नई दिल्ली: जेएनयू ने नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 से नेट के स्कोर के आधार पर ही पीएचडी में दाखिला अनिवार्य कर दिया है. इसके लिए 26 अप्रैल को अधिसूचना जारी की गई थी. इसमें जेआरएफ पास छात्रों का प्रवेश 100 प्रतिशत साक्षात्कार के आधार पर होना तय किया है. नेट पास करने वाले छात्रों के प्रवेश के लिए यूजीसी के नियमानुसार नेट स्कोर को 70 प्रतिशत और साक्षात्कार को 30 प्रतिशत वेटेज दिया गया है.
लेकिन, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि नेट किस सत्र का पास कर आवेदन करना होगा. इसके बाद जेएनयू प्रशासन ने एक और अधिसूचना जारी की है और स्पष्ट किया है कि सत्र 2024-25 के लिए होने वाली नेट परीक्षा के स्कोर मान्य किए जाएंगे. इस सत्र की नेट परीक्षा 18 जून को प्रस्तावित है.
यह निर्णय संकट में डालने वाला है-छात्र: जेएनयू के फैसले पर एक छात्र ने कहा कि, "यह निर्णय दुविधापूर्ण है और हजारों छात्रों को संकट में डालने वाला है. मैंने खुद दिसंबर में नेट परीक्षा दी है. अगर मुझे जेएनयू में पीएचडी में प्रवेश लेना है तो फिर परीक्षा देनी होगी. एक बार नेट होने के बाद छात्र दोबारा उसकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते. लेकिन, अब उन्हें बार-बार अध्ययन करना होगा, क्योंकि इसकी एक वर्ष की अवधि को ही प्रवेश के लिए मान्य रखा गया है. अगर प्रवेश नहीं मिलता है तो उन्हें अगले वर्ष फिर परीक्षा देनी होगी."
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विषय से अलग आते हैं प्रश्न-छात्र: छात्र ने बताया कि पीएचडी प्रवेश के लिए कामन एंट्रेंस टेस्ट होता था या विश्वविद्यालय अपना टेस्ट लेते थे, उसमें विषय और शोध से संबंधित प्रश्न ही पूछे जाते थे. लेकिन, नेट में रीजनिंग, मैथ्स और जनरल स्टडी पूछी जाती है, शोध छात्रों को इससे परेशानी होगी. क्योंकि पीएचडी प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा और नेट परीक्षा के स्तर में काफी अंतर है. छात्र ने कहा कि सेमेस्टर परीक्षा होनी हैं, लेकिन पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया बदलने से छात्र सेमेस्टर की पढ़ाई छोड़कर नेट की तैयारी में लग गए हैं.
'पीएचडी प्रवेश का नोटिस जल्दबाजी में लाया गया': जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की अध्यक्ष प्रो. मौसमी बसु ने कहा कि, "विश्वविद्यालय की दुविधापूर्ण स्थिति है. इसका असर छात्रों पर निश्चित तौर पर होगा. उन्होंने कहा कि प्रवेश को लेकर जेएनयू में पिछले पांच वर्ष में बहुत अधिक बदलाव हुए हैं. पीएचडी प्रवेश का नोटिस जल्दबाजी में लाया गया है और इस पर कोई चर्चा नहीं की गई है. पहले इसको छात्रों को समझाया जाना चाहिए था और फिर लागू करने के निणर्य पर पहुंचना चाहिए था.
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