भोपाल। नीट 2024 परीक्षा में हुए घोटाले के बाद अब देश में पेपर लीक जैसे मामलों को लेकर कठोर कानून बनाने की जरुरत महसूस की जा रही है, क्योंकि इससे पहले भी राज्यों में प्रतियोगी और व्यवसायिक परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले सामने आते रहे हैं. जिसका असर कराड़ों छात्रों के भविष्य पर पड़ चुका है. अब एक बार फिर एनटीए द्वारा आयोजित नीट 2024 की परीक्षा में लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है.
राष्ट्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाने की जरूरत
अकेले मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां 2013 में व्यापम घोटाला सामने आया था. इसमें भी मेडिकल कालेजों में एडमिशन के लिए आयोजित पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था. इसके बाद पटवारी परीक्षा और फिर नर्सिंग कालेज घोटाला उजागर हुआ. वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में हवलदार भर्ती घोटाला, जिसमें 60 लाख से अधिक युवा प्रभावित हुए. फिर राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होते रहे हैं. लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों ने कोई ठोस इंतजाम नहीं किए. अब नीट परीक्षा 2024 के बाद जरुरी हो गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर कठोर कानून बनाया जाए.
नीट परीक्षा 2024 में यह हुआ घोटाला
भोपाल के शिक्षाविदों ने बताया कि नीट परीक्षा 2024 को लेकर पटना में पेपर लीक होने का मामला सामने आया था. इसमें एफआईआर भी दर्ज कराई गई लेकिन एनटीए द्वारा इसमें संज्ञान नहीं लिया गया. बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पूरी परीक्षा की जांच करवाने से मना कर दिया. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब 67 बच्चों को पूरे नंबर यानि की 720 में से 720 मिले. वो भी एक ही सेंटर के 8 बच्चों ने टॉप किया, जो अविश्वसनीयता को बढ़ाता है. इसी प्रकार 716 या 715 या 720 नंबर आ सकते हैं लेकिन पहली बार लोगों के 718 या 719 नंबर भी आए. इस मामले में एनटीए ने तर्क दिया कि छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जबकि परीक्षा के नियमों में ग्रेस मार्क्स शामिल नहीं है.
नीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह फैसला
सुप्रीट कोर्ट ने कहा है कि "वह नीट 2024 की काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाएगा. कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग जारी रहेगी और हम इसे रोकेंगे नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर परीक्षा पर कोई फैसला होगा तो सब कुछ पूरी तरह रूक जाएगा. वहीं एनटीए की ओर से 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस अंक देने का फैसला वापस लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अब ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 उम्मीदवारों के लिए 23 जून को दोबारा परीक्षा होगी, 30 जून से पहले परिणाम घोषित किए जाएंगे."
एम्स में एडमिशन के लिए क्या होगा पैरामीटर
शिक्षाविद और लॉ प्रेप संस्था से जुड़े स्वतंत्र सिंह चौहान ने बताया कि "एम्स में करीब 40 सीटें होती हैं लेकिन यहां तो 67 बच्चों के नंबर एक समान आए हैं. ऐसे में एम्स में एडमिशन के लिए क्या पैरामीटर तय किए जाएंगे. ग्रेस मार्क्स का चलन ऑफ लाइन एग्जाम में ही होता था लेकिन पहली बार ऑन लाइन एग्जाम में ग्रेस मार्क्स दिए गए. वहीं नीट 2024 का रिजल्ट 15 जून को जारी होना था, लेकिन 4 जून को उस दिन जारी किया गया जब लोकसभा के चुनाव परिणाम आ रहे थे. जिम्मेदार चाहते थे कि लोकसभा परिणाम के शोर-शराबे में घोटाले की बात दब जाएगी. उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाने की जरुरत है."
एमपी में सबसे पहले सामने आया व्यापम घोटाला
एमपी के चर्चित व्यापम घोटाले को हुए 10 साल बीत चुके हैं. इस घोटाले का पर्दाफाश होने पर शिवराज सिंह की सरकार ने एडमिशन और नौकरी भर्ती परीक्षा तंत्र में कई स्तर पर सुधार करने का दावा किया लेकिन हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोप लगने के बाद ये दावे खोखले लगते हैं. व्यापम घोटाले में 45 लोगों की जान गई और लाखों लोग का भविष्य अंधकार में चला गया. इस मामले में अब तक 125 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
नर्सिंग घोटाले से 40 हजार स्टूडेंट्स का भविष्य खतरे में
हाल में ही हुए नर्सिंग घेटाले की वजह से 40 हजार नर्सिंग स्टूडेंट्स के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है. नर्सिंग घोटाले का मामला हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में विचाराधीन है. 26 जुलाई को कोर्ट में सीबीआई रिपोर्ट पेश करेगी. इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट निर्णय ले सकता है. लिहाजा, स्टूडेंट्स की नजर भी सीबीआई की रिपोर्ट पर टिकी हैं. हालत ये है कि जिन स्टूडेंट्स को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी, वे फर्स्ट ईयर की परीक्षा का ही इंतजार कर रहे हैं. ऐसे ही करीब 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई कर रही है. इनमें अधिकतर कॉलेज केवल कागजों में संचालित हो रहे हैं.
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पटवारी परीक्षा में 9 लाख छात्रों के साथ खिलवाड़
नर्सिंग घोटाले से पहले एमपी में पटवरी परीक्षा घोटाला भी हो चुका है. जिसमें पेपर लीक होने की बात सामने आई थी. दरअसल राज्य कर्मचारी चयन मंडल ने पटवारी भर्ती के लिए नवंबर 2022 में 9000 से अधिक पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. परीक्षाएं मार्च-अप्रैल 2023 में आयोजित की गईं थीं. 12 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया और नौ लाख से अधिक आवेदक परीक्षा देने पहुंचे थे. कर्मचारी चयन मंडल ने 30 जून 2023 को 8617 पदों के लिए परिणाम जारी किए. परिणाम जारी होने के बाद यह बात सामने आई थी कि टॉप 11 युवाओं में 10 अभ्यर्थी ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज में परीक्षा देने बैठे थे. तब से इसकी नियुक्ति प्रक्रिया पर भी रोक लगी हुई है.