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छत्तीसगढ़ के स्कूलों में न्योता भोजन, जनसहयोग से 75 हजार से ज्यादा बार आयोजन - NYOTA BHOJAN

छत्तीसगढ़ में न्योता भोजन के अनूठे नवाचार की सभी तारीफ कर रहे हैं.

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छत्तीसगढ़ में न्योता भोजन (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 28, 2024, 2:24 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में संचालित की जा रही प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना में समुदाय की भागीदारी के जरिए अनूठा नवाचार न्योता भोजन लोगों को काफी पसंद आ रहा है. छत्तीसगढ़ के स्कूलों में विभिन्न समुदाय के लोगों के सहयोग से अब तक 30 हजार स्कूलों में 75 हजार से ज्यादा बार न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है.

स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए न्योता भोजन की शुरूआत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने गृह ग्राम बगिया से की थी. उन्होंने वहां के आश्रम शाला के बच्चों को अपने जन्मदिन पर न्योता भोजन कराया था.

क्या है न्योता भोजन: प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने न्योता भोजन की पहल की है. न्योता भोजन की अवधारणा सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है.

कोई भी व्यक्ति या सामाजिक संगठन, जन्मदिन, सालगिरह या दूसरे खास मौकों पर अपने पास के स्कूल, आश्रम या छात्रावास में जाकर बच्चों के लिए न्योता भोजन का कार्यक्रम कर सकता है. इसमें पूरा भोजन या मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज के रूप में खाद्य सामग्री भी दी जा सकती है.

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में हुए न्योता भोजन: खैरागढ़ छुईखदान गंडई और कोंडागांव जिले के 99 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन किया जा चुका है. जांजगीर चांपा में 98, धमतरी में 96, सुकमा और राजनांदगांव में 95-95, बालोद में 93, वहीं दुर्ग में 90, बेमेतरा, कोरिया और कवर्धा में 89-89, जशपुर और कांकेर में 86-86 और रायगढ़ में 75, बिलासपुर में 73, दंतेवाड़ा जिले में 70 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है.

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स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए न्योता भोजन की शुरूआत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने गृह ग्राम बगिया से की थी. उन्होंने वहां के आश्रम शाला के बच्चों को अपने जन्मदिन पर न्योता भोजन कराया था.

क्या है न्योता भोजन: प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने न्योता भोजन की पहल की है. न्योता भोजन की अवधारणा सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है.

कोई भी व्यक्ति या सामाजिक संगठन, जन्मदिन, सालगिरह या दूसरे खास मौकों पर अपने पास के स्कूल, आश्रम या छात्रावास में जाकर बच्चों के लिए न्योता भोजन का कार्यक्रम कर सकता है. इसमें पूरा भोजन या मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज के रूप में खाद्य सामग्री भी दी जा सकती है.

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में हुए न्योता भोजन: खैरागढ़ छुईखदान गंडई और कोंडागांव जिले के 99 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन किया जा चुका है. जांजगीर चांपा में 98, धमतरी में 96, सुकमा और राजनांदगांव में 95-95, बालोद में 93, वहीं दुर्ग में 90, बेमेतरा, कोरिया और कवर्धा में 89-89, जशपुर और कांकेर में 86-86 और रायगढ़ में 75, बिलासपुर में 73, दंतेवाड़ा जिले में 70 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है.

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