कानपुर: रतौंधी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय के साथ आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है. देश भर में इस बीमारी के इलाज को लेकर कई शोध किए जा रहे है. लेकिन, अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिली है. शहर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग द्वारा पहली बार एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिससे अब रतौंधी के मरीजों की आंखे वापस आ रही है. इसके साथ ही जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अब देश भर में रतौंधी के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र भी बन गया है. जहां पर कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि पूरे देश से मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे है. और उन्हें लाभ भी मिल रहा है.
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स्टेम सेल थेरेपी से किया जा रहा है रतौंधी के मरीजों का इलाज: ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान डॉ. शालिनी मोहन ने बताया, कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज को दिन में तो ठीक से दिखाई देता है, लेकिन जैसे-जैसे शाम होने लगती है वैसे-वैसे उन्हें दिखना कम हो जाता है. उन्होंने बताया कि, अभी जो हमारे द्वारा शोध किया गया है. उसमें स्टेम सेल को निकालकर सुपराक्लोरी मोड से डाला जा रहा है. जिससे की ये जो स्टेम सेल्स है ये उसे रीच एंड रेट करें. जो हमारे सेल्स की आंख के पर्दे में कोशिकाएं होती है.उनको रीच एंड रेट करें. और जो कोशिकाओं पर डैमेज हो रहा है उसे बनाने का काम करें.
कानपुर शहरी नहीं बल्कि, देश के हर कोने से आ रहे मरीज: डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि, रतौंधी का इलाज करने के लिए देशभर से मरीज आ रहे है.जिनका इलाज किया जा रहा है. काफी अच्छी खासी संख्या में मरीजों में इसके सफल परिणाम देखने को भी मिले है. उन्होंने ने बताया कि,रोजाना ओपीडी में 8 से 10 मरीज आ रहे है. इसके साथ अभी कई और तकनीक पर भी नेत्र रोग विभाग के द्वारा शोध किया जा रहा है.जल्द ही कई और भी नई तकनीक भी सामने आएंगी. जिससे, देशभर के मरीज को इस बीमारी से लाभ मिल सकेगा.
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