पटना : बिहार में जेडीयू ने 16 लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार तय कर दिए हैं. सबसे अधिक टिकट कुशवाहा जाति के खाते में गया है. कुल कुशवाहा जाति से तीन उम्मीदवार मैदान में हैं. इनका प्रतिशत लगभग 19 के आसपास आती है. नीतीश कुमार ने पिछड़ों और अति पिछड़ों पर सबसे अधिक भरोसा किया है. पिछड़ी जाति से 6 उम्मीदवार को लोकसभा की टिकट दी गई है, तो अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले पांच उम्मीदवारों को लोकसभा की टिकट मिला है.
टिकट बंटवारे पर जातीय गणना की छाप : कुल 37.5% हिस्सेदारी पिछड़ों को और 31.02% हिस्सेदारी अति पिछड़ों को मिली है. कुल मिलाकर 68.7% हिस्सेदारी पिछड़ों और अति पिछड़ों के खाते में गई है. यह भी जानना जरूरी है कि जातिगत जनगणना में किस जाति की हिस्सेदारी कितनी है. बिहार में 27% आबादी पिछड़े वर्ग के लोगों की है, तो 36% आबादी अति पिछड़ा समुदाय की है. कुल मिलाकर 63% आबादी पिछड़ाओं और अति पिछड़ों की हो जाती है.
अति पिछड़ा को ज्यादा सीटें : आबादी के अनुपात में जदयू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को अधिक हिस्सेदारी दी है. जातिगत आधार पर अगर बात करें तो सबसे अधिक टिकट कुशवाहा जाति के खाते में गई है. कुशवाहा जाति के तीन उम्मीदवारों को नीतीश कुमार ने टिकट दिया है. सिवान से विजयलक्ष्मी पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और बाल्मीकि नगर से सुनील कुमार को टिकट मिला है. कुल 19 प्रतिशत हिस्सेदारी कुशवाहा जाति को दी गई है. आपको बता दें कि बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी 4.21% है.
अगड़ी जाति को भी 18फीसदी हिस्सेदारी : जदयू ने अगड़ी जाति के तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. शिवहर से लवली आनंद, मुंगेर से ललन सिंह और सीतामढ़ी से देवेश ठाकुर अगड़ी जाति से आते हैं. लगभग 18.7% हिस्सेदारी अगड़ी जाति को भी दी है.
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