बीकानेर. 15 जनवरी तक सरकार की ओर से विभिन्न विभागों में तबादलों को लेकर छूट दी गई थी और इस दौरान अलग-अलग विभागों में कर्मचारियों के तबादले किए गए. लेकिन बीकानेर में सबसे ज्यादा चर्चा बिजली विभाग की है. दरअसल शहरी क्षेत्र में निजी कंपनी के हाथों में संचालन है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के मुख्यालय से जुड़े अधिकांश ऑफिस शहर में ही संचालित होते हैं और यहां कार्यरत अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को बीकानेर जिले में ही स्थानांतरित करने की बजाय दूसरे जिलों में भेजा गया है. जिसको लेकर अब कर्मचारी संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है.
करीब 80 लोगों को भेजा : कर्मचारी नेता भंवर पुरोहित का कहना है कि बीकानेर से करीब 80 अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को डिस्कॉम के अंतर्गत आने वाले जोधपुर संभाग के अलग-अलग जिलों में भेजा गया है, जबकि बीकानेर जिले में नया कोई कर्मचारी बाहर से नहीं आया है. ऐसे में केवल जोधपुर से कर्मचारियों को नजदीकी ट्रांसफर करने की बजाय बीकानेर से दूरस्थ ट्रांसफर किया गया है जो की साफ तौर पर कर्मचारियों को टारगेट करने के लिए किया गया कृत्य है.
अनूपगढ़ जिला ख़त्म तो फलौदी जिले में भेजा : दरअसल माना जा रहा है कि जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधीन बीकानेर संभाग भी आता है और जोधपुर संभाग भी डिस्कॉम के अंतर्गत है. बीकानेर संभाग में पिछली सरकार में अनूपगढ़ जिला बनाया गया था लेकिन इस सरकार में अनूपगढ़ जिले को खत्म कर दिया गया. ऐसे में तबादलों में बीकानेर से अनूपगढ़ स्टाफ को स्थानांतरित करने की जरूरत खत्म हो गई जिसके बाद जोधपुर संभाग में फलोदी नया जिला कायम रहा. लेकिन फलोदी में लगाए जाने वाला स्टाफ जोधपुर की बजाय बीकानेर जिले से ट्रांसफर किया गया और बीकानेर से ट्रांसफर किए गए अधिकतर कर्मचारियों को फलोदी जिले में भेजा गया है.
जन प्रतिनिधियों जब तक पहुंचाई बात : कर्मचारी महासंघ और मजदूर संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और विधायक जेठानंद व्यास तक अपनी बात पहुंचाई. लेकिन दो दिन बाद भी कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली और अब कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि इस तरह प्रताड़ित कर कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर इस लिस्ट पर रोक नहीं लगी तो आने वाले दिनों में डिस्कॉम प्रशासन को विरोध झेलना होगा.