नई दिल्ली/नोएडा: विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजाति के विलुप्त होने के चलते सारस पक्षी के संरक्षण के लिए गणना के लिए प्रदेश सरकार ने पहल की है. प्रदेश सरकार राज्य में 20 जून से सारस पक्षी की गिनती करा रही है. वैसे सरकार साल में दो बार (ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन) गणना कराती है. वर्ष 2024 में दो दिन तक सारस गणना की गई. ये गणना दिन में दो बार सुबह-शाम की गई. इसके लिए प्रत्येक जिले के फॉरेस्ट आफिसर को निर्देशित किया गया था. जिसकी रिपोर्ट प्रभागीय वनाधिकारी अपने प्रभाग में पाए गए सारस की संख्या व फोटो, पहली जुलाई तक मुख्य वन संरक्षक, ईको विकास, लखनऊ को उपलब्ध कराएंगे.
वही, गौतम बुद्ध नगर जिले में वन विभाग के चार रेंज से आवश्यकतानुसार टीमें गठित कर लगाई गई है, जो राज्य सरकार के निर्देशानुसार सारस की गणना की है, जिसे एक जुलाई को गणना की रिपोर्ट सक्षम अधिकारी को प्रेषित करेंगें. गौतम बुद्ध नगर के डिविजनल फॉरेस्ट आफिसर प्रमोद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि इस समय राज्य पक्षी सारस की गणना करने के लिए राज्य सरकार के मुख्य वन संरक्षक द्वारा निर्देशित किया गया हैं. जिसके लिए गौतम बुद्ध नगर के चारों रेंज से आवश्यकतानुसार टीम गठित कर सारस की गणना की जा रही है. एक जुलाई से पहले चारों रेंजों से सारस के गणना की रिपोर्ट इकट्ठा कर सारस की संख्या व फोटो मुख्य वन संरक्षक को उपलब्ध कराएंगे.
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प्रमोद कुमार ने कहा कि यूपी में साल दर साल सारस की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में 2021 में 17,329 सारस पाए गए थे. 2022 में यह संख्या बढ़कर 19,188 हो गई थी. 2023 में यह संख्या बढ़कर 19522 हो गई थी. गौतम बुद्ध नगर जिले के धनोरी वर्ड लेंड के आस पास वाले जल कुम्भी, खेत खलियान खासकर धान की खेती में सारस देखे जा सकते हैं. पिछले साल अधिक सारस की जनसंख्या देखने को मिली हैं. पक्षी विहार, सूरजपुर व ओखला बैराज के पक्षी विहार में कभी-कभी विचरण करते हुए यह देखे गए हैं. लेकिन धनोरी पक्षी विहार और ठाकराला में अधिक संख्या में उनको देखा गया हैं.
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