ETV Bharat / state

जदयू और बीजेपी ने दो-दो सीटों पर बदले थे प्रत्याशी, JDU को मिली जीत वहीं BJP की हुई हार - Nitish kumar retains his dominance

Nitish Kumar लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की राजनीति ने एक बार फिर करवट ली है. जहां नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने नए उम्मीदवारों के दम पर शानदार जीत दर्ज की, वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारा झटका लगा. इस चुनावी नतीजे ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है. पढ़ें, विस्तार से.

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 9, 2024, 4:25 PM IST

नीतीश कुमार.
नीतीश कुमार. (ETV Bharat)

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की राजनीतिक सूझबूझ और उनके दल जदयू की मजबूती को साबित कर दिया है. जदयू ने अपने दो मौजूदा सांसदों, सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू और सिवान से कविता सिंह का टिकट काटकर, नए चेहरे विजयलक्ष्मी (सिवान) और देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) को मौका दिया था. यह दांव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हुआ. दोनों उम्मीदवारों ने शानदार जीत हासिल की.

बिहार की राजनीति में नीतीश का जलवा. (ETV Bharat)

बीजेपी को लगा झटकाः दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा. पार्टी ने सासाराम से छेदी पासवान और बक्सर से अश्विनी कुमार चौबे का टिकट काटकर, मिथिलेश तिवारी (बक्सर) और शिवेश राम (सासाराम) को मैदान में उतारा. दोनों ही सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यह परिणाम बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपने गढ़ में भी अपनी पकड़ बनाए रखने में विफल रही.

बीजेपी में विरोध का स्वर उठाः बक्सर एवं सासाराम से बीजेपी के मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया. बक्सर से टिकट कटने के बाद अश्विनी कुमार चौबे कुछ दिनों तक खुलकर पार्टी के निर्णय का विरोध किया. चुनाव समाप्त होने तक अश्विनी कुमार चौबे एक बार भी बक्सर नहीं गए. चुनाव में अश्वनी चौबे की सक्रियता नहीं करने के कारण बीजेपी को बक्सर में नुकसान उठाना पड़ा. यही स्थिति सासाराम में भी देखने को मिली. पूरे चुनाव में छेदी पासवान सासाराम में सक्रिय नहीं रहे. इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा. JDU ने भी अपने दो मौजूदा सांसद का टिकट काटा था. नीतीश कुमार के दोनों सीटिंग सांसद खुलकर पार्टी के निर्णय के खिलाफ विरोध नहीं कर सके.

"2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की कुछ सीटों पर पार्टी की हार हुई है. बीजेपी हारी हुई सभी सीटों पर समीक्षा करेगी कि किन कारणों से इन सीटों पर हार हुई. आखिर हम जनता के उम्मीद पर खड़ा क्यों नहीं उतरे. हार के कारण की समीक्षा होने के बाद उन कमजोरी को ठीक करने का प्रयास किया जाएगा ताकि आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन हो सके."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

नीतीश का दबदबा कम नहीं हुआः राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि बीजेपी ने जिन दो सीटों पर अपने मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया था उन सीटों पर मतभेद उभर कर सामने आया. बक्सर और सासाराम से पार्टी के प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सके. वहीं नीतीश कुमार ने भी दो सांसदों का टिकट काटा लेकिन दोनों जगह पर जदयू के प्रत्याशी की जीत हुई. सबसे बड़ी बात है कि जेडीयू जिन जाति के सांसदों का टिकट काटा था उस जाति के प्रत्याशी को टिकट न देकर दूसरे कास्ट को टिकट दिया था, फिर भी जदयू प्रत्याशी की जीत हुई. इससे साफ लग रहा है कि अभी भी बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का दबदबा कम नहीं हुआ है.

"बिहार की जनता ने एनडीए को अपना समर्थन दिया है. यही कारण है कि एनडीए के अधिकांश प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. कुछ सीटों पर पार्टी की हार हुई है, जदयू और एनडीए गठबंधन इस पर समीक्षा करेगी. बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. इस चुनाव परिणाम के बाद यह स्पष्ट हो गया कि बिहार के लोग अभी भी नीतीश कुमार को दिल से चाहते हैं."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

बीजेपी को आत्मचिंतन करने की जरूरतः इस चुनावी नतीजे ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है. जदयू की यह जीत दिखाती है कि नीतीश कुमार की रणनीति और उनके द्वारा चुने गए उम्मीदवार जनता के बीच लोकप्रिय हैं. उन्होंने विपक्षी पार्टियों को कड़ी टक्कर दी है. बिहार की राजनीति में यह चुनावी परिणाम नीतीश कुमार के नेतृत्व और जदयू की मजबूती को और अधिक पुख्ता करता है, जबकि बीजेपी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि वे अपने पारंपरिक वोटबैंक को क्यों नहीं बचा पाए.

इसे भी पढ़ेंः 'टाइगर जिंदा है' पटना में लगे नीतीश कुमार के पोस्टर, आखिर इस संदेश के क्या हैं मायने? - Nitish Kumar Poster

इसे भी पढ़ेंः 'बिहार की पुकार है, नीतीशे कुमार है', लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही पटना से दिल्ली तक छा गए बिहार के CM - NITISH KUMAR

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की राजनीतिक सूझबूझ और उनके दल जदयू की मजबूती को साबित कर दिया है. जदयू ने अपने दो मौजूदा सांसदों, सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू और सिवान से कविता सिंह का टिकट काटकर, नए चेहरे विजयलक्ष्मी (सिवान) और देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) को मौका दिया था. यह दांव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हुआ. दोनों उम्मीदवारों ने शानदार जीत हासिल की.

बिहार की राजनीति में नीतीश का जलवा. (ETV Bharat)

बीजेपी को लगा झटकाः दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा. पार्टी ने सासाराम से छेदी पासवान और बक्सर से अश्विनी कुमार चौबे का टिकट काटकर, मिथिलेश तिवारी (बक्सर) और शिवेश राम (सासाराम) को मैदान में उतारा. दोनों ही सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यह परिणाम बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है, जो अपने गढ़ में भी अपनी पकड़ बनाए रखने में विफल रही.

बीजेपी में विरोध का स्वर उठाः बक्सर एवं सासाराम से बीजेपी के मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया. बक्सर से टिकट कटने के बाद अश्विनी कुमार चौबे कुछ दिनों तक खुलकर पार्टी के निर्णय का विरोध किया. चुनाव समाप्त होने तक अश्विनी कुमार चौबे एक बार भी बक्सर नहीं गए. चुनाव में अश्वनी चौबे की सक्रियता नहीं करने के कारण बीजेपी को बक्सर में नुकसान उठाना पड़ा. यही स्थिति सासाराम में भी देखने को मिली. पूरे चुनाव में छेदी पासवान सासाराम में सक्रिय नहीं रहे. इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा. JDU ने भी अपने दो मौजूदा सांसद का टिकट काटा था. नीतीश कुमार के दोनों सीटिंग सांसद खुलकर पार्टी के निर्णय के खिलाफ विरोध नहीं कर सके.

"2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की कुछ सीटों पर पार्टी की हार हुई है. बीजेपी हारी हुई सभी सीटों पर समीक्षा करेगी कि किन कारणों से इन सीटों पर हार हुई. आखिर हम जनता के उम्मीद पर खड़ा क्यों नहीं उतरे. हार के कारण की समीक्षा होने के बाद उन कमजोरी को ठीक करने का प्रयास किया जाएगा ताकि आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन हो सके."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

नीतीश का दबदबा कम नहीं हुआः राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि बीजेपी ने जिन दो सीटों पर अपने मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया था उन सीटों पर मतभेद उभर कर सामने आया. बक्सर और सासाराम से पार्टी के प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सके. वहीं नीतीश कुमार ने भी दो सांसदों का टिकट काटा लेकिन दोनों जगह पर जदयू के प्रत्याशी की जीत हुई. सबसे बड़ी बात है कि जेडीयू जिन जाति के सांसदों का टिकट काटा था उस जाति के प्रत्याशी को टिकट न देकर दूसरे कास्ट को टिकट दिया था, फिर भी जदयू प्रत्याशी की जीत हुई. इससे साफ लग रहा है कि अभी भी बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का दबदबा कम नहीं हुआ है.

"बिहार की जनता ने एनडीए को अपना समर्थन दिया है. यही कारण है कि एनडीए के अधिकांश प्रत्याशी चुनाव जीते हैं. कुछ सीटों पर पार्टी की हार हुई है, जदयू और एनडीए गठबंधन इस पर समीक्षा करेगी. बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. इस चुनाव परिणाम के बाद यह स्पष्ट हो गया कि बिहार के लोग अभी भी नीतीश कुमार को दिल से चाहते हैं."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

बीजेपी को आत्मचिंतन करने की जरूरतः इस चुनावी नतीजे ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है. जदयू की यह जीत दिखाती है कि नीतीश कुमार की रणनीति और उनके द्वारा चुने गए उम्मीदवार जनता के बीच लोकप्रिय हैं. उन्होंने विपक्षी पार्टियों को कड़ी टक्कर दी है. बिहार की राजनीति में यह चुनावी परिणाम नीतीश कुमार के नेतृत्व और जदयू की मजबूती को और अधिक पुख्ता करता है, जबकि बीजेपी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि वे अपने पारंपरिक वोटबैंक को क्यों नहीं बचा पाए.

इसे भी पढ़ेंः 'टाइगर जिंदा है' पटना में लगे नीतीश कुमार के पोस्टर, आखिर इस संदेश के क्या हैं मायने? - Nitish Kumar Poster

इसे भी पढ़ेंः 'बिहार की पुकार है, नीतीशे कुमार है', लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही पटना से दिल्ली तक छा गए बिहार के CM - NITISH KUMAR

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.