वह 1980, 1989, 1991 (रोसड़ा), 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में फिर से सांसद चुने गए. राजनीति में आने के बाद रामविलास पासवान करीब 50 वर्ष तक बिहार ही नहीं देश की राजनीति में छाए रहे.

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लोजपा में फूटः लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में आ गई. चिराग 2020 बिहार विधानसभा का चुनाव, एनडीए से अलग होकर लड़ा. नतीजे निराशाजनक रहे. केवल एक सीट ही जीत पाई. इस असफलता के बाद चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच खटास बढ़ने लगी. अंततः पार्टी में बड़ी फूट का कारण बनी. पारस सभी सांसदों को साथ लेकर अलग हो गए और केंद्र में मंत्री पद पा लिया. चिराग पार्टी में अकेले रह गए. पारस ने इस बंगले पर भी कब्जा जमा लिया. अब इस बंगले में लोजपा का नया अध्याय शुरू हुआ.

चिराग को मिला बंगला. (ETV Bharat)

चिराग का बदला: समय ने एक बार फिर करवट ली. 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी के दौरान एनडीए ने पशुपति पारस के बजाय चिराग पासवान को प्राथमिकता दी. आज चिराग के पास पांच सांसद हैं, वो खुद मंत्री पद पर आसीन हैं. और अब एक व्हीलर रोड स्थित बंगला भी उन्हीं के नाम हो गया है. दूसरी ओर, पशुपति पारस के पास अब न तो पार्टी की ताकत बची है और न ही कोई सांसद है. चिराग ने न सिर्फ अपने पिता की राजनीतिक विरासत को वापस पा लिया बल्कि इस बंगले पर भी अपना हक जमा लिया. इस बंगले की दीवारें आज भी उन दिनों को याद करती हैं, जब रामविलास पासवान की आंधी में बिहार की राजनीति हिल जाती थी.

चिराग की पार्टी को कार्यालय आवंटितः भवन निर्माण विभाग ने एक व्हीलर रोड शहीद पीर अली खान मार्ग का नया आवंटन चिराग पासवान की पार्टी को विधिवत कर दिया है. आवंटन के साथ भवन निर्माण विभाग ने कुछ शर्ते भी रखी है, जिसमें किसी भी तरह के नवनिर्माण के लिए भवन निर्माण के परमिशन की जरूरत होगी. विभाग द्वारा तय किराया का 10 गुना अग्रिम भुगतान के रूप में पहले जमा करना होगा. पार्टी कार्यालय का बिजली बिल और अन्य खर्चा खुद पार्टी को उठाना होगा.

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वन व्हीलर रोड बंगला. (ETV Bharat)

पारस को कार्यालय खाली करने का आदेशः भवन निर्माण विभाग के आदेश को पशुपति कुमार पारस ने कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने भी 13 नवंबर तक यह कार्यालय खाली करने का आदेश दिया. पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने इस कार्यालय को खाली करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे सारे सामान हटाये जा रहे हैं. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल पार्टी कार्यालय खाली करते समय कुछ भावुक दिखे. उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से इस पार्टी कार्यालय से संबंध रहा है. अब हाई कोर्ट के निर्देश पर हम लोग यह भवन खाली कर रहे हैं.

कई दौर की राजनीति का गवाह रहाः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि रामविलास पासवान और एक व्हीलर रोड स्थित उनके पार्टी कार्यालय का संबंध वर्ष 2000 से रहा है. दो दशक से ज्यादा से रामविलास पासवान ने बिहार में राजनीति की. अरुण पांडेय का कहना है रामविलास पासवान बिहार की राजनीति के ऐसे चेहरे थे जिन्हें कभी बिहार का मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता था. उनपर परिवारवाद का भी आरोप लगा. दोनों भाई को राजनीति में लाये. लेकिन इसके अलावे भी रामविलास पासवान ने राजनीति में ऐसे ऐसे लोगों को लाया जिन्हें लोग बाहुबली कहते हैं.

"रामविलास पासवान की पार्टी में सूरजभान सिंह, रामा सिंह, सुनील पांडे जैसे बाहुबली थे. उन लोगों को 'साधुओं की जमात' कहा जाता था. रामविलास ने इनलोगों को अपनी टीम में शामिल किया था. ऐसे अनेक नेताओं को राजनीति में शामिल होने का गवाह रहा है उनकी पार्टी का कार्यालय."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

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अब इसी बंगला में चिराग का बनेगा कार्यालय. (ETV Bharat)

क्या है इस बंगले का इतिहास: रामविलास पासवान ने जनता दल से अलग होकर 2000 ईं में नई पार्टी का गठन किया, जिसका नाम लोक जनशक्ति पार्टी रखा. पार्टी गठन के बाद यही 1 व्हीलर रोड स्थित बांग्ला उनके पार्टी के संचालन के लिए अलॉट किया गया. लोजपा गठन के समय रामविलास पासवान के साथ उनके भाई पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान, कैप्टन जय नारायण निषाद रहे. यहीं से लोक जनशक्ति पार्टी का विस्तार शुरू हुआ. रामविलास ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और शानदार कामयाबी हासिल की.

मौसम वैज्ञानिक का मिला था खिताबः 2004 के लोकसभा में लोजपा ने 4 सीटें तो विधानसभा में 29 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. लोजपा ने 2010 का विधानसभा चुनाव फिर राजद के साथ मिलकर लड़ा. पार्टी को सिर्फ 3 सीटें हाथ लगीं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने 12 साल बाद फिर एनडीए के साथ गठबंधन की घोषणा की. इस गठबंधन में आकर 7 सीटों पर चुनाव लड़कर लोजपा ने 6 सीटें जीतीं. 2019 लोकसभा चुनाव में भी लोजपा, एनडीए के साथ बिहार में 6 सीट पर चुनाव लड़ी और सभी सीटों पर जीत हुई.

कई दिग्गजों की राजनीति का गवाह रहा यह बंगलाः रामविलास पासवान ने कई बड़े चेहरों को राजनीति में आने का मौका दिया. इनमें कई बाहुबली भी शामिल हैं. कैप्टन जय नारायण निषाद, बिहार की राजनीति के चर्चित चेहरे रहे. नरेंद्र सिंह, जदयू के वर्तमान विधान पार्षद संजय सिंह, बाहुबली से नेता बने सूरजभान सिंह, रामा सिंह, सुनील पांडे अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनको राजनीति में स्थापित करने में रामविलास पासवान का बड़ा योगदान रहा है.

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इसी बंगले को लेकर थी लड़ाई. (ETV Bharat)

रामविलास पासवान का राजनीतिक सफरः खगड़िया के छोटे से गांव शाहरबन्नी में 5 जुलाई 1946 को रामविलास पासवान का जन्‍म हुआ था. राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में बिहार विधानसभा के सदस्य के तौर पर हुई. अलौली विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए. 1977 के लोकसभा चुनावों से वह पूरे देश में सुर्खियों में आए. हाजीपुर सीट पर चार लाख मतों के रिकार्ड अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद वह 1980, 1989, 1991 (रोसड़ा), 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में फिर से सांसद चुने गए. राजनीति में आने के बाद रामविलास पासवान करीब 50 वर्ष तक बिहार ही नहीं देश की राजनीति में छाए रहे.

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