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मनीष कुमार वर्मा की JDU में एंट्री, अध्यक्ष संजय झा ने थमाया तीर, सवाल- कौन-सी मिलेगी जिम्मेदारी - Manish Kumar Verma joined JDU - MANISH KUMAR VERMA JOINED JDU

Manish Kumar Verma: पूर्व आईएएस अधिकारी और नीतीश कुमार के खास माने जाने वाले मनीष कुमार वर्मा ने आज जदयू का दामन थाम लिया है. अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मनीष कुमार वर्मा के जदयू में शामिल होने से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. अब उन्हें नीतीश क्या जिम्मेदारी देते हैं इसपर सभी की नजरें हैं.

मनीष कुमार वर्मा की JDU में एंट्री
मनीष कुमार वर्मा की JDU में एंट्री (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 9, 2024, 4:34 PM IST

पटना: नीतीश कुमार की पार्टी में एक और आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा की आज एंट्री हो गई है. ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा वीआरएस लेने के बाद लंबे समय से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. इससे पहले आरसीपी सिंह भी वीआरएस लेने के बाद जदयू में लंबे समय तक राजनीति करते रहे. आरसीपी सिंह और मनीष वर्मा दोनों नालंदा से आते हैं.

मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल: कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद संजय झा ने पहली जॉइनिंग मनीष वर्मा की करवाई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी इस मौके पर मौजूद रहे. मनीष कुमार वर्मा फिलहाल मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी हैं. मनीष कुमार वर्मा को लेकर लंबे समय से यह चर्चा रही है कि नीतीश कुमार उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं.

मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल
मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल (ETV Bharat)

2000 से 2012 तक रहे ओडिशा में: मनीष कुमार वर्मा मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति से आने के साथ-साथ उनके रिश्तेदार भी बताए जाते हैं. मनीष कुमार वर्मा 2000 में ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी बने और सबसे पहले वह ओडिशा के कालाहांडी में सब कलेक्टर बनाए गए थे. इसके बाद वह गुनपुर, रायगढ़ में एसडीएम के पद पर रहे. मनीष कुमार वर्मा को नौकरी के पांच साल बाद पहली बार मलकानगिरी जिले का डीएम बनाया गया था.

मनीष ने ले लिया था वीआरएस: 2012 तक वह ओडिशा में कई जिलों के डीएम रहे, लेकिन 2012 के बाद ओडिशा को छोड़कर इंटर स्टेट डेपुटेशन में पांच साल के लिए बिहार आ गए. बिहार में पांच साल रहने के दौरान पटना का भी DM बनाया गया और बाद में मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी काम करने का मौका दिया गया. 23 मार्च 2018 को पांच साल पूरा हुआ तो भारत सरकार की मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति की ओर से पत्र जारी किया गया और इन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो मनीष कुमार वर्मा ने इनकार कर दिया. वीआरएस लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी.

रावण वध हादसे से आए थे चर्चा में: मनीष कुमार वर्मा 2014 में पटना के जिलाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें पूर्णिया का भी डीएम बनाया गया था. मनीष वर्मा के पटना डीएम के कार्यकाल में गांधी मैदान में रावण वध के दौरान बड़ी घटना हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी. मनीष वर्मा के वीआरएस लेने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 फरवरी 2022 को कैबिनेट की बैठक में अतिरिक्त परामर्शी का पद उनके लिए सृजित किया था तब से उसी पद पर हैं.

राजनीति में हुए एक्टिव: मनीष कुमार वर्मा लगातार राजनीति में सक्रियता दिखा रहे हैं. नालंदा में भ्रमण भी कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी कार्यकर्ताओं से उन्हें मिलते हुए देखा गया .अपनी राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से देते भी रहे हैं.

सोशल मीडिया में बधाई देने वालों का तांता: जदयू में ज्वाइनिंग से पहले ही सोशल मीडिया पर उन्हें पार्टी नेताओं की तरफ से लगातार धन्यवाद दिया जा रहा था, स्वागत किया जा रहा था. अब जदयू में आने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. ऐसे आसपास नहीं है मनीष कुमार वर्मा जदयू में किसी भूमिका में रहेंगे उन्हें क्या जिम्मेवारी दी जाएगी चर्चा जरूर होती रही है. पहले नालंदा से भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन चुनाव नहीं लड़े राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जो दिल्ली में हुई उसमें भी यह चर्चा थी कि उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन कोई जिम्मेवारी उन्हें नहीं दी गई. अब विधिवत जदयू ज्वाइन कर रहे हैं तो देखना है, नीतीश कुमार किस मुहिम में लगाते हैं.

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पटना: नीतीश कुमार की पार्टी में एक और आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा की आज एंट्री हो गई है. ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा वीआरएस लेने के बाद लंबे समय से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. इससे पहले आरसीपी सिंह भी वीआरएस लेने के बाद जदयू में लंबे समय तक राजनीति करते रहे. आरसीपी सिंह और मनीष वर्मा दोनों नालंदा से आते हैं.

मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल: कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद संजय झा ने पहली जॉइनिंग मनीष वर्मा की करवाई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी इस मौके पर मौजूद रहे. मनीष कुमार वर्मा फिलहाल मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी हैं. मनीष कुमार वर्मा को लेकर लंबे समय से यह चर्चा रही है कि नीतीश कुमार उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं.

मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल
मनीष कुमार वर्मा जदयू में हुए शामिल (ETV Bharat)

2000 से 2012 तक रहे ओडिशा में: मनीष कुमार वर्मा मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति से आने के साथ-साथ उनके रिश्तेदार भी बताए जाते हैं. मनीष कुमार वर्मा 2000 में ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी बने और सबसे पहले वह ओडिशा के कालाहांडी में सब कलेक्टर बनाए गए थे. इसके बाद वह गुनपुर, रायगढ़ में एसडीएम के पद पर रहे. मनीष कुमार वर्मा को नौकरी के पांच साल बाद पहली बार मलकानगिरी जिले का डीएम बनाया गया था.

मनीष ने ले लिया था वीआरएस: 2012 तक वह ओडिशा में कई जिलों के डीएम रहे, लेकिन 2012 के बाद ओडिशा को छोड़कर इंटर स्टेट डेपुटेशन में पांच साल के लिए बिहार आ गए. बिहार में पांच साल रहने के दौरान पटना का भी DM बनाया गया और बाद में मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी काम करने का मौका दिया गया. 23 मार्च 2018 को पांच साल पूरा हुआ तो भारत सरकार की मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति की ओर से पत्र जारी किया गया और इन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो मनीष कुमार वर्मा ने इनकार कर दिया. वीआरएस लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी.

रावण वध हादसे से आए थे चर्चा में: मनीष कुमार वर्मा 2014 में पटना के जिलाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें पूर्णिया का भी डीएम बनाया गया था. मनीष वर्मा के पटना डीएम के कार्यकाल में गांधी मैदान में रावण वध के दौरान बड़ी घटना हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी. मनीष वर्मा के वीआरएस लेने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 फरवरी 2022 को कैबिनेट की बैठक में अतिरिक्त परामर्शी का पद उनके लिए सृजित किया था तब से उसी पद पर हैं.

राजनीति में हुए एक्टिव: मनीष कुमार वर्मा लगातार राजनीति में सक्रियता दिखा रहे हैं. नालंदा में भ्रमण भी कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी कार्यकर्ताओं से उन्हें मिलते हुए देखा गया .अपनी राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से देते भी रहे हैं.

सोशल मीडिया में बधाई देने वालों का तांता: जदयू में ज्वाइनिंग से पहले ही सोशल मीडिया पर उन्हें पार्टी नेताओं की तरफ से लगातार धन्यवाद दिया जा रहा था, स्वागत किया जा रहा था. अब जदयू में आने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. ऐसे आसपास नहीं है मनीष कुमार वर्मा जदयू में किसी भूमिका में रहेंगे उन्हें क्या जिम्मेवारी दी जाएगी चर्चा जरूर होती रही है. पहले नालंदा से भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन चुनाव नहीं लड़े राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जो दिल्ली में हुई उसमें भी यह चर्चा थी कि उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन कोई जिम्मेवारी उन्हें नहीं दी गई. अब विधिवत जदयू ज्वाइन कर रहे हैं तो देखना है, नीतीश कुमार किस मुहिम में लगाते हैं.

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