पटनाः महापर्व छठ बिहारियों के लिए बड़ी आस्था है. दूसरे दिल्ली, मुंबई, गुजरात, कोलकता के साथ साथ विदेशों में रहने वाले बिहारियों का छठ पूजा बिहार तक खींच लाता है. हर बिहारी एनआरआई अपने घर छठ मनाने के लिए आते हैं. हर साल की भांति इस बार भी काफी संख्या में एनआरआई घर पहुंच रहे हैं. इसबार छठी मईया के साथ-साथ बिहार सरकार के सामने भी अपनी मन्नत रखेंगे.
एक मंच पर आएंगे एनआरआईः स्वर्णिम मिथिला संस्थान के निदेशक राजकुमार झा ने कहा कि एनआरआई के लिए बिहार में कोई एक मंच नहीं है. बिहार में एनआरआई अफेयर्स डिपार्टमेंट भी नहीं है. बिहार में एनआरआई कार्ड बने और उनके लिए एक प्रॉपर मंच तैयार हो इसको लेकर 10 नवंबर को पटना में एनआरआई का सम्मेलन होने जा रहा है. बताया कि इसमें काफी संख्या में एनआरआई शामिल होंगे.
यह है उद्देश्यः छठ पूजा पर एनआरआई बिहार आ रहे हैं. इसी मौके पर ग्लोबल समिट 2024 का आयोजन इनकम टैक्स चौराहा स्थित रेड वेलवेट होटल में 10 नवंबर को होगा. देश-विदेश से बिहारी एनआरआई, मैरिटाइम इंजीनियर और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल होंगे. प्रदेश से बाहर रह रहे बिहारियों को अपनी मिट्टी से जोड़ने और अपनी संस्कृति की पहचान कर शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिए पहल की गयी है. एनआरआई, सीफारर्स, एविएशन वर्कर्स आदि के कल्याण के लिए काम करना ही स्वर्णिम मिथिला संस्थान का मुख्य उद्देश्य है.
"बिहार के एनआरआई का बिहार में कोई कार्ड नहीं है. यहां राज्य सरकार को नहीं पता है कि कितने बिहारी दूसरे देशों में काम करते हैं. यहां अन्य प्रदेशों की तरह कोई एनआरआई अफेयर्स डिपार्टमेंट नहीं है. एनआरआई बिहारी भी प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका अदा करना चाहते हैं. इस कार्यक्रम में सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. ऐसे में सरकार के समक्ष एनआरआई बिहारियों की बातों को रखा जाएगा." -डॉ राजकुमार झा, निदेशक, स्वर्णिम मिथिला संस्थान
बिहार में मरीन इंस्टीट्यूट खोलने की मांगः संगठन से जुड़े कैप्टन ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि वह 30 वर्षों से अधिक समय से मैरिटाइन क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. बिहार में कोई भी मरीन इंस्टीट्यूट नहीं है. मरीन इंस्टीट्यूट अगर रहता तो अधिक संख्या में यहां से बिहारी मरीन फील्ड में जाते और देश दुनिया रकी सैर करते.
बिहार के विकास में देंगे योगदानः उन्होंने बताया कि जब वे दूसरे देशों में घूमते हैं तो वहां के अलग-अलग विकास के आयामों से भी रूबरू होते हैं. जिस पर हम अपने यहां भी काम कर सकते हैं. बिहार से लोग काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, लेकिन बिहार दिल में रहता है. ऐसे में एनआरआई भी अपने बिहार के लिए कुछ करना चाहते हैं.
"इस सम्मेलन में सरकार से एक प्लेटफार्म बनाने की डिमांड रखेंगे, जहां एनआरआई बिहारी प्रदेश के लिए अपनी कुछ योगदान दे सकें." -कैप्टन ज्ञानेंद्र कुमार
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