मुजफ्फरपुरः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार 12 दिसंबर को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक को मंजूरी दे दी. इसके बाद राजनीतिक दलों के बीच वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बहस छिड़ गयी. जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में आवाज बुलंद की है. उनका मानना है कि ऐसा होने से सरकार हमेशा चुनाव मोड में नहीं रहेगी. सरकार और जनता दोनों का समय और खर्च बचेगा. लेकिन, उन्होंने इसे लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया.
कैसे लागू किया जाए: प्रशांत किशोर ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' को देश के लिए फायदेमंद बताया. उनका मानना है अगर इसे सही नीयत से लागू किया जाए तो देश के लिए काफी फायदेमंद होगा. उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि हर साल देश की करीब एक चौथाई जनता मतदान करती है. इस वजह से सरकार चलाने वाले लोग ज्यादातर समय चुनाव के चक्र में फंसे रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू करने के लिए चार-पांच साल का वक्त दिया जाना चाहिए.
"देश में पिछले 50 सालों से चली आ रही चुनाव प्रक्रिया को 1 दिन में नहीं बदला जा सकता. सरकार को इस बदलाव को लागू करने के लिए 4-5 साल का समय देना चाहिए. इतना बड़ा बदलाव 1 दिन में नहीं हो सकता."- प्रशांत किशोर, सूत्रधार, जनसुराज पार्टी
सरकार की नीयत पर सवालः प्रशांत किशोर ने कहा कि "वन नेशन, वन इलेक्शन" की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार इसे किस उद्देश्य और नीयत से लागू करती है. उन्होंने कहा कि यदि यह कानून सही नीयत से लाया जाता है तो यह स्वागत योग्य कदम है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल किसी विशेष वर्ग या समाज को हानि पहुंचाने के लिए किया जाता है, तो यह उचित नहीं होगा. सरकार की ईमानदारी और मंशा इस प्रक्रिया की सफलता का निर्धारण करेगी.
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