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तीन साल में सापों के काटने से 30 लोग गंवा चुके जान, कम नहीं मगरमच्छों की दहशत - Snake and crocodile rescue

तराई पूर्वी वन प्रभाग में हर साल सांपों के काटने के मामले सामने आते हैं. मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 1 hours ago

snake bites cases increase
सांपों के काटने का बड़ा आंकड़ा (Photo- ETV Bharat)

हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग जंगली जानवरों का निवास स्थान है. साथ ही तराई पूर्वी वन प्रभाग में वन्यजीवों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जिसे वन्यजीवों के वासस्थल के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है. लगातार बढ़ते वन्यजीवों की संख्या को देखते हुए वन विभाग मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने की कोशिश में जुटा है. वहीं वन विभाग द्वारा लगातार सांपों और मगरमच्छों को रेस्क्यू कर आबादी से दूर उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया. जबकि कई लोग सांप के काटने से जान गंवा चुके हैं.

इतने सांप और मगरमच्छों को किया रेस्क्यू: वहीं सांपों के काटने से सबसे अधिक लोगों की मौत होती है. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र अंतर्गत सांपों के काटने से पिछले 3 सालों में करीब 30 लोगों की मौत हुई है.वन विभाग के रेस्क्यू टीम द्वारा 3 सालों में 2985 सांपों को रेस्क्यू किया है. जबकि इस साल अभी तक 755 से अधिक सांपों को वन विभाग रेस्क्यू कर चुका है. बात मगरमच्छ की करें तो वन विभाग पिछले 3 सालों में 130 मगरमच्छों को रेस्क्यू किया है, जबकि इस साल अभी तक 40 मगरमच्छों को रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ा गया. ये पूरे आंकड़े तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र के हैं.

सांपों के काटने से कई लोगों की जा चुकी जान (Video- ETV Bharat)

सांपों के काटने के सबसे ज्यादा मामले: तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागड़ी ने बताया कि सबसे ज्यादा मौत वन्य जीवों के रूप में सांप के काटने से होती हैं. जिसके लिए वन विभाग ने विस्तृत विश्लेषण भी किया है. इस दौरान कुछ क्षेत्रों में सांपों के द्वारा लोगों को काटने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. वन विभाग इस स्थिति से निपटने के प्रयास कर रहा है. ऐसे में वन विभाग सांप क्षेत्र वाले हॉटस्पॉट स्थानों को चिन्हित कर रहा है.

forest department rescued snakes
वन विभाग ने सांपों को किया रेस्क्यू (Photo- ETV Bharat)

एंटीवेनम कराया जा रहा उपलब्ध: वन विभाग सांपों के काटने से होने वाली घटनाओं को लेकर आंकड़े सामने आने के बाद सतर्क हो चुका है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रयास वन विभाग की तरफ से विभागीय चौकिया में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है. इसके उपलब्ध होने से न केवल इसका लाभ वन क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को होगा.

Forest department rescued crocodile
वन विभाग ने मगरमच्छों को रेस्क्यू कर जंगल छोड़ा (Photo- ETV Bharat)

लोगों की समय रहते बच सकेगी जान: साथ ही स्थानीय लोग भी सांप के द्वारा काटे जाने पर वन विभाग की चौकियों से इसे ले सकते हैं. वन विभाग की तरफ से फील्ड कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं. एंटीवेनम की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है. यह सब प्रयास इसलिए हैं, ताकि न केवल विभाग के कर्मचारियों बल्कि आम लोगों को भी सांपों के काटने की घटनाओं के मामले में ज्यादा से ज्यादा राहत दी जा सके.

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हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग जंगली जानवरों का निवास स्थान है. साथ ही तराई पूर्वी वन प्रभाग में वन्यजीवों की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जिसे वन्यजीवों के वासस्थल के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है. लगातार बढ़ते वन्यजीवों की संख्या को देखते हुए वन विभाग मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने की कोशिश में जुटा है. वहीं वन विभाग द्वारा लगातार सांपों और मगरमच्छों को रेस्क्यू कर आबादी से दूर उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया. जबकि कई लोग सांप के काटने से जान गंवा चुके हैं.

इतने सांप और मगरमच्छों को किया रेस्क्यू: वहीं सांपों के काटने से सबसे अधिक लोगों की मौत होती है. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र अंतर्गत सांपों के काटने से पिछले 3 सालों में करीब 30 लोगों की मौत हुई है.वन विभाग के रेस्क्यू टीम द्वारा 3 सालों में 2985 सांपों को रेस्क्यू किया है. जबकि इस साल अभी तक 755 से अधिक सांपों को वन विभाग रेस्क्यू कर चुका है. बात मगरमच्छ की करें तो वन विभाग पिछले 3 सालों में 130 मगरमच्छों को रेस्क्यू किया है, जबकि इस साल अभी तक 40 मगरमच्छों को रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ा गया. ये पूरे आंकड़े तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र के हैं.

सांपों के काटने से कई लोगों की जा चुकी जान (Video- ETV Bharat)

सांपों के काटने के सबसे ज्यादा मामले: तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागड़ी ने बताया कि सबसे ज्यादा मौत वन्य जीवों के रूप में सांप के काटने से होती हैं. जिसके लिए वन विभाग ने विस्तृत विश्लेषण भी किया है. इस दौरान कुछ क्षेत्रों में सांपों के द्वारा लोगों को काटने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. वन विभाग इस स्थिति से निपटने के प्रयास कर रहा है. ऐसे में वन विभाग सांप क्षेत्र वाले हॉटस्पॉट स्थानों को चिन्हित कर रहा है.

forest department rescued snakes
वन विभाग ने सांपों को किया रेस्क्यू (Photo- ETV Bharat)

एंटीवेनम कराया जा रहा उपलब्ध: वन विभाग सांपों के काटने से होने वाली घटनाओं को लेकर आंकड़े सामने आने के बाद सतर्क हो चुका है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण प्रयास वन विभाग की तरफ से विभागीय चौकिया में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है. इसके उपलब्ध होने से न केवल इसका लाभ वन क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को होगा.

Forest department rescued crocodile
वन विभाग ने मगरमच्छों को रेस्क्यू कर जंगल छोड़ा (Photo- ETV Bharat)

लोगों की समय रहते बच सकेगी जान: साथ ही स्थानीय लोग भी सांप के द्वारा काटे जाने पर वन विभाग की चौकियों से इसे ले सकते हैं. वन विभाग की तरफ से फील्ड कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं. एंटीवेनम की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है. यह सब प्रयास इसलिए हैं, ताकि न केवल विभाग के कर्मचारियों बल्कि आम लोगों को भी सांपों के काटने की घटनाओं के मामले में ज्यादा से ज्यादा राहत दी जा सके.

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