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NMDC पर 16 सौ 20 करोड़ का जुर्माना, कंपनी बोली बिना तथ्यों को जाने दिया नोटिस - NMDC FINE CASE

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 31, 2024, 4:13 PM IST

NMDC FINE CASE दंतेवाड़ा में NMDC पर नियमों का उल्लंघन करने के एवज में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने 1620 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था.जिस पर NMDC ने कहा है कि बिना तथ्यों की जांच किए बिना जुर्माना लगाया गया है.कंपनी अपना पक्ष जिला प्रशासन के सामने प्रस्तुत करेगा.NMDC statement on fine

NMDC FINE CASE
NMDC ने जुर्माने को बताया गलत (ETV Bharat Chhattisgarh)

दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में प्रशासन ने खनन कानूनों के उल्लंघन के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम यानी एनएमडीसी पर 1620 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनएमडीसी ने इस कदम को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है. एनएमडीसी का आरोप है कि जुर्माना मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना पूरी तरह से और आंख बंद करके लगाया गया है. एनएमडीसी का किरंदुल में बैलाडिला पहाड़ियों और बस्तर क्षेत्र में दंतेवाड़ा के बचेली क्षेत्र में खनन कार्य है.29 अगस्त को लिखे पत्र में दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने एनएमडीसी को 15 दिनों के भीतर जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया.

आधिकारिक पत्र में किन चीजों का है उल्लेख : जिला प्रशासन के पत्र में कहा गया है कि दंतेवाड़ा के बचेली तहसील के अंतर्गत ग्राम किरंदुल में डिपोजिट क्रमांक 14 एमएल 322.368 हेक्टेयर, डिपोजिट क्रमांक 14 एनएमजेड 506.742 हेक्टेयर और डिपोजिट क्रमांक 11 874.924 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लौह अयस्क खनन पट्टे स्वीकृत किए गए हैं. एनएमडीसी ने छत्तीसगढ़ खनिज (खनन परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 की धारा (4)(1) और छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 के नियम (5) और धारा 21( का उल्लंघन किया है.पत्र में कहा गया है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के 5) बाजार मूल्य और खनिज की रॉयल्टी के आधार पर कुल 1620.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाता है.

क्या है जिला प्रशासन का कहना ?: जब कारण बताओ नोटिस के बारे में विवरण के लिए संपर्क किया गया, तो कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं एनएमडीसी ने एक बयान में दावा किया कि दंतेवाड़ा कलेक्टर ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए 1,620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाने का प्रस्ताव दिया है. इस तरह खनन के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.

बिना तथ्यों को जाने लगाया गया जुर्माना : इस पूरे मामले में NMDC ने कहा कि वर्तमान मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना केवल और आंख बंद करके जुर्माना लगाया गया है. मुआवजे की मांग के लिए लागू नोटिस के माध्यम से मुआवजा और जुर्माना लगाना पूरी तरह से अनुचित है. एनएमडीसी लिमिटेड वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, सीटीओ (संचालन की सहमति), सीटीई (स्थापना की सहमति), और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से पर्यावरण और वन मंजूरी के साथ काम कर रहा है.

नहीं हुआ नियमों का उल्लंघन : NMDC के मुताबिक छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के नियम 2, उपनियम 1 (डी) के अनुसार, किरंदुल कॉम्प्लेक्स, एनएमडीसी लिमिटेड राज्य सरकार को जमा, ग्रेड और उत्पाद-वार अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान कर रहा था. खनिज-ऑनलाइन पोर्टल, और भुगतान के बाद, ई-परमिट नंबर उत्पन्न होते है.एनएमडीसी ने अग्रिम रॉयल्टी भुगतान कर दिया है, इसलिए किरंदुल कॉम्प्लेक्स ने आरटीपी के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए खनन नियमों का उल्लंघन नहीं किया है.

इसमें यह भी बताया गया कि राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन अभिलेखों का सत्यापन करती है,सरकार की ओर से अब तक एक भी आपत्ति नहीं उठाई है, जिससे पता चलता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. एनएमडीसी ने आगे कहा कि लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में समय लगता है, जिससे आरटीपी के उत्पादन में दो से तीन दिन की देरी होती है. इससे सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है. एनएमडीसी जिला कलेक्टर को उचित जवाब प्रस्तुत करेगा.

सोर्स- PTI


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दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में प्रशासन ने खनन कानूनों के उल्लंघन के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम यानी एनएमडीसी पर 1620 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनएमडीसी ने इस कदम को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है. एनएमडीसी का आरोप है कि जुर्माना मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना पूरी तरह से और आंख बंद करके लगाया गया है. एनएमडीसी का किरंदुल में बैलाडिला पहाड़ियों और बस्तर क्षेत्र में दंतेवाड़ा के बचेली क्षेत्र में खनन कार्य है.29 अगस्त को लिखे पत्र में दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने एनएमडीसी को 15 दिनों के भीतर जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया.

आधिकारिक पत्र में किन चीजों का है उल्लेख : जिला प्रशासन के पत्र में कहा गया है कि दंतेवाड़ा के बचेली तहसील के अंतर्गत ग्राम किरंदुल में डिपोजिट क्रमांक 14 एमएल 322.368 हेक्टेयर, डिपोजिट क्रमांक 14 एनएमजेड 506.742 हेक्टेयर और डिपोजिट क्रमांक 11 874.924 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लौह अयस्क खनन पट्टे स्वीकृत किए गए हैं. एनएमडीसी ने छत्तीसगढ़ खनिज (खनन परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 की धारा (4)(1) और छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 के नियम (5) और धारा 21( का उल्लंघन किया है.पत्र में कहा गया है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के 5) बाजार मूल्य और खनिज की रॉयल्टी के आधार पर कुल 1620.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाता है.

क्या है जिला प्रशासन का कहना ?: जब कारण बताओ नोटिस के बारे में विवरण के लिए संपर्क किया गया, तो कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं एनएमडीसी ने एक बयान में दावा किया कि दंतेवाड़ा कलेक्टर ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए 1,620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना और मुआवजा लगाने का प्रस्ताव दिया है. इस तरह खनन के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.

बिना तथ्यों को जाने लगाया गया जुर्माना : इस पूरे मामले में NMDC ने कहा कि वर्तमान मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना केवल और आंख बंद करके जुर्माना लगाया गया है. मुआवजे की मांग के लिए लागू नोटिस के माध्यम से मुआवजा और जुर्माना लगाना पूरी तरह से अनुचित है. एनएमडीसी लिमिटेड वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, सीटीओ (संचालन की सहमति), सीटीई (स्थापना की सहमति), और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से पर्यावरण और वन मंजूरी के साथ काम कर रहा है.

नहीं हुआ नियमों का उल्लंघन : NMDC के मुताबिक छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के नियम 2, उपनियम 1 (डी) के अनुसार, किरंदुल कॉम्प्लेक्स, एनएमडीसी लिमिटेड राज्य सरकार को जमा, ग्रेड और उत्पाद-वार अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान कर रहा था. खनिज-ऑनलाइन पोर्टल, और भुगतान के बाद, ई-परमिट नंबर उत्पन्न होते है.एनएमडीसी ने अग्रिम रॉयल्टी भुगतान कर दिया है, इसलिए किरंदुल कॉम्प्लेक्स ने आरटीपी के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए खनन नियमों का उल्लंघन नहीं किया है.

इसमें यह भी बताया गया कि राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन अभिलेखों का सत्यापन करती है,सरकार की ओर से अब तक एक भी आपत्ति नहीं उठाई है, जिससे पता चलता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. एनएमडीसी ने आगे कहा कि लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में समय लगता है, जिससे आरटीपी के उत्पादन में दो से तीन दिन की देरी होती है. इससे सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है. एनएमडीसी जिला कलेक्टर को उचित जवाब प्रस्तुत करेगा.

सोर्स- PTI


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