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बनारस की वरुणा-अस्सी नदियों को बचाने में देरी पर NGT सख्त; डीएम पर 10 हजार रुपए जुर्माना, हाईकोर्ट ने भी मांगा जवाब - NGT fine on Varanasi DM

एनजीटी ने वरुणा और अस्सी नदियों के जीर्णोद्धार में हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाया है. इसके लिए उन्होंने वाराणसी जिला अधिकारी पर 10 हजार का पैनल्टी लगाया है. साथ ही इसी मामले में हाईकोर्ट ने भी वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी और नगर निगम से जवाब तलब किया है.

वरुणा - अस्सी पर एनजीटी और हाईकोर्ट सख्त
वरुणा - अस्सी पर एनजीटी और हाईकोर्ट सख्त (PHOTO credits ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 9:55 PM IST

Updated : Aug 10, 2024, 12:03 PM IST

वाराणसी जिला अधिकारी पर पैनल्टी (video credits ETV Bharat)

वाराणसी: गंगा की दो सहायक नदियों वरुणा और अस्सी को लेकर एनजीटी काफी सख्त दिखाई दे रही है. शुक्रवार को एनजीटी ने अस्सी और वरुणा नदी के जीर्णोद्धार में हो रही देरी को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए वाराणसी जिलाधिकारी पर 10,000 रुपये की पेनल्टी लगाया है. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी और नगर निगम को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश सुनाया है. एडवोकेट सौरभ तिवारी की तरफ से दायर की गई याचिका पर शुक्रवार को एनजीटी में सुनवाई हुई थी.

नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी
नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी (PHOTO credits ETV Bharat)

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने सुनवाई को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि, NGT ने शुक्रवार को इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की है. अगली सुनवाई अब 18 नवंबर को होगी. शुक्रवार को हुई सुनवाई में एनजीटी ने अस्सी और वरुणा नदी के जुड़े प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि, इस याचिका को दायर करने के बाद प्रशासन का रवैया बेहद ही गैर जिम्मेदाराना है. जिस वजह से जिलाधिकारी वाराणसी के ऊपर 10000 का जुर्माना लगाया गया है.

नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी
नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी (PHOTO credits ETV Bharat)

सौरभ तिवारी ने बताया कि, एनजीटी की मेन बेंच नई दिल्ली की तीन सदस्य पीठ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल ने इस केस की सुनवाई की है. जिसमें कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि, खाली मीटिंग करने से काम नहीं होगा. धरातल पर उतर कर काम करने की जरूरत है, जो दिखाई नहीं दे रहा है.

कोर्ट ने अस्सी और वरुणा नदियों पर अतिक्रमण और अन्य आंकड़ों पर भी नाराजगी जताई है. कोर्ट का कहना है कि, इस दिशा में कोई काम होता दिखाई नहीं दे रहा है. 18 नवंबर को वाराणसी के जिलाधिकारी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस सुनवाई में शामिल होने का आदेश दिया गया है.

वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई है. एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई में जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास की खंडपीठ ने सुनवाई की है. इसमें याचिकाकर्ता जयराम कुमार की पीआईएल पर कोर्ट ने आदेश जारी किया है. जिसमें उन्होंने नगर निगम वाराणसी और वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी को एक सप्ताह के अंदर इन दोनों नदियों की स्थिति पर जवाब देने के लिए कहा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 22 अक्टूबर निर्धारित की है.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पर सौरभ तिवारी का कहना है कि, इस केस में सुनवाई के बाद नगर निगम और वीडीए को बतौर पार्टी बनाने का आदेश दिया गया था. दोनों विभागों को 4 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का भी नोटिस दिया गया था. लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ और ना ही कोई जवाब दिया गया. फिलहाल वाराणसी में गंगा की इन दोनों सहायक नदियों की धीमी प्रगति पर 4 अगस्त को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर हो गई है.

150 पन्नो की इस रिपोर्ट में बताया गया था, कि एनजीटी ने 2021 में इस काम को पूरा करने के लिए 5 साल का वक्त निर्धारित किया था. 3 साल से ज्यादा समय बीत गए हैं, लेकिन असल में ग्राउंड स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. फिलहाल अब एनजीटी इस मामले में सख्त रख अपना सकती है. अगली सुनवाई में जिलाधिकारी भी जब शामिल रहेंगे.

ये भी पढ़ें: बीएचयू में अवैध रूप से कट रहे हरे पेड़ों पर NGT सख्त, जांच के दिए आदेश

वाराणसी जिला अधिकारी पर पैनल्टी (video credits ETV Bharat)

वाराणसी: गंगा की दो सहायक नदियों वरुणा और अस्सी को लेकर एनजीटी काफी सख्त दिखाई दे रही है. शुक्रवार को एनजीटी ने अस्सी और वरुणा नदी के जीर्णोद्धार में हो रही देरी को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए वाराणसी जिलाधिकारी पर 10,000 रुपये की पेनल्टी लगाया है. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी और नगर निगम को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश सुनाया है. एडवोकेट सौरभ तिवारी की तरफ से दायर की गई याचिका पर शुक्रवार को एनजीटी में सुनवाई हुई थी.

नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी
नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी (PHOTO credits ETV Bharat)

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने सुनवाई को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि, NGT ने शुक्रवार को इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की है. अगली सुनवाई अब 18 नवंबर को होगी. शुक्रवार को हुई सुनवाई में एनजीटी ने अस्सी और वरुणा नदी के जुड़े प्रोजेक्ट में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि, इस याचिका को दायर करने के बाद प्रशासन का रवैया बेहद ही गैर जिम्मेदाराना है. जिस वजह से जिलाधिकारी वाराणसी के ऊपर 10000 का जुर्माना लगाया गया है.

नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी
नालों में तब्दील वरुण और अस्सी नदी (PHOTO credits ETV Bharat)

सौरभ तिवारी ने बताया कि, एनजीटी की मेन बेंच नई दिल्ली की तीन सदस्य पीठ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल ने इस केस की सुनवाई की है. जिसमें कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि, खाली मीटिंग करने से काम नहीं होगा. धरातल पर उतर कर काम करने की जरूरत है, जो दिखाई नहीं दे रहा है.

कोर्ट ने अस्सी और वरुणा नदियों पर अतिक्रमण और अन्य आंकड़ों पर भी नाराजगी जताई है. कोर्ट का कहना है कि, इस दिशा में कोई काम होता दिखाई नहीं दे रहा है. 18 नवंबर को वाराणसी के जिलाधिकारी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस सुनवाई में शामिल होने का आदेश दिया गया है.

वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई है. एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई में जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास की खंडपीठ ने सुनवाई की है. इसमें याचिकाकर्ता जयराम कुमार की पीआईएल पर कोर्ट ने आदेश जारी किया है. जिसमें उन्होंने नगर निगम वाराणसी और वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी को एक सप्ताह के अंदर इन दोनों नदियों की स्थिति पर जवाब देने के लिए कहा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 22 अक्टूबर निर्धारित की है.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पर सौरभ तिवारी का कहना है कि, इस केस में सुनवाई के बाद नगर निगम और वीडीए को बतौर पार्टी बनाने का आदेश दिया गया था. दोनों विभागों को 4 सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का भी नोटिस दिया गया था. लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ और ना ही कोई जवाब दिया गया. फिलहाल वाराणसी में गंगा की इन दोनों सहायक नदियों की धीमी प्रगति पर 4 अगस्त को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर हो गई है.

150 पन्नो की इस रिपोर्ट में बताया गया था, कि एनजीटी ने 2021 में इस काम को पूरा करने के लिए 5 साल का वक्त निर्धारित किया था. 3 साल से ज्यादा समय बीत गए हैं, लेकिन असल में ग्राउंड स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. फिलहाल अब एनजीटी इस मामले में सख्त रख अपना सकती है. अगली सुनवाई में जिलाधिकारी भी जब शामिल रहेंगे.

ये भी पढ़ें: बीएचयू में अवैध रूप से कट रहे हरे पेड़ों पर NGT सख्त, जांच के दिए आदेश

Last Updated : Aug 10, 2024, 12:03 PM IST
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