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'10 साल सांसद लेकिन इस गांव में नहीं बनी सड़क', जनता बोली- 'किस मुंह से वोट मांगने आएंगे नेताजी' - No Road No Vote

हर साल नेता चुनाव में बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन जीतने के बाद भूल जाते हैं. ऐसा ही मामला पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में देखने को मिला. मसौढ़ी अनुमंडल से 15 किमी दूर खैनिया गांव में आजादी के 76 साल बाद भी सड़क नहीं बनी. लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लगा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

खैनिया गांव में लोगों का प्रदर्शन
खैनिया गांव में लोगों का प्रदर्शन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 2, 2024, 6:11 PM IST

खैनिया गांव में प्रदर्शन करते लोग

पटनाः बिहार के पटना में एक ऐसा गांव है जहां आजादी के 76 साल बाद भी सड़क नहीं बनी. लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद नेता वोट मांगने की तैयारी में जुट गए हैं. इस गांव के लोग भी रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा देना शुरू कर दिए हैं. उन्होंने साफ कहा कि पहले रोड बनाओ इसके बाद वोट देंगे.

रामकृपाल यादव दो बार से हैं सांसदः मामला मसौढ़ी अनुमंडल से 15 किमी दूर खैनिया गांव का है. यह गांव पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में आता है. वर्तमान में भाजपा नेता रामकृपाल यादव यहां से सीटिंग सांसद हैं. पिछले दो बार से 2014 और 2019 में जीत मिली है. इसबार भी तीसरी बार पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. सवाल है कि रामकृपाल यादव के रहते इतने साल में इस गांव में सड़क क्यों नहीं बनी? इसी सवाल का जवाब जनता मांग रही है.

'रोड नहीं तो वोट नहीं': खैनिया गांव के लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं को लेकर प्रदर्शन किया. गांव के लोग काफी ने कहा कि जब-जब चुनाव आता है तो नेता वोट जरूर मांगने आते हैं लेकिन गांव की बुनियादी समस्याओं का निराकरण नहीं करते हैं. ऐसे में मतदाताओं में इस बार काफी गुस्सा में दिख रहा है. नेताओं को नो एंट्री की चेतावनी दी है. लोगों ने कहा कि रामकृपाल यादव किस मुंह से वोट मांगने के लिए आएंगे.

बरसात के दिनों में समस्याः खैनिया गांव के विकास कुमार, टुन्नू कुमार, जितेंद्र कुमार, सत्यनारायण प्रसाद, चिंता देवी, कौशल कुमार, मीना देवी, सुमित, मीरा देवी, सरिता देवी, यशोमती देवी, मंदोदरी देवी आदि सैकड़ों लोगों ने कहा कि हमारे गांव में एक कच्ची सड़क है. आज तक उसका पक्कीकरण नहीं हो पाया है. बरसात के दिनों में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

"नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं. हमलोग वोट क्यों दें जब हमारे गांव में विकास ही नहीं हो रहा है. इस बार हमलोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ अभियान चलाया है. जो भी नेता वोट मांगने आएंगे तो सबसे पहले इस गांव की जो बुनियादी समस्या है उसको दिखाया जाएगा. अगर वे आश्वासन देते हैं तो वोट देंगे." -जितन पासवान, ग्रामीण

'मर जाएंगे तब रोड बनेगा': इस गांव में करीब 5000 लोग रहते हैं. यहां दो मतदान केंद्र हैं. गांव की एक वृद्ध महिला ने कहा कि हमारी उम्र 60 साल हो गई. आज तक हमने रोड बनते हुए नहीं देखा. कब रोड बनेगा मर जाएंगे तब बनेगा. सिर्फ नेता लोग वोट मांगने के लिए आता है. बारिश में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. गांव के लोगों ने कहा कि इस बार हमलोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का मन बना लिया है.

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खैनिया गांव में प्रदर्शन करते लोग

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रामकृपाल यादव दो बार से हैं सांसदः मामला मसौढ़ी अनुमंडल से 15 किमी दूर खैनिया गांव का है. यह गांव पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में आता है. वर्तमान में भाजपा नेता रामकृपाल यादव यहां से सीटिंग सांसद हैं. पिछले दो बार से 2014 और 2019 में जीत मिली है. इसबार भी तीसरी बार पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. सवाल है कि रामकृपाल यादव के रहते इतने साल में इस गांव में सड़क क्यों नहीं बनी? इसी सवाल का जवाब जनता मांग रही है.

'रोड नहीं तो वोट नहीं': खैनिया गांव के लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं को लेकर प्रदर्शन किया. गांव के लोग काफी ने कहा कि जब-जब चुनाव आता है तो नेता वोट जरूर मांगने आते हैं लेकिन गांव की बुनियादी समस्याओं का निराकरण नहीं करते हैं. ऐसे में मतदाताओं में इस बार काफी गुस्सा में दिख रहा है. नेताओं को नो एंट्री की चेतावनी दी है. लोगों ने कहा कि रामकृपाल यादव किस मुंह से वोट मांगने के लिए आएंगे.

बरसात के दिनों में समस्याः खैनिया गांव के विकास कुमार, टुन्नू कुमार, जितेंद्र कुमार, सत्यनारायण प्रसाद, चिंता देवी, कौशल कुमार, मीना देवी, सुमित, मीरा देवी, सरिता देवी, यशोमती देवी, मंदोदरी देवी आदि सैकड़ों लोगों ने कहा कि हमारे गांव में एक कच्ची सड़क है. आज तक उसका पक्कीकरण नहीं हो पाया है. बरसात के दिनों में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

"नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं. हमलोग वोट क्यों दें जब हमारे गांव में विकास ही नहीं हो रहा है. इस बार हमलोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ अभियान चलाया है. जो भी नेता वोट मांगने आएंगे तो सबसे पहले इस गांव की जो बुनियादी समस्या है उसको दिखाया जाएगा. अगर वे आश्वासन देते हैं तो वोट देंगे." -जितन पासवान, ग्रामीण

'मर जाएंगे तब रोड बनेगा': इस गांव में करीब 5000 लोग रहते हैं. यहां दो मतदान केंद्र हैं. गांव की एक वृद्ध महिला ने कहा कि हमारी उम्र 60 साल हो गई. आज तक हमने रोड बनते हुए नहीं देखा. कब रोड बनेगा मर जाएंगे तब बनेगा. सिर्फ नेता लोग वोट मांगने के लिए आता है. बारिश में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. गांव के लोगों ने कहा कि इस बार हमलोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का मन बना लिया है.

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