Neemuch mango farmer wonders: यूं तो औषधीय के लिए नीमच जिले की देश में अपनी अलग की पहचान है. अब प्रगतिशील किसान जैविक खेती को भी महत्व देने लगे हैं. नीमच जिले के जावद तहसील से करीब 40 किमी दूर गांव पानौली के एक ऐसे किसान के बारे में बताते हैं जिन्होंने अपने खेत पर जैविक विधि से आम की खेती की है. एक पेड़ पर 7 प्रजातियों के आम लगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. साथ ही इनके आम नीमच शहर के साथ-साथ विदेश में सप्लाई हो रहे हैं. व्यापारियों द्वारा इनके आम खरीद कर विदेश भेजा जा रहा है. एक सीजन में भाव के अनुरूप प्रतिवर्ष करीब 5 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं.
जैविक विधि से आम की खेती
जावद तहसील करीब 40 किमी दूर गांव पानौली के एक ऐसे किसान के बारे में बताते हैं जिन्होंने अपने खेत पर जैविक विधि से आम की खेती की. 65 वर्षीय किसान जगदीश चंद्र पाटीदार की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने 9वीं तक पढ़ाई की है. उनका शुरु से ही नौकरी करने का मन नहीं था. इसलिए उन्होंने अपने पिता की खेती को आगे बढ़ाया. पिता के नक्शे कदम पर चले और इनके पिता ने खेत पर 8 पौधे आम के उगाए थे, जो आज बड़े होकर आम भी दे रहे हैं. Mangoes Grow on Single Tree
एक ही पेड़ पर कई प्रजाति के आम
जगदीश चंद्र को अपने स्वर्गीय पिता लक्ष्मीनारायण पाटीदार से खेत में 8 आम के पौधे मिले थे. इन आम को बेचने पर कम मुनाफा होता था. अधिक मुनाफा कमाने लिए उन्हें आम का बगीचा लगाने की प्रेरणा मिली. उन्होंने तत्कालीन उद्यानिकी अधिकारी सारस्वत से संपर्क कर ग्राफ्टिंग विधि से आम की वैरायटी बनाने की विधि सीखी. पाटीदार ने अपने बगीचे में नीलम, तोतापारी, आम्रपाली, मल्लिका, बारहमासी, देशी जैसी प्रजाति एक ही पेड़ पर लगा रखी है. पाटीदार ने बताया कि वो बगीचे में देशी खाद का उपयोग करते हैं. खरपतवार नाशक के लिए मजदूरों से कटाई और ट्रीलर से जुताई करते हैं. किसी भी प्रकार के रासायनिक तत्व का कोई उपयोग नहीं करते.
एक पेड़ पर ही पक जाता आम
किसान जगदीशचंद ने बताया कि, ''वैसे बाजार में आने वाले आम कार्बोनेट से पके हुए आते हैं. मगर इस जैविक पद्धति से उगाये गये आम पेड़ पर पक जाते हैं, और उसके बाद तोड़ने के बाद देशी पद्धति वाली पाल पद्धति से घास और टाट में पकाते हैं. सात दिन रखने के बाद उन्हें 5-5 किलो के कार्टून में पैक कर डिमांड के अनुसार संबंधित को भेजते हैं. वर्तमान में पकने वाली पहली खेप की बुकिंग हो चुकी हैं. स्वाद के कई शौकीन पानौली आकर भी ये आम ले जाते हैं. जिले के अनेक लोग देश के दूसरे राज्यों में रह रहे अपने रिश्तेदारों में को भी यहां से यह आम भेजते हैं. चार नियमित ग्राहकों ने विदेश में भी उनके आम के स्वाद को बेहद पसंद किए जाने की जानकारी दी है. इन आम की मिठास शक्कर जैसी होती है.
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पांच बीघा खेत पर आम ही आम
किसान जगदीश चंद बताते हैं कि, ''5 बीघा खेत में उन्होंने करीब 300 से ज्यादा पौधे लगा रखे हैं, जो लगभग 20-20 फीट की दूर पर लगा रखे है. प्रतिवर्ष आम के पौधे को और अधिक बढ़ाया जा रहा है.'' पाटीदार ने बगीचे में आम की मल्लिका वैरायटी के 42 और दशहरी के 2 पौधे भी लगा रखे हैं. किसान पाटीदार ने बताया कि उसके द्वारा आम का पौधा तैयार करने के बाद करीब दो साल में पौधे पर आम आने लगते हैं. करीब दो फीट के पौधे पर आम लग जाता है.
चीकू बगीचे की तैयारी में
किसान जगदीश ने बताया है हाल में उन्होंने आम की खेती के साथ संतरे का खेत भी लगा रहा है. जिससे भी उन्हें अच्छा मुनाफा होता है. आगे वे चीकू के बगीचे की तैयारी कर रहे हैं.