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NIA ने गोपालगंज में की कार्रवाई, कम्बोडिया से लेकर पाकिस्तान कनेक्शन में 1 गिरफ्तार - NIA Arrested

NIA Team In Gopalganj: एनआईए की टीम ने मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड मामले में गोपालगंज से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. उक्त आरोपी ने पीड़ित को कम्बोडिया में नौकेरी का झांसा देकर भेज दिया था. जहां उसे गलत कंपनी में भेजवाकर उससे स्कैम कराया जाता था. बाद में उसके भारत आने पर पूरे मामले का खुलासा हुआ.

NIA Action in Gopalganj
गोपालगंज में मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड मामले में एनआईए ने की कार्रवाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 28, 2024, 2:58 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड मामले में एनआईए की टीम ने स्थानीय थाना पुलिस की सहयोग से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. उसे जिले के नगर थाना क्षेत्र के वीएम फील्ड के पास से गिरफ्तार किया गया है. अभियुक्त की पहचान नगर थाना क्षेत्र के वीएम फील्ड निवासी केशव सिंह के बेटा प्रहलाद सिंह के रूप में की गई है.

पिछले साल कम्बोडिया के लिए निकला: दरअसल, पिछले 26 मई को जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र के करमैनी मोहब्बत गांव निवासी राजनारायण यादव के बेटा संजीत कुमार यादव ने नगर थाना में धोखाघड़ी का मामला दर्ज करवाया था. संजीत कुमार ने दिए गए आवेदन में बताया कि 24 अगस्त 2023 को एमएक्स ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाले प्रहलाद सिंह ने उसे कम्बोडिया में सेफ्टी इंचार्ज के कार्य के लिए भेजा गया था. जहां पहुंचने पर संजीत वहां के एजेंट आनंद कुमार सिंह से मिला, जिसने उसे एक पाकिस्तानी व्यक्ति को सौंप दिया.

एजेंट ने पाकिस्तानी के हाथों सौंपा: संजीत ने बताया कि आनन्द सिंह ने कहा था कि यह व्यक्ति आपको कार्य के बारे में बता देगा. जिसके बाद वह पाकिस्तानी व्यक्ति के साथ "Dexi Gang" नामक कंपनी में गया. जहां उसका इंटव्यू हुआ. उसके बाद उससे ऑनलाइन स्कैम का काम करवाया जाने लगा. दो-चार दिन बाद संजीत को पता चला कि कंपनी लोगों को गलत तरीके से फंसाकर पैसा-रुपया वसूलती है. जिसके बाद उसने काम करने से इंकार कर दिया.

कंपनी ने एजेंट को दिया था 2 हजार डॉलर: विरोध करने पर कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि उसके एजेंट को कंपनी ने 2,000 डॉलर दिया था. वह पैसा मिलेगा तभी उसे छोड़ते. फिर संजीत ने आनन्द कुमार सिंह और प्रहलाद सिंह को यह सारी बातें बताई और भारत बुलाने के लिए कहा. संजीत ने आवेदन में बताया कि उसे प्रहलाद सिंह ने वहां भेजने के लिए 1 लाख 40 हजार रूपए लिए थे. वहीं, 15-20 दिन बाद Dकंपनी के मालिक का काम ठीक से नहीं चलने लगा, जिसके कारण कंपनी ने हमलोगों को किसी और व्यक्ति के पास पैसे लेकर सौंप दिया.

12 दिनों तक जेल में रहा संजीत: संजीत ने बताया कि जब वह बुरी तरह फंस गया तो उसने इंडियन एमबेसी में ऑनलाइन शिकायत दर्ज किया और सारी बातें बताई. फिर इंडियन एम्बेसी की मदद से ही वहां के लोकल पुलिस द्वारा उन्हें थाना लाया गया, जहां पर करीब 12 दिनों तक जेल में बंद रखा गया. फिर वहां से General removal immigration Centre में डाल दिया गया. जहां 35 दिनों तक रहने के बाद उन्हें कम्बोडिया से भारत भेजा गया.

पुलिस ने एनआईए को सौंपा: वहीं, पुलिस ने प्राप्त आवेदन को गम्भीरता से लेते हुए पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया था. जिसके बाद एनआईए ने मामले की जांच करते हुए आरोपी को सोमवार की रात गिरफ्तार कर लिया. साथ एनआईए द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सोमवार को स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त अभियान में छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कई स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें जबरन साइबर अपराध से जुड़े मानव तस्करी के एक मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

इनकी हुई गिरफ्तार: 15 स्थानों पर कार्रवाई के बाद वडोदरा के मनीष हिंगू, गोपालगंज के प्रहलाद सिंह, दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नबियालम रे, गुरुग्राम के बलवंत कटारिया और चंडीगढ़ के सरताज सिंह को गिरफ्तार किया गया है. एनआईए ने सभी स्थानों पर राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ एक समन्वित अभियान चलाया. तलाशी में दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण, हस्तलिखित रजिस्टर, कई पासपोर्ट, फर्जी विदेशी रोजगार पत्र आदि सहित कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई. विभिन्न राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस बलों द्वारा आठ नई एफआईआर दर्ज की गई हैं.

युवाओं से करवाते थे स्कैम: एनआईए जांच से पता चला है कि आरोपी एक संगठित तस्करी सिंडिकेट में शामिल थे, जो कानूनी रोजगार के झूठे वादे पर भारतीय युवाओं को लुभाने और विदेशों में तस्करी करने में लगे हुए थे. NIA की जांच के अनुसार मुख्य रूप से विदेशी नागरिकों द्वारा नियंत्रित और संचालित रैकेट के हिस्से के रूप में युवाओं को लाओस, गोल्डन ट्रायंगल एसईजेड और कंबोडिया सहित अन्य स्थानों पर फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

सीमा पार करने की सुविधा भी देता था: उन्हें ऑनलाइन अवैध गतिविधियां करने के लिए मजबूर किया गया, जैसे क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, नकली एप्लिकेशन का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा में निवेश, हनी ट्रैपिंग आदि जांच से यह भी पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम से लाओस एसईजेड तक भारतीय युवाओं को अवैध रूप से सीमा पार करने की सुविधा प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से सक्रिय तस्करों के साथ समन्वय कर रहे थे.

तस्करों के साथ थे संबंध: एनआईए ने 13 मई 2024 को मुंबई पुलिस से मामला अपने हाथ में ले लिया था. इसमें पाया गया कि मानव तस्करी सिंडिकेट केवल मुंबई में ही संचालित नहीं हो रहा था, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों और सीमा पार अन्य मददगारों और तस्करों के साथ इसके संबंध थे.

इसे भी पढ़े- NIA की मानव तस्करी व साइबर धोखाधड़ी मामले में कई राज्यों में छापेमारी, 5 गिरफ्तार - Human Trafficking Case

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड मामले में एनआईए की टीम ने स्थानीय थाना पुलिस की सहयोग से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. उसे जिले के नगर थाना क्षेत्र के वीएम फील्ड के पास से गिरफ्तार किया गया है. अभियुक्त की पहचान नगर थाना क्षेत्र के वीएम फील्ड निवासी केशव सिंह के बेटा प्रहलाद सिंह के रूप में की गई है.

पिछले साल कम्बोडिया के लिए निकला: दरअसल, पिछले 26 मई को जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र के करमैनी मोहब्बत गांव निवासी राजनारायण यादव के बेटा संजीत कुमार यादव ने नगर थाना में धोखाघड़ी का मामला दर्ज करवाया था. संजीत कुमार ने दिए गए आवेदन में बताया कि 24 अगस्त 2023 को एमएक्स ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाले प्रहलाद सिंह ने उसे कम्बोडिया में सेफ्टी इंचार्ज के कार्य के लिए भेजा गया था. जहां पहुंचने पर संजीत वहां के एजेंट आनंद कुमार सिंह से मिला, जिसने उसे एक पाकिस्तानी व्यक्ति को सौंप दिया.

एजेंट ने पाकिस्तानी के हाथों सौंपा: संजीत ने बताया कि आनन्द सिंह ने कहा था कि यह व्यक्ति आपको कार्य के बारे में बता देगा. जिसके बाद वह पाकिस्तानी व्यक्ति के साथ "Dexi Gang" नामक कंपनी में गया. जहां उसका इंटव्यू हुआ. उसके बाद उससे ऑनलाइन स्कैम का काम करवाया जाने लगा. दो-चार दिन बाद संजीत को पता चला कि कंपनी लोगों को गलत तरीके से फंसाकर पैसा-रुपया वसूलती है. जिसके बाद उसने काम करने से इंकार कर दिया.

कंपनी ने एजेंट को दिया था 2 हजार डॉलर: विरोध करने पर कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि उसके एजेंट को कंपनी ने 2,000 डॉलर दिया था. वह पैसा मिलेगा तभी उसे छोड़ते. फिर संजीत ने आनन्द कुमार सिंह और प्रहलाद सिंह को यह सारी बातें बताई और भारत बुलाने के लिए कहा. संजीत ने आवेदन में बताया कि उसे प्रहलाद सिंह ने वहां भेजने के लिए 1 लाख 40 हजार रूपए लिए थे. वहीं, 15-20 दिन बाद Dकंपनी के मालिक का काम ठीक से नहीं चलने लगा, जिसके कारण कंपनी ने हमलोगों को किसी और व्यक्ति के पास पैसे लेकर सौंप दिया.

12 दिनों तक जेल में रहा संजीत: संजीत ने बताया कि जब वह बुरी तरह फंस गया तो उसने इंडियन एमबेसी में ऑनलाइन शिकायत दर्ज किया और सारी बातें बताई. फिर इंडियन एम्बेसी की मदद से ही वहां के लोकल पुलिस द्वारा उन्हें थाना लाया गया, जहां पर करीब 12 दिनों तक जेल में बंद रखा गया. फिर वहां से General removal immigration Centre में डाल दिया गया. जहां 35 दिनों तक रहने के बाद उन्हें कम्बोडिया से भारत भेजा गया.

पुलिस ने एनआईए को सौंपा: वहीं, पुलिस ने प्राप्त आवेदन को गम्भीरता से लेते हुए पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया था. जिसके बाद एनआईए ने मामले की जांच करते हुए आरोपी को सोमवार की रात गिरफ्तार कर लिया. साथ एनआईए द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सोमवार को स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त अभियान में छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कई स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें जबरन साइबर अपराध से जुड़े मानव तस्करी के एक मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

इनकी हुई गिरफ्तार: 15 स्थानों पर कार्रवाई के बाद वडोदरा के मनीष हिंगू, गोपालगंज के प्रहलाद सिंह, दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नबियालम रे, गुरुग्राम के बलवंत कटारिया और चंडीगढ़ के सरताज सिंह को गिरफ्तार किया गया है. एनआईए ने सभी स्थानों पर राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ एक समन्वित अभियान चलाया. तलाशी में दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण, हस्तलिखित रजिस्टर, कई पासपोर्ट, फर्जी विदेशी रोजगार पत्र आदि सहित कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई. विभिन्न राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस बलों द्वारा आठ नई एफआईआर दर्ज की गई हैं.

युवाओं से करवाते थे स्कैम: एनआईए जांच से पता चला है कि आरोपी एक संगठित तस्करी सिंडिकेट में शामिल थे, जो कानूनी रोजगार के झूठे वादे पर भारतीय युवाओं को लुभाने और विदेशों में तस्करी करने में लगे हुए थे. NIA की जांच के अनुसार मुख्य रूप से विदेशी नागरिकों द्वारा नियंत्रित और संचालित रैकेट के हिस्से के रूप में युवाओं को लाओस, गोल्डन ट्रायंगल एसईजेड और कंबोडिया सहित अन्य स्थानों पर फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

सीमा पार करने की सुविधा भी देता था: उन्हें ऑनलाइन अवैध गतिविधियां करने के लिए मजबूर किया गया, जैसे क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, नकली एप्लिकेशन का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा में निवेश, हनी ट्रैपिंग आदि जांच से यह भी पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम से लाओस एसईजेड तक भारतीय युवाओं को अवैध रूप से सीमा पार करने की सुविधा प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से सक्रिय तस्करों के साथ समन्वय कर रहे थे.

तस्करों के साथ थे संबंध: एनआईए ने 13 मई 2024 को मुंबई पुलिस से मामला अपने हाथ में ले लिया था. इसमें पाया गया कि मानव तस्करी सिंडिकेट केवल मुंबई में ही संचालित नहीं हो रहा था, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों और सीमा पार अन्य मददगारों और तस्करों के साथ इसके संबंध थे.

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