ETV Bharat / state

20 साल में JDU को कभी नहीं मिला पूर्ण बहुमत, लेकिन हर बार नीतीश के पास रहती है सत्ता की चाबी - NITISH KUMAR

बिहार में पिछले 20 सालों में जदयू को कभी पूर्ण बहुमत नहीं मिली. हालांकि नीतीश कुमार हर बार बिहार के सीएम बनने में सफल रहे.

NITISH KUMAR
नीतीश कुमार (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 4, 2025, 7:06 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. वो देश के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिनकी पार्टी जदयू को बिहार में कभी बहुमत नहीं मिली है. बावजूद इसके पिछले दो दशक से वो बिहार की सत्ता पर राज कर रहे है. राजनीतिक विशेषज्ञ इसके पीछे जाति और कांबिनेशन की राजनीति को बड़ा कारण बताते हैं.

नीतीश कुमार के पास एक बड़ा वोट बैंक: वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश विजनरी है. जिस प्रकार से बिहार में उन्होंने काम किया है, एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ है. यही कारण है कि उनकी पार्टी को भले ही कभी बहुमत न मिला हो लेकिन हर गठबंधन उन्हें अपने साथ रखना चाहता है. सभी उनके नेतृत्व में ही सरकार बनाने के लिए तैयार रहते हैं.

नीतीश कुमार ही क्यों बनते हैं बिहार के CM (ETV Bharat)

चार विधानसभा चुनाव में कभी नहीं मिला बहुमत: नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं. 2005 में दो बार विधानसभा का चुनाव हुआ. पहली बार किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिली लेकिन नवंबर में जब दोबारा चुनाव हुआ तो एनडीए को बहुमत मिली. जदयू को नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में 88 सीटों पर जीत मिली थी, बीजेपी को 55 सीटों पर जीत मिली और तब जाकर सरकार बनी थी.

कभी भाजपा तो कभी आरजेडी का मिला साथ: 2010 विधानसभा चुनाव में जदयू का अब तक का सबसे बेहतर परफॉर्मेंस रहा है. जदयू को 115 सीटों पर जीत मिली थी उस समय भी बहुमत से जदयू पीछे रेह गया. हालांकि भाजपा के सहयोग से बिहार में एनडीए की सरकार बनी. 2005 और 2010 में जदयू बिहार की एक नंबर की पार्टी थी लेकिन इसके बाद 2015 विधानसभा चुनाव में जदयू दूसरे नंबर की पार्टी हो गई. जदयू से ज्यादा सीट आरजेडी को मिला लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार बनी.

NITISH KUMAR
चार विधानसभा चुनाव में कभी नहीं मिला बहुमत (ETV Bharat)

इस साल में तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी जदयू: वहीं 2015 में जदयू को 71 सीट पर जीत मिली थी, आरजेडी को 80 सीट पर जीत हासिल हुई थी. 2020 में जदयू की स्थिति और खराब हो गई और पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. उसे केवल 43 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. हालांकि बीजेपी और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ एक बार फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार बनी.

बड़ा वोट बैंक क्यों है नीतीश कुमार के साथ: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद जिस विजन और सुचिता के साथ विकास का काम किया वो अहम है. दलित, पिछड़ा अति पिछड़ा और महिलाओं के लिए नीतीश कुमार ने जो फैसले लिए और योजना बनाई उसका उन्हें लाभ मिला है. इसकी वजह से आज बड़ा वोट बैंक नीतीश कुमार के साथ है.

"नीतीश कुमार के साथ आज एक बड़ा वोट बैंक है. इसी खूबी के कारण हर गठबंधन उन्हें अपने साथ जोड़कर रखना चाहता है. चाहे जदयू एक नंबर की पार्टी हो, दो नंबर की या तीन नंबर की, मुख्यमंत्री का आसन नीतीश कुमार को ही मिलना है."- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

कॉम्बिनेशन और कास्ट की राजनीति : राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि "आज की राजनीति की यही तो विडंबना है कि यह नीति और सिद्धांत कि नहीं रह गई है. यह सिर्फ कुर्सी की राजनीति हो गई है. इसके अलावा ये कॉम्बिनेशन और कास्ट की राजनीति हो गई है. सभी गठबंधन को डर है कि नीतीश कुमार कहीं पाला न बदल लें."

NITISH KUMAR
नीतीश कुमार क्यों हैं जरूरी (ETV Bharat)

नीतीश कुमार क्यों हैं जरूरी: बिहार में लव कुश वोट बैंक हमेशा नीतीश कुमार के साथ रहा है, जो उन्हें किसी भी पार्टी के लिए काफी अहम बनाता है. बता दें कि अति पिछड़ा वोट बैंक का बड़ा हिस्सा भी नीतीश कुमार का साथ देता है. आधी आबादी के वोट का बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार को सपोर्ट करता है. नीतीश कुमार ने अपने विजन से बिहार को विकास के रास्ते पर लाया है.

अगले विधानसभा चुनाव में भी नीतीश ही करेंगे नेतृत्व!: यही नहीं 2025 में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की तैयारी हो रही है. जबकि दूसरे राज्यों की चर्चा करें तो पिछले साल महाराष्ट्र के चुनाव को ही देखा जा सकता है, जहां एकनाथ शिंदे वहां मुख्यमंत्री थे लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को बीजेपी से कम सीट मिली और उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इस मामले में नीतीश देश में सबसे अलग हैं और लगातार रिकॉर्ड बना रहे हैं.

पढ़ें-क्या नीतीश कुमार एनडीए में रहेंगे, जेडीयू नेता ने दिया बड़ा बयान - JDU LEADER ON NITISH KUMAR

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. वो देश के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिनकी पार्टी जदयू को बिहार में कभी बहुमत नहीं मिली है. बावजूद इसके पिछले दो दशक से वो बिहार की सत्ता पर राज कर रहे है. राजनीतिक विशेषज्ञ इसके पीछे जाति और कांबिनेशन की राजनीति को बड़ा कारण बताते हैं.

नीतीश कुमार के पास एक बड़ा वोट बैंक: वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश विजनरी है. जिस प्रकार से बिहार में उन्होंने काम किया है, एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ है. यही कारण है कि उनकी पार्टी को भले ही कभी बहुमत न मिला हो लेकिन हर गठबंधन उन्हें अपने साथ रखना चाहता है. सभी उनके नेतृत्व में ही सरकार बनाने के लिए तैयार रहते हैं.

नीतीश कुमार ही क्यों बनते हैं बिहार के CM (ETV Bharat)

चार विधानसभा चुनाव में कभी नहीं मिला बहुमत: नीतीश कुमार 2005 से बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं. 2005 में दो बार विधानसभा का चुनाव हुआ. पहली बार किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिली लेकिन नवंबर में जब दोबारा चुनाव हुआ तो एनडीए को बहुमत मिली. जदयू को नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में 88 सीटों पर जीत मिली थी, बीजेपी को 55 सीटों पर जीत मिली और तब जाकर सरकार बनी थी.

कभी भाजपा तो कभी आरजेडी का मिला साथ: 2010 विधानसभा चुनाव में जदयू का अब तक का सबसे बेहतर परफॉर्मेंस रहा है. जदयू को 115 सीटों पर जीत मिली थी उस समय भी बहुमत से जदयू पीछे रेह गया. हालांकि भाजपा के सहयोग से बिहार में एनडीए की सरकार बनी. 2005 और 2010 में जदयू बिहार की एक नंबर की पार्टी थी लेकिन इसके बाद 2015 विधानसभा चुनाव में जदयू दूसरे नंबर की पार्टी हो गई. जदयू से ज्यादा सीट आरजेडी को मिला लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार बनी.

NITISH KUMAR
चार विधानसभा चुनाव में कभी नहीं मिला बहुमत (ETV Bharat)

इस साल में तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी जदयू: वहीं 2015 में जदयू को 71 सीट पर जीत मिली थी, आरजेडी को 80 सीट पर जीत हासिल हुई थी. 2020 में जदयू की स्थिति और खराब हो गई और पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. उसे केवल 43 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. हालांकि बीजेपी और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ एक बार फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार बनी.

बड़ा वोट बैंक क्यों है नीतीश कुमार के साथ: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद जिस विजन और सुचिता के साथ विकास का काम किया वो अहम है. दलित, पिछड़ा अति पिछड़ा और महिलाओं के लिए नीतीश कुमार ने जो फैसले लिए और योजना बनाई उसका उन्हें लाभ मिला है. इसकी वजह से आज बड़ा वोट बैंक नीतीश कुमार के साथ है.

"नीतीश कुमार के साथ आज एक बड़ा वोट बैंक है. इसी खूबी के कारण हर गठबंधन उन्हें अपने साथ जोड़कर रखना चाहता है. चाहे जदयू एक नंबर की पार्टी हो, दो नंबर की या तीन नंबर की, मुख्यमंत्री का आसन नीतीश कुमार को ही मिलना है."- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

कॉम्बिनेशन और कास्ट की राजनीति : राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि "आज की राजनीति की यही तो विडंबना है कि यह नीति और सिद्धांत कि नहीं रह गई है. यह सिर्फ कुर्सी की राजनीति हो गई है. इसके अलावा ये कॉम्बिनेशन और कास्ट की राजनीति हो गई है. सभी गठबंधन को डर है कि नीतीश कुमार कहीं पाला न बदल लें."

NITISH KUMAR
नीतीश कुमार क्यों हैं जरूरी (ETV Bharat)

नीतीश कुमार क्यों हैं जरूरी: बिहार में लव कुश वोट बैंक हमेशा नीतीश कुमार के साथ रहा है, जो उन्हें किसी भी पार्टी के लिए काफी अहम बनाता है. बता दें कि अति पिछड़ा वोट बैंक का बड़ा हिस्सा भी नीतीश कुमार का साथ देता है. आधी आबादी के वोट का बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार को सपोर्ट करता है. नीतीश कुमार ने अपने विजन से बिहार को विकास के रास्ते पर लाया है.

अगले विधानसभा चुनाव में भी नीतीश ही करेंगे नेतृत्व!: यही नहीं 2025 में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की तैयारी हो रही है. जबकि दूसरे राज्यों की चर्चा करें तो पिछले साल महाराष्ट्र के चुनाव को ही देखा जा सकता है, जहां एकनाथ शिंदे वहां मुख्यमंत्री थे लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को बीजेपी से कम सीट मिली और उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इस मामले में नीतीश देश में सबसे अलग हैं और लगातार रिकॉर्ड बना रहे हैं.

पढ़ें-क्या नीतीश कुमार एनडीए में रहेंगे, जेडीयू नेता ने दिया बड़ा बयान - JDU LEADER ON NITISH KUMAR

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.