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मोदी-नीतीश के सामने पुराने नतीजे को दोहराने की चुनौती, किन-किन सीटों पर रोड़ा अटका सकता महागठबंधन - lok sabha election 2024

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने पूरे देश में 400 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए एनडीए को बिहार में 2019 के नतीजे को दोहराने की चुनौती है. कई लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां जीत के मतों का अंतर कम था. महागठबंधन एनडीए की इसी कमजोर कड़ी का फायदा उठाना चाहता है. पढ़ें, विस्तार से.

एनडीए के सामने चुनौती.
एनडीए के सामने चुनौती.
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 18, 2024, 8:41 PM IST

एनडीए के सामने चुनौती.

पटना: लोकसभा चुनाव 2014 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. तब जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं था. जदयू के दो सांसद चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को 39 सीट पर जीत हासिल हुई थी. एक मात्र सीट किशनगंज महागठबंधन के खाते में गई थी. कांग्रेस के मोहम्मद जावेद 34,462 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. 2019 में पीएम मोदी की लहर थी.

जीत-हार का अंतर कम थाः 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भले ही 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन कई ऐसी सीटे थी जहां पर जीत हार का अंतर कम था. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सांसद रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच सीधा मुकाबला था. रामकृपाल यादव मात्र 14,972 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. जहानाबाद सीट जदयू के खाते में थी. जदयू से चंदेश्वर चंद्रवंशी मात्र 1751 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल नेता सुरेंद्र यादव रहे थे.

"बीजेपी पिछली बार 39 सीट जीतने में कामयाब हुई थी. लेकिन इस बार हम सभी 40 सीट जीतेंगे. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार के सुशासन के बदौलत हम सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे."- योगेंद्र पासवान, भाजपा प्रवक्ता

जदयू की सीट उपेंद्र कुशवाहा को मिलीः कटिहार लोकसभा सीट भी एनडीए की कमजोर कड़ी हो सकती है. कटिहार लोकसभा सीट जदयू के खाते में है. जदयू नेता दुलालचंद गोस्वामी 57203 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस नेता तारीक अनवर रहे थे. काराकाट सीट भी एनडीए के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकती है. जदयू सांसद महाबली सिंह 84,500 मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर उपेंद्र कुशवाहा रहे थे. इस बार यह सीट जदयू से लेकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम को दे दी गयी है.

जीत-हार का अंतर दो लाख से कम था: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 14 सीटें ऐसी हैं जो 2 लाख से कम मतों के अंतर से एनडीए के खाते में गई थी. 23 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां पर जीत और हार का मार्जिन 2 लाख से अधिक था. 16 लोकसभा सीट ऐसी हैं जिस पर जीत और हर का अंतर 2 लाख से कम था. इस सीट को भाजपा कंफर्ट जोन में मान रही है. कुल मिलाकर 15 लोकसभा सीटों पर एनडीए को मशक्कत करनी होगी.

कांटे की रही थी टक्करः 9 लोकसभा सीट ऐसी है, जहां-जीत का फैसला डेढ़ लाख से कम में हुआ था. सिवान लोकसभा सीट से कविता सिंह 116 मतों से चुनाव जीती थी. जबकि हिना शहाब राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर दूसरे स्थान पर रही थी. हालांकि, इस बार हिना शहाब निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. राजद से उसकी दूरी बढ़ी है. छपरा लोकसभा सीट पर भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी 1,38,000 मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल नेता चंद्रिका राय रहे थे. हालांकि, इस बार चंद्रिका राय राजद के साथ नहीं हैं.

बागी पर रहेगी नजरः समस्तीपुर लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता प्रिंस राज 1 लाख 2 हजार मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के डॉ अशोक रहे थे. इस बार यह सीट लोजपा आर को दे दी गयी है. ऐसे में संभव है कि प्रिंस राज यहां से एनडीए के उम्मीदवार नहीं होंगे. कोई नया चेहरा मैदान में होगा. कुछ दिन पहले रालोजपा के नेता पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर घोषणा की थी कि उनके सभी सीटिंग सांसद चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में प्रिंस राज भी चुनाव मैदान में उतरते हैं तो वह एनडीए का कितना वोट काटेंगे इस पर गठबंधन की नजर रहेगी.

रालोजपा बन सकता परेशानी का सबबः नवादा लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चंदन सिंह 1,48,000 मतों से चुनाव जीते थे. राष्ट्रीय जनता दल की विभा देवी दूसरे स्थान पर रही थी. चंदन सिंह बाद में पशुपति पारस के साथ चले गये थे. अब वो भी एनडीए के उम्मीदवार होंगे इस पर संशय है. जबकि, उनके नेता ने सीटिंग सांसद के चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में अगर चंदन सिंह मैदान में रालोजपा के टिकट पर उतरते हैं तो एनडीए के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं.

एनडीए की रहेगी नजरः बक्सर लोकसभा सीट पर अश्विनी चौबे 17,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर जगदानंद सिंह रहे थे. अररिया लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदीप सिंह 1,37,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल के सरफराज अहमद रहे थे. आरा लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद राजकुमार सिंह 1,47,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजू यादव रहे थे. गया लोकसभा सीट पर जदयू नेता विजय मांझी 1,52000 से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर जीतन राम मांझी रहे थे. तब जीतन राम मांझी महागठबंधन के उम्मीदवार थे. इस बार गया सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को दे दी गयी है. ऐसे में विजय मांझी क्या करते हैं, इस पर एनडीए की नजर रहेगी.

क्या कहते हैं राजद नेताः सासाराम लोकसभा सीट पर छेदी पासवान भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए गए थे. छेदी पासवान को एक लाख 65 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी. दूसरे स्थान पर कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार रही थी. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से इस बार बेहतर परफॉर्मेंस का दावा किया गया है पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि इस बार हम भाजपा के रथ को रोकने में कामयाब होंगे. तेजस्वी यादव ने 17 महीने में जो काम किया है उसने जनता का भरोसा जीता है. नरेंद्र मोदी ने युवाओं को ठगने का काम किया है. इस बार हम ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करेंगे.

"भाजपा के सामने चुनौती इस बात की है कि पुराने नतीजे को कैसे दोहराया जाए. नीतीश कुमार भले ही एनडीए का हिस्सा हो गए हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता और इकबाल पहले की तरह नहीं रहा है. कई सीट है जिस पर जीत और हर का अंतर बेहद कम रहा था. ऐसी सीटों पर कोई भी दल जीत का दावा नहीं कर सकता."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक

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एनडीए के सामने चुनौती.

पटना: लोकसभा चुनाव 2014 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. तब जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं था. जदयू के दो सांसद चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को 39 सीट पर जीत हासिल हुई थी. एक मात्र सीट किशनगंज महागठबंधन के खाते में गई थी. कांग्रेस के मोहम्मद जावेद 34,462 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. 2019 में पीएम मोदी की लहर थी.

जीत-हार का अंतर कम थाः 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भले ही 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन कई ऐसी सीटे थी जहां पर जीत हार का अंतर कम था. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सांसद रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच सीधा मुकाबला था. रामकृपाल यादव मात्र 14,972 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. जहानाबाद सीट जदयू के खाते में थी. जदयू से चंदेश्वर चंद्रवंशी मात्र 1751 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल नेता सुरेंद्र यादव रहे थे.

"बीजेपी पिछली बार 39 सीट जीतने में कामयाब हुई थी. लेकिन इस बार हम सभी 40 सीट जीतेंगे. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार के सुशासन के बदौलत हम सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे."- योगेंद्र पासवान, भाजपा प्रवक्ता

जदयू की सीट उपेंद्र कुशवाहा को मिलीः कटिहार लोकसभा सीट भी एनडीए की कमजोर कड़ी हो सकती है. कटिहार लोकसभा सीट जदयू के खाते में है. जदयू नेता दुलालचंद गोस्वामी 57203 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस नेता तारीक अनवर रहे थे. काराकाट सीट भी एनडीए के लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकती है. जदयू सांसद महाबली सिंह 84,500 मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर उपेंद्र कुशवाहा रहे थे. इस बार यह सीट जदयू से लेकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम को दे दी गयी है.

जीत-हार का अंतर दो लाख से कम था: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 14 सीटें ऐसी हैं जो 2 लाख से कम मतों के अंतर से एनडीए के खाते में गई थी. 23 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां पर जीत और हार का मार्जिन 2 लाख से अधिक था. 16 लोकसभा सीट ऐसी हैं जिस पर जीत और हर का अंतर 2 लाख से कम था. इस सीट को भाजपा कंफर्ट जोन में मान रही है. कुल मिलाकर 15 लोकसभा सीटों पर एनडीए को मशक्कत करनी होगी.

कांटे की रही थी टक्करः 9 लोकसभा सीट ऐसी है, जहां-जीत का फैसला डेढ़ लाख से कम में हुआ था. सिवान लोकसभा सीट से कविता सिंह 116 मतों से चुनाव जीती थी. जबकि हिना शहाब राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर दूसरे स्थान पर रही थी. हालांकि, इस बार हिना शहाब निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. राजद से उसकी दूरी बढ़ी है. छपरा लोकसभा सीट पर भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी 1,38,000 मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल नेता चंद्रिका राय रहे थे. हालांकि, इस बार चंद्रिका राय राजद के साथ नहीं हैं.

बागी पर रहेगी नजरः समस्तीपुर लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता प्रिंस राज 1 लाख 2 हजार मतों से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के डॉ अशोक रहे थे. इस बार यह सीट लोजपा आर को दे दी गयी है. ऐसे में संभव है कि प्रिंस राज यहां से एनडीए के उम्मीदवार नहीं होंगे. कोई नया चेहरा मैदान में होगा. कुछ दिन पहले रालोजपा के नेता पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर घोषणा की थी कि उनके सभी सीटिंग सांसद चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में प्रिंस राज भी चुनाव मैदान में उतरते हैं तो वह एनडीए का कितना वोट काटेंगे इस पर गठबंधन की नजर रहेगी.

रालोजपा बन सकता परेशानी का सबबः नवादा लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चंदन सिंह 1,48,000 मतों से चुनाव जीते थे. राष्ट्रीय जनता दल की विभा देवी दूसरे स्थान पर रही थी. चंदन सिंह बाद में पशुपति पारस के साथ चले गये थे. अब वो भी एनडीए के उम्मीदवार होंगे इस पर संशय है. जबकि, उनके नेता ने सीटिंग सांसद के चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में अगर चंदन सिंह मैदान में रालोजपा के टिकट पर उतरते हैं तो एनडीए के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं.

एनडीए की रहेगी नजरः बक्सर लोकसभा सीट पर अश्विनी चौबे 17,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर जगदानंद सिंह रहे थे. अररिया लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदीप सिंह 1,37,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय जनता दल के सरफराज अहमद रहे थे. आरा लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद राजकुमार सिंह 1,47,000 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजू यादव रहे थे. गया लोकसभा सीट पर जदयू नेता विजय मांझी 1,52000 से चुनाव जीते थे. दूसरे स्थान पर जीतन राम मांझी रहे थे. तब जीतन राम मांझी महागठबंधन के उम्मीदवार थे. इस बार गया सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को दे दी गयी है. ऐसे में विजय मांझी क्या करते हैं, इस पर एनडीए की नजर रहेगी.

क्या कहते हैं राजद नेताः सासाराम लोकसभा सीट पर छेदी पासवान भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए गए थे. छेदी पासवान को एक लाख 65 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी. दूसरे स्थान पर कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार रही थी. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से इस बार बेहतर परफॉर्मेंस का दावा किया गया है पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि इस बार हम भाजपा के रथ को रोकने में कामयाब होंगे. तेजस्वी यादव ने 17 महीने में जो काम किया है उसने जनता का भरोसा जीता है. नरेंद्र मोदी ने युवाओं को ठगने का काम किया है. इस बार हम ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करेंगे.

"भाजपा के सामने चुनौती इस बात की है कि पुराने नतीजे को कैसे दोहराया जाए. नीतीश कुमार भले ही एनडीए का हिस्सा हो गए हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता और इकबाल पहले की तरह नहीं रहा है. कई सीट है जिस पर जीत और हर का अंतर बेहद कम रहा था. ऐसी सीटों पर कोई भी दल जीत का दावा नहीं कर सकता."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक

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